रामजन्मभूमि के नाम पर लहलहाती षडयंत्रों की फसल !



एक ओर तो लगातार सर्वोच्च न्यायालय में अयोध्या प्रकरण पर निर्णय टलता जा रहा है और दूसरी तरफ अनेक लोग अदालत के बाहर मामले को सद्भावना पूर्वक निबटाने के नाम पर अपने सियासी और आर्थिक हित साधते प्रतीत हो रहे हैं | 

इसका एक ताजातरीन उदाहरण सामने आया है | पाठकों को स्मरण होगा कि पिछले दिनों अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक कार्यकारी सदस्य मौलाना सलमान हसन नदवी के एक बयान ने उथल पुथल मचा दी थी कि इस्लाम में मस्जिद को स्थान परिवर्तन की व्यवस्था है, अतः बाबरी मस्जिद को अन्यत्र बनाने में कोई अड़चन नहीं है | 

नदवी ने शुक्रवार को शुरू हुई बोर्ड की 26वीं पूर्ण बैठक की पूर्वसंध्या पर बेंगलुरु में आध्यात्मिक गुरु और अयोध्या मामले में मध्यस्थता कर रहे श्री श्री रविशंकर से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने यह प्रस्ताव रखा था कि छह दिसंबर, 1992 तक जिस जमीन पर बाबरी मस्जिद खड़ी थी, उस जमीन को राम मंदिर निर्माण के लिए छोड़ देना चाहिए और किसी और जमीन पर मस्जिद का निर्माण करना चाहिए। 

इसके बाद चालू हुआ प्रतिक्रियाओं का दौर | 

सबसे पहली प्रतिक्रिया आई एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की | ओबेसी ने कहा कि कुछ लोग मोदी के इशारों पर नाच रहे हैं। वह (नदवी) कह रहे हैं कि उनके प्रस्ताव से देश में शांति और एकता सुनिश्चित होगी। क्या हम अरब में एकता के नाम पर मस्जिद-ए-अक्सा को भी छोड़ दें। इतना ही नहीं तो ओवैसी ने मंदिर के लिए बाबरी मस्जिद की जमीन छोड़ देने वालों के सामाजिक बहिष्कार का भी आह्वान किया। 

ओवैसी ने कहा कि नदवी उन मौलवियों में से हैं, जिन्होंने 2001 में उस फतवे पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें कहा गया था कि मस्जिद को अनंत काल तक के लिए मस्जिद ही रहने देना चाहिए और मुसलमान बाबरी मस्जिद की जमीन नहीं छोड़ सकते। 

अगली प्रतिक्रिया आई ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की, जिसने कोर्ट के बाहर बातचीत के जरिए अयोध्या विवाद की सुलह का फॉर्म्युला बताने वाले मौलाना सलमान नदवी को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सदस्यता से बर्खास्त कर दिया | बोर्ड ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि बाबरी मस्जिद इस्लाम का महत्वपूर्ण हिस्सा है। मुस्लिम मस्जिद को कभी छोड़ नहीं सकते। न ही मस्जिद के लिए जमीन को बदल सकते हैं और न ही मस्जिद की जमीन किसी को तोहफे में दे सकते हैं। बोर्ड ने कहा, 'बाबरी मस्जिद एक मस्जिद है और कयामत तक मस्जिद रहेगी। उसे शहीद करने से उसकी पहचान नहीं खो जाती।' 

शिया वक्फ बोर्ड ने की AIMPLB को बैन करने की मांग 

रविवार को लखनऊ में शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को बैन करने की मांग की थी। लखनऊ में एक बड़ा बयान देते हुए वसीम रिजवी ने कहा था कि एआईएमपीएलबी आतंकी संगठनों की एक शाखा है और इसे बैन किया जाना चाहिए। 

लेकिन प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब आया, जब अयोध्या सद्भावना समन्वय महा समिति के अध्यक्ष अमरनाथ मिश्रा ने दावा किया कि अयोध्या में विवादित जमीन पर राम मंदिर का समर्थन करने वाले अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पूर्व कार्यकारी सदस्य मौलाना सलमान हसन नदवी ने अयोध्या में ही एक और मस्जिद बनाने के लिए जमीन, पैसा और राज्यसभा सांसद का पद मांगा था। 

कौन हैं अमरनाथ मिश्रा 

अमरनाथ अयोध्या सदभावना समन्वय समिति के महासचिव हैं। समिति को श्री श्री रविशंकर की पहल पर बनाया गया था। इस समिति का मुख्य काम इस विवाद को कोर्ट के बाहर सुलझाने की कवायद करना है। अमरनाथ अस्सी और नब्बे के दशक में कांग्रेस के समर्थक माने जाते थे । अमरनाथ का इस विवाद के दो अहम पक्षकार राम जन्म भूमि न्यास और र्निमोही अखाड़े से तकनीकी तौर पर कभी कोई संबंध नहीं रहा है, किन्तु अमरनाथ के घर पर श्री श्री रविशंकर ने कई अहम बैठकें की थीं। 

