बजट के केंद्र में गाँव - संजय तिवारी

स्वाधीन भारत के इतिहास में गाँव को इतना महत्त्व किसी बजट में नहीं मिला था। वितता मंत्री ने जिस तरह भाषण शुरू करने के तत्काल बाद बुनियादी बातें करनी शुरू की तो लगा कि अभी बजट का आख्यान शायद शुरू नहीं हुआ है। भारत में किसी वित्तमंत्री ने 70 वर्षों में गाँव , गरीबी , खेती , किसानी , मछली पालन , पशुपालन , बांस के उत्पादन आदि विषयो पर इतने समय तक कभी नहीं बोला था। जब प्रधानमंत्री बजट भाषण पढ़ रहे थे तब संसद में बिहार के सांसद हुकुमदेव नारायण सिंह यादव का वह पुराना भाषण याद आ रहा था जिसे उन्होंने तीन साल पहले इसी वित्तमंत्री के बजट पर चर्चा के दौरान दिया था। उनका भाषण इतना चित्रमय था की तब खुद वित्तमंत्री अरुण जेटली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक खुल कर हंसाने से खुद को नहीं रोक पाए थे। लेकिन तब यह किसी को आभास नहीं था कि आने वाले दिनों में ऐसा बजट लेकर आएंगे जिसमे हुकुमदेव नारायण जी के सभी मुद्दे करीने से केंद्रीय स्थान में होंगे और उसके दम पर मोदी सरकार देश को महाशक्ति बनाने की तैयारी में होगी। 

देश की अधिसंख्य आबादी को स्वास्थ्य बीमा के अधीन करना , गांव में बिजली, पानी , नेटवर्क , सड़क , अस्पताल , रोजगार और विकास के सभी उपक्रम मुहैया करना , खेती को सुधारने के लिए राष्ट्रीय अभियान की तरह कार्यक्रम तैयार करना , छोटे उद्योगों को कई तरह की सुविधाएं प्रदान करना , खेती और गाँव के लिए 11 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त व्यवथा करना , खेती को सुगम बनाने के साथ ही हर दशा में कृषि उत्पादों के लिए आवश्यक बाजार उपलब्ध करने जैसी घोषणाएं यू ही तो नहीं हैं। जिस प्रकार से खेती को बिलकुल उद्योग की तरह एक बड़े महत्वपूर्ण सेक्टर के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गयी है वह गाँव और ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल देने जैसी है। सरकार की यह नीति शहरो में बढ़ रही बेतहाशा भीड़ को भी रोकेगी और रोजगार के असीमित अवसर भी पैदा करेगी। ध्यान देने वाली बात है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ बी नया ग्रामीण बाजार ई-नैम बनाने का ऐलान किया गया। फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के लिए 1400 करोड़ के साथ ऑर्गेनिक फार्मिंग पर जोर देने पर प्रतिबद्धता जताई।आलू, प्याज और टमाटर के लिए ऑपरेशन ग्रीन लांच किया जाएगा। इसके लिए 500 करोड़ रुपए का प्रस्ताव है।जिला स्तर पर विशिष्ट कृषि उत्पादन का कलस्टर मॉडल विकसित होगा। 42 मेगा फूड पार्क बनाए जाएंगे। बांस की पैदावार बढ़ाने के लिए 590 करोड़ किसानों को दिए जाएंगे। सरकार अतिरिक्त सोलर पावर खरीदेगी पशु मछली पालन के लिए 10 हजार करोड़ रुपए का फंड फूड प्रॉसेसिंग सेक्टर के लिए 1400 करोड़ रुपये का आवंटन किया जाएगा। कृषि उत्पादों के निर्यात को 100 अरब डॉलर के स्तर तक पहुंचाने का लक्ष्य। 22 हजार मंडियों को एपीएमसी के मौजूदा प्रावधानों से दूर कर बाजार को किसानों के दर तक पहुंचाने की कोशिश पर जोर दिया गया है। 

इसी प्रकार वित्तमंत्री ने 50 करोड़ लोगो के स्वास्थ्य को बीमा के दायरे में रखा है। इतनी बड़ी आबादी को प्रतिव्यक्ति 5 लाख रुपये की दर से बीमा में शामिल करना बहुत बड़े साहस का काम है। आरोग्य भारत यानी आयुष्मान भारत की यह परिकल्पना भारत की दशा और दिशा दोनों बदल देगी। स्वास्थ्य सेक्टर में और भी कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गयी हैं। महिलाओ के लिए उज्ज्वला योजना में तीन करोड़ की वृद्धि की गयी है। उज्जवला योजना का लक्ष्य बढ़ाकर 8 करोड़ किया गया। चार करोड़ गरीब घरों में बिजली कनेक्शन देंने का ऐलान। अब तक 6 करोड़ शौचालय बनाए जा चुके हैं। इसके अलावा 2 करोड़ शौचालय और बनाएंगे। 2022 तक हर गरीब को घर देने के ऐलान के साथ ही 51 लाख नए घर बनाए जाएंगे। शहरी क्षेत्रों में 37 लाख मकान बनाने को मंजूरी दी गई है। भारतीय रेल को और भी सुदृढ़ किया जा रहा है। स्टेशनों को सुविधा सम्पन्न बनाया जा रहा है। वायु मार्गो के लिए अलग से प्रबंध किये जा रहे हैं। कर के क्षेत्र में फिलहाल कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है। बजट में प्राविधान किया गया है कि हर साल 1 हजार बीटेक स्टूडेंट्स को छात्रवृत्ति मिलेगी। शिक्षकों के लिए एकीकृत बीएड कोर्स की शुरुआत होगी। एक हजार छात्रों को मिलेगा आईआईटी से पीएचडी करने का मौका। बच्चों स्कूल पहुंचाना सरकार का बड़ा लक्ष्य है। प्री नर्सरी से 12 वीं तक एक शिक्षा नीति डिजिटल पढ़ाई को बढ़ावा आदिवासी बच्चों के लिए एकलव्य स्कूल की स्थापना की जाएगी।

यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि इस बजट के जरिए सरकार ने जनसामान्य की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश की है। उदाहरण के तौर पर अन्नदाताओं को होने वाली दिक्कतों के समाधान और रास्ते के लिए जिस तरह से एमएसपी और बाजार भाव के अंतर को पाटने की तरकीब सुझायी गयी है। वो गेमचेंजर साबित होने वाली है।स्वास्थ्य के क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा ऐलान किया गया है। इसमें सच्चाई भी है कि देश की आजादी के 70 साल बाद भी आबादी का बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य सुविधाओं से महरूम रहा है। अगर मौजूदा सरकार की नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम जमीन पर पहुंचने में कामयाब होती है तो नए भारत के सपने को हकीकत में बदलना आसान होगा।कुछ विशेषज्ञों की नजर में यह बजट चुनावी लगता है लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ दिख नहीं रहा। यदि चुनावी बजट होता तो मध्य वर्ग के आय कर स्लैब पर जरूर निगाह राखी होती। वास्तव में यह बजट बड़े ही सहस और कड़े संकल्प के प्रति प्रतिबद्ध दिखता है।

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