दिनचर्या में शामिल हो गई है, कचरे की संस्कृति-प्रमोद भार्गव

शिवपुरी। दिल्ली में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विषय पर संपन्न हुई परिचर्चा में पत्रकार और लेखक प्रमोद भार्गव ने अपनी बात रखते हुए कहा कि देश के नागरिकों के जनजीवन में कचरे की संस्कृति दिनचर्या में शामिल हो गई है, इसलिए एकाएक इससे छुटकारा पाना मुश्किल है। यह तब और भी ज्यादा कठिन है, जब औद्योगिक एवं प्रौद्योगिक विकास को नीतिगत उपायों से बढ़ावा दिया जा रहा हो। यही कारण है कि अब जल, थल और वायु ही नहीं अंतरिक्ष में भी कचरे के भंडार लग जाने के शोधपरक समाचार आ रहे हैं। जलवायु के साथ किया जा रहा यह खिलवाड़ समूची मानव सभ्यता के लिए खतरनाक है। इस परिचर्चा में हिंडन नदी के सरंक्षक संजय कश्यप, राज्यसभा टीवी के निदेषक अरविंद कुमार सिंह और लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता अमेंद्र किशोर उपस्थित थे। 

इस परिचर्चा के पहले चिपको आंदोलन के जनकों में से एक चंडीप्रसाद भट्ट ने प्रमोद भार्गव की नई किताब ‘पानी में प्रदूशण‘ का थीम मंडप के पंडाल से विमोचन किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष बलदेव भाई शर्मा, न्यास के संपादक पंकज चतुर्वेदी, विनोद कुमार, हरिश्चंद्र शर्मा, मनीश गोरे मौजूद थे। ये आयोजन विष्व पुस्तक मेले के आयोजक नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा संपन्न किए गए थे। 



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