अमरनाथ के अनुसार पांच फरवरी को लखनऊ के नदवा कॉलेज में उनकी मौलाना नदवी से मुलाकात हुई थी। उन्होंने इस मुलाकात में हमसे कहा हिंदु पक्षकारों की तरफ से जो प्रस्ताव हों वह हमें लिखकर दे दें, इन प्रस्तावों पर बोर्ड की होने वाली बैठक में चर्चा की जाएगी। अमरनाथ के मुताबिक उन्होंने यह प्रस्ताव मौलाना नदवी को लिखकर दे दिया था। मौलाना ने यह प्रस्ताव मीडिया में लीक कर दिया जिससे बोर्ड मौलाना से नाराज़ हुआ, मौलाना को इस प्रस्ताव पर पहले बोर्ड में डिस्कस करना चाहिए था। यही नहीं मौलाना इस बैठक से पहले श्री श्री रविशंकर से मिलने बंगलुरु भी गए थे। 

अमरनाथ के अनुसार मौलाना से उनकी पांच फरवरी की मुलाकात के दौरान इमाम कौंसिल के महासचिव हाजी मसरूर खान भी मौजूद थे। जब उन्होंने हमसे प्रस्ताव मांगा था तो साथ में पांच हज़ार करोड़ रुपये, दौ एकड़ ज़मीन और राज्यसभा की सीट मांगी थी। अमरनाथ ने इस मसले में मुख्यत: पांच आरोप लगाए हैं। 

इसमें सबसे पहला आरोप है कि मौलाना नदवी ने राम जन्मभूमि पर अपना पक्ष बदलने की एवज में पांच हज़ार करोड़ रुपये मांगे। दूसरे उन्होंने 200 एकड़ ज़मीन मांगी। तीसरे मौलाना ने उनसे राज्य सभा की सीट देने की भी मांग की। चौथे,मौलाना नदवी ने अपना यह प्रस्ताव सबसे पहले श्री श्री रविशंकर के सामने रखा था। पांचवे, इस प्रस्ताव की एवज में श्री श्री रविशंकर के दफ्तर से यह जवाब आया कि अयोध्या मसला केवल सदृभाव या सौहार्द से ही सुलझ सकता है। किसी डील से नहीं। 

मौलाना नदवी ने अमरनाथ के सारे आरोपों को खारिज़ करते कहा कि वह अमरनाथ या हाजी मसरूर खान को नहीं जानते हैं। मौलाना नदवी के अनुसार अमरनाथ झूठ बोल रहे हैं। नदवी ने इस परे मामले को साजिश करार दिया। किन्तु साथ ही नदवी ने इन आरोपों को लगाने वाले अमरनाथ पर कानूनी कार्रवाई करने से भी मना कर दिया। 

नदवी ने मिश्रा पर आरोप लगाया कि मिश्रा इस तरह के मुद्दे उठाकर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच तनाव बरकरार रखना चाहते हैं। नदवी ने कहा, 'इस तरह के लोग नहीं चाहते कि अयोध्या में राम मंदिर या मस्जिद बने। वह शैतान हैं और उनका एक मात्र काम ईश्वर के कार्य में तनाव पैदा करना है। वह इस बात से भयभीत हैं कि हिंदू और मुस्लिम एकजुट हो जाएंगे। वह जानते हैं कि मैं अकेला ऐसा शख्स हूं जो यह मुद्दा उठा रहा हूं।' 

सलमान नदवी के कहा 'मैंने ऐलान किया कि मैं उन लोगों के साथ नहीं हूं, जो लड़ाई और दंगा चाहते हैं, बल्कि मैं उन लोगों के साथ हूं जो भाईचारा चाहते हैं और साथ ही यह भी चाहते हैं कि बातचीत से इस मसले को हल कर दिया जाए। हमारी अगली बैठक अयोध्या में होगी और तमाम साधु-संतों के साथ इस फैसले को आगे बढ़ाया जाएगा।' 

उन्होंने कहा 'ये लड़ाई पूरी कौम के साथ होगी और मैं अयोध्या जाकर लोगों से मुलाकात करूंगा। शरीयत में मस्जिद को दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने का प्रावधान है। इसलिए मैं चाहता हूं कि इस मामले का कुछ ऐसा समाधान हो जो यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में अब हिन्दुस्तान में किसी भी मस्जिद को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा और दोनों कौमें आपस में ऐसे मुद्दों पर मतभेद पैदा नहीं करेंगी।' 


इस बीच बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने घूस लेने के आरोपों पर कहा कि मैं पहले से कहता रहा हूँ कि जो भी मुस्लिम नेता मेल-मिलाप की बात करेगा, उसे घूस माना जाएगा।' 

प्रकरण में हो रही उथल पुथल और इसमें छुपी संभावनाएं  – 

पहली तो यह कि कुछ लोग हैं, जो मामले को सुलझाने की हर कोशिश के खिलाफ हैं | वे कोर्ट में मामले पर निर्णय होने देना नहीं चाहते और कोर्ट के बाहर सद्भावनापूर्ण पारस्परिक सहमति होते देखना भी उन्हें गवारा नहीं | 

किन्तु साथ ही यह भी संभव है कि कुछ लोग इसमें अपनी राजनैतिक और आर्थिक उन्नति के अवसर देख रहे हों | 

सर्वमान्य हल की आड़ में अयोध्या को नया मुस्लिम केंद्र बनाने की योजना भी हो तो कोई अचम्भा नहीं |

ऐसे में बहुत याद आते हैं, दो टूक बात कहने वाले स्व. अशोक जी सिंघल |
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