जाति और भाषा भेद के बावजूद हिंदुओं को एकजुट होना चाहिए - सुरेश भैय्याजी जोशी



लोगों की जिंदगी अधिक समृद्ध और सूर्य के समान उज्ज्वल होनी चाहिए। किन्तु यह तभी संभव है, जब जाति और भाषा सहित सभी मतभेदों को भूलकर सभी हिंदुओं के बीच एकता की भावना विकसित होगी । 15 जनवरी, 2018 को चेन्नई के हस्तिनापुरम में देसमुथु मारीयामन मंदिर द्वारा आयोजित पोंगल विजा में भाग लेते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सरकार्यवाह (अखिल भारतीय महासचिव) सुरेश भैय्याजी जोशी ने उक्त उदगार व्यक्त किये । इस अवसर पर उन्होंने मंदिर में आयोजित गौ पूजा में भाग लिया और विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार वितरित भी किये ।

उन्होंने जोर देकर कहा कि हम सभी एक ही परिवार के घटक है, क्योंकि हम सब भारत माता के बच्चे हैं, अतः हमें नफ़रत की भावना को जड़ मूल से उखाड़ फेंकना चाहिए । भारत माता ही वह प्रमुख कारक तत्व है,जो हमें एकजुट और निर्भय कर सकती है | हमारी एक जुटता ही हमें वह शक्ति दे सकती है, जिससे हम जरूरतमंदों की मदद कर सकते हैं और धर्म की रक्षा करते हुए, राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति कर सकते हैं । 

पोंगल के फसल महोत्सव के महत्व पर प्रकाश डालते हुए श्री जोशी ने कहा कि हमारे त्योहार अकेले अकेले आनंदोपभोग करने और उत्सव मनाने के लिए नहीं हैं, ये हमारी एकता का प्रतीक है | यह सूर्य के उत्तरायण होने के अवसर पर मनाया जाता है, जब से सूर्य अधिक प्रकाश और ऊर्जा देना प्रारंभ करता है | उन्होंने उपनिषद श्लोक "तमसो मा ज्योतिर्गमया" (मुझे अंधेरे से प्रकाश की ओरले जाओ) का उल्लेख किया। 

सरकार्यवाह जी ने कहा कि महाराष्ट्र में आज के दिन तिल और गुड मिलाकर बनी मिठाई का वितरण किया जाता है | जिस प्रकार तिल के साथ गुड़ मिलने से मजबूत मिठाई बनती है, जिसे काटना मुश्किल हो जाता है, उसी प्रकार जब मतभेदों को भुलाकर लोग एक साथ मिलते हैं तो समाज को मजबूती मिलती है । भारत हमारी सबकी मां इस मूल तत्व का ज्ञान ही मतभेदों को सुलझाने में मदद कर सकता है, अतः इसे बढ़ाया जाना चाहिए । 

उन्होंने आगे कहा कि "भाषा, पोशाक और यहां तक ​​कि खाने में भी मतभेद हो सकते हैं, इसके बावजूद, हिंदू विचारों का वह दर्शन जिसमें कहा गया है कि भगवान एक हैं, उसके रूप भिन्न हो सकते हैं, सबमें "प्राणशक्ति" एक ही ही, अतः हर इंसान एक समान है,यह स्मरण रखना चाहिए ।

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