महानता के लिए आवश्यक है स्कूल से सुप्रीम कोर्ट तक अनुशासन - राम माधव



चाहे क्लास रूम हो, अथवा सर्वोच्च न्यायालय, अनुशासन हर जगह आवश्यक है | एक अनुशासन हीन देश से महानता की उम्मीद नहीं की जा सकती | नई दिल्ली में सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीशों में से चार न्यायाधीशों द्वारा आहूत असाधारण पत्रकार सम्मेलन के एक दिन बाद, भाजपा राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने शनिवार को गुजरात के वडोदा में यह टिप्पणी की ।

श्री राम माधव ने बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि, "हमें भारत को एक ऐसा देश बनाना है, जो एकजुट, समृद्ध और शांतिपूर्ण हो | लेकिन इसके लिए समाज का अनुशासित होना सबसे महत्वपूर्ण है। जब आप माइक्रोफ़ोन के सामने होते हैं, तब आप दर्शकों के सामने होते हैं, जो आपके परीक्षक होते हैं । अनुशासन और एकता, मूल तत्व हैं, जो न केवल भारत के लिए, वरन किसी भी देश के लिए आवश्यक हैं । यही बात हमारे सम्माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदीजी देश के हर नागरिक को आत्मसात कराने की कोशिश कर रहे हैं। "

एक देश जहां लोगों को शौचालय की भी सुविधा नहीं है, जिसमें महिलायें असुरक्षित हैं, जो आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है, जिसे जाति, धर्म और अन्य अनेक प्रकार से विभाजित किया गया है, जो स्कूल से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अनुशासनहीन है, एक महान देश बनने की कल्पना नहीं कर सकता | यही वह मौलिक परिवर्तन है जो नरेंद्र मोदी, हमारे देश में लाने की कोशिश कर रहे हैं ।

राममाधव ने कहा कि मोदी एक ऐसे प्रधान मंत्री है, जिनमें लोगों को यह बताने की हिम्मत है कि भारत के भविष्य निर्धारण में उनकी क्या भूमिका है; आप इस देश के केवल नागरिक मात्र नहीं हैं, बल्कि महान भारत की प्रगति में अंशधारक भी हैं | आईये एक महान भारत के निर्माण में योगदान कीजिए ।

राम माधव ने अमेरिकी लेखक और इतिहासकार विल ड्यूरेंट का हवाला देते हुए अपना भाषण शुरू किया | डुरंट ने कहा है कि भारत हमारे वंश की मातृभूमि और संस्कृत भाषा, यूरोप की सभी भाषाओं की मां है । हमारा दर्शन, हमारा अधिकांश गणित, ईसाई धर्म में वर्णित आदर्श ... यहाँ तक कि सरकार और लोकतंत्र ... कई मायनों में, हमें भारत से विरासत में मिले ।

सभा में उपस्थित युवाओं की तालियों के बीच राम माधव ने कहा कि हमें अपने अतीत पर गर्व होना चाहिए। किन्तु वर्तमान की पीड़ा... भविष्य के स्वप्न ... इस सबके लिए राष्ट्र की प्रगति आवश्यक है। हमें वर्तमान के दर्द को महसूस करना चाहिए। हमारा वर्तमान पूर्णतः गौरवशाली नहीं है | हाँ आज भी हमारे देश में लाखों अच्छे लोग हैं। किन्तु साथ ही हमारा देश अभी भी कई भ्रष्ट लोगों और संस्थानों के कारण, असुरक्षित और विवादित भी है। असुरक्षा केवल सीमाओं की नहीं होती, हमारी महिलायें, हमारे सभी समुदाय सुरक्षित होना चाहिए | किन्तु यह तभी होगा, जब भारत महान हो जायेगा, तभी हमें उस पर गर्व महसूस होगा। "

दिवंगत पत्रकार लेखक खुशवंत सिंह ने अपने एक आलेख में सवाल उठाया कि "एक अमरीकी धोबी को एक विश्वविद्यालय में भाषण देने के लिए भारत में आमंत्रित किया गया । क्या किसी भारतीय धोब़ी को एक अमेरिकी विश्वविद्यालय में यह अवसर मिल सकता है ? 

राम माधव ने उक्त उल्लेख करते हुए कहा कि मेरा जबाब होगा -'मेरे दोस्त, यदि आप केवल देश के व्यक्तियों की महिमा पर आश्रित हैं, तो आपका देश कभी महान नहीं हो सकता | किन्तु अगर आपका राष्ट्र महान है, तो आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति का भी सम्मान किया जाता है। उस धोबी को केवल इसलिए बुलाया गया क्योंकि वह एक अमेरिकी था। "

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