यह लार्ड मैकाले की लगायी आग है। भारत का बचपन जिस तरह जल रहा है ,वह चिंतनीय है। याद कीजिये मैकाले ने सन 1835 और 1836 में ब्रिटिश संसद मे...

यह लार्ड मैकाले की लगायी आग है। भारत का बचपन जिस तरह जल रहा है ,वह चिंतनीय है। याद कीजिये
मैकाले ने सन 1835 और 1836 में ब्रिटिश संसद में अपनी रिपोर्ट दी थी। मैकाले का पूरा नाम था ‘थोमस बैबिंगटन मैकाले। अगर ब्रिटेन के नजरियें से देखें तो अंग्रेजों का ये एक अमूल्य रत्न था। एक उम्दा इतिहासकार, लेखक प्रबंधक, विचारक और देशभक्त। इसलिए इसे लार्ड की उपाधि मिली थी और इसे लार्ड मैकाले कहा जाने लगा। अब इसके महिमामंडन को छोड़ मैं इसके एक ब्रिटिश संसद को दिए गए प्रारूप का वर्णन करना उचित समझूंगा जो इसने भारत पर कब्ज़ा बनाये रखने के लिए दिया था। दो फ़रवरी 1835 को ब्रिटेन की संसद में मैकाले की भारत के प्रति विचार और योजना मैकाले के शब्दों में:
"मैं भारत में काफी घूमा हूँ। पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण , इधर उधर मैंने यह देश छान मारा और मुझे एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं दिखाई दिया, जो भिखारी हो, जो चोर हो और अज्ञानी हो । इस देश में मैंने इतनी धन दौलत देखी है, इतने ऊँचे चारित्रिक आदर्श और इतने गुणवान मनुष्य देखे हैं कि मैं नहीं समझता की हम कभी भी इस देश को जीत पाएँगे। जब तक इसकी रीढ़ की हड्डी को नहीं तोड़ देते जो इसकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत है। इसलिए मैं ये प्रस्ताव रखता हूँ की हम इसकी पुराणी और पुरातन शिक्षा व्यवस्था, उसकी संस्कृति को बदल डालें, क्योकि अगर भारतीय सोचने लग गए कि जो भी विदेशी और अंग्रेजी है वह अच्छा है और उनकी अपनी चीजों से बेहतर हैं, तो वे अपने आत्मगौरव, आत्म सम्मान और अपनी ही संस्कृति को भुलाने लगेंगे और वैसे बन जाएंगे जैसा हम चाहते हैं। एक पूर्णरूप से गुलाम भारत।"
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