संघ कार्यपद्धति दर्शाती है सामाजिक समरसता का तरीका – टाईम्स ऑफ़ इण्डिया में प्रकाशित समाचार पर आधारित



समाचार छोटा भले, पर भाव भरे गंभीर, 
संघ कार्य पावन अति, ज्यूं गंगा का नीर | 

50 वर्षीय मोहम्मद अफजल उस समय अचंभित हो गए जब रविवार 25 फरवरी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुछ स्वयंसेवक, मेरठ के रोहाटा रोड इलाके में स्थित उनके घर पर पहुंचे और उनसे आरएसएस के विराट राष्ट्रोदय सम्मेलन में आने तथा सम्मेलन में भाग लेने दूर दूर से आये स्वयंसेवकों के लिए दो पैकेट भोजन देने हेतु आग्रह किया | अफजल को अत्यंत प्रसन्नता हुई और उन्होंने पूछा कि क्या वे दो के स्थान पर चार पैकेट भोजन दे सकते हैं ? 

संघ स्वयंसेवकों के लिए तो यह सामान्य बात है कि वे हर बड़े कार्यक्रम में भोजन व्यवस्था इसी प्रकार समाज के हर वर्ग से करते है, यही उनका छुआछूत और अस्पृश्यता मिटाने का तरीका है | मेरठ में आयोजित इस कार्यक्रम में 3 लाख से अधिक स्वयंसेवकों ने भाग लिया तथा उनके लिए 6 लाख भोजन पैकेट मेरठ के 3 लाख से ज्यादा परिवारों से संकलित किये गए | स्वाभाविक ही इन परिवारों में हर धर्म, जाति और वित्तीय पृष्ठभूमि के लोग सम्मिलित थे । पैकेट में रोटी, पूड़ी, पराठा, क्या हो यह उन परिवारों पर ही छोड़ा गया था | आरएसएस स्वयंसेवकों ने शहर के विभिन्न घरों में पूर्व से ही वितरित की गईं भोजन की थैलियाँ शनिवार शाम से एकत्रित करना प्रारम्भ कर दिया था तथा रविवार को कार्यक्रम के दौरान सम्मेलन में भाग लेने वाले स्वयंसेवकों के बीच वितरित किया गया । हर पैकेट में छः रोटी या आठ पूड़ी रखने का आग्रह किया गया था | 

पेशे के एक वकील अफजल की प्रतिक्रिया थी कि मैं धर्म और जाति से ऊपर उठकर शहर में आयोजित होने वाले अब तक के सबसे बड़े इस कार्यक्रम हेतु अपना छोटा सा योगदान करना चाहता था। आखिरकार, यहां एकत्र होने वाले लाखों हमारे मेहमान ही तो हैं । अतः मेरी पत्नी ने यह सुनिश्चित किया है कि परांठे और पूड़ियों का आटा एकदम ताजा हो, ताकि जब वह मेहमानों तक पहुंचे, वह कड़े न हो पायें । 

सूरजकुंड क्षेत्र की वाल्मीकि बस्ती में गणेश भवर के निवास पर भी भोजन के पैकेट की तैयारी चल रही थी। भवर मेरठ नगर निगम में एक स्वच्छता कर्मी के रूप में काम करते है। खाना बनाने की जिम्मेदारी में संलग्न उनकी बेटी सुजाता भवर ने कहा कि यह हमारे लिए अत्यंत सम्मान की बात है कि जो खाना हम तैयार करेंगे वह उन लोगों के बीच वितरित किया जाएगा जो आरएसएस की बैठक में भाग लेने वाले हैं । हमारा पैकेट किसी भी अन्य जाति, धर्म या हैसियत के व्यक्ति तक पहुँच सकता है, वह अमीर भी हो सकता है, गरीब भी, लेकिन पैकेट में किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं होगा और यह सभी धर्मों, जातियों और पृष्ठभूमि के लोगों को एक साथ लायेगा। 

आरएसएस स्वयंसेवकों द्वारा कम से कम दो और अधिकतम चार पैकेट वितरित किए गए थे, और इस प्रकार कुल 6 लाख भोजन पैकेट तैयार किए गए, जो न केवल आरएसएस के सदस्यों बल्कि उपस्थित पुलिसकर्मियों तथा अन्य लोगों के बीच भी वितरित किये गए ।
आरएसएस की महिला शाखा राष्ट्र सेविका समिति की बौद्धिक प्रमुख पायल अग्रवाल ने बताया कि हमें शहर के सभी घरों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली । केवल उन लोगों ने पैकेट स्वीकार नहीं किये, जिनके यहाँ खाना पकाने वाला कोई नहीं था | हमने सब्जियां कार्यक्रम स्थल पर ही तैयार की थी जिसे पानी की बोतल के साथ हर पैकेट के साथ जोड़ दिया गया । 

महर्षि वाल्मीकि बुद्धिजीवी मंच के महासचिव सुंदर लाल भ्रुन्दा ने कहा कि इस घटना से अस्पृश्यता का पूरा मुद्दा ही समाप्त हो गया है, क्योंकि सभी धर्मों और जातियों के लोग इस कार्यक्रम के लिए एक साथ आए । भ्रुन्दा की पत्नी ने भी कार्यक्रम के लिए भोजन के पैकेट तैयार किये | 

सौजन्य: टाइम्स ऑफ इंडिया

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें