नीरव मोदी बैंक घोटाले की तथाकथा |



आजकल नीरव मोदी का नाम भारतीय फिजा में छाया हुआ है | जैसी कि आम भारतीय की आदत है कि वह अपराधी से अधिक सरकारों को कोसने में जुट जाते हैं कि आखिर उन्होंने अपराध होने कैसे दिया | अब यहाँ भी दो समूह बन गए हैं | एक समूह कांग्रेस नीत यूपीए को कोस रहा है, तो दूसरा नरेंद्र मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने की जीतोड़ कोशिश में जुटा हुआ है | यह समझने का प्रयत्न तो कम ही लोग कर रहे हैं, कि अपराधी ने अपराध किया कैसे और तंत्र की उन खामियों को दूर कैसे किया जाये या सरकारें तंत्र के उन लूप होल्स को भरने का कोई प्रयत्न भी कर रही है या नहीं | तो आईये सबसे पहले उस प्रक्रिया को समझते हैं, जिसके चलते धनपति धन कुबेर बनते हैं और बैंकों में जमा आम भारतीय का पैसा डकारते हैं | 

बैंक गारंटी एक ऐसा प्रावधान है, जिसमें बैंक अपने ग्राहक को एक लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग (एलओयू) देता है, जिसके उपरांत वह किसी अन्य भारतीय बैंक की विदेशी शाखा से अल्पकालिक ऋण के रूप में धन प्राप्त कर पाता है। एलओयू प्रदान करने वाला बैंक एक प्रकार से उस व्यक्ति का गारंटर होता है, अर्थात अगर किसी कारण से वह व्यक्ति धन वापस नहीं कर पाता तो बैंक धन वापस करेगा, यही एलओयू का अर्थ होता है | एलओयू में क्रेडिट की सीमा का भी उल्लेख होता है, और साथ ही एलओयू देने वाला बैंक उपभोक्ता से मार्जिन मनी भी जमा करवाता है | किन्तु नीरव मोदी के प्रकरण में ख़ास बात यह है कि उसको मुंबई में पीएनबी की ब्रैडी रोड शाखा द्वारा जो एलओयू जारी किया गया, उसमें क्रेडिट सीमा का कोई उल्लेख ही नहीं है और ना ही उसने कभी कोई मार्जिन मनी ही जमा कराई | 

बस फिर क्या था नीरव मोदी ने अपनी तीन कंपनियों, डायमंड आर (यू एस), सोलर एक्सपोर्ट्स और स्टेलर डायमंड के नाम पर नियमित रूप से अपने कच्चे माल के आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान करने में कामयाबी हासिल की । PNB की इस फ़्रॉड गारंटी पर 6 बैंकों ने कर्ज दिया

यूनियन बैंक - 2,300 करोड़
इलाहाबाद बैंक - 2,000 करोड़
एक्सिस बैंक - 2000 करोड़
SBI - 960 करोड़

केनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी कर्ज दिया

और मजे की बात यह कि सीबीआई जांच के पूर्व तक पंजाब नेशनल बैंक ने इस बात की कोई चिंता भी नहीं की, कि मोदी महाशय द्वारा उठाये गए ऋण का भुगतान भी हो रहा है या नहीं | बस हमारे ये आधुनिक युग के महानायक धडाधड बेंकों की विदेशी ब्रांचों से ऋण प्राप्त करते रहे, और बापसी की तो कोई कहने सुनने वाला था ही नहीं | 

अब जैसा कि स्वाभाविक है कल 15 फरवरी को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पीएनबी को निर्देशित किया है कि वह उन सभी बैंकों को भुगतान करे, जिन्होंने उसके द्वारा दिए गए एलओयू के आधार पर मोदी की फर्म को कर्ज प्रदान किया हैं। 

आखिर इस धोखाधड़ी का खुलासा कैसे हुआ ? 

· जनवरी में, धोखाधड़ी का पता तब चला, जब मोदी की फर्म ने विदेशी आपूर्तिकर्ताओं के भुगतान के लिए आगे एलओयू के नवीनीकरण का अनुरोध किया । इसके बाद बैंक के वर्तमान अधिकारियों की जानकारी में यह तथ्य आया कि पिछले समय कुछ पीएनबी कर्मचारियों की मिलीभगत से किस प्रकार नियमों को दरकिनार कर गारंटी के एलओयू जारी किए गए थे। उसके बाद बैंकिंग नियमों का उल्लंघन संबंधी शिकायत 29 जनवरी को सीबीआई के समक्ष दर्ज हुई, जिसमें बैंक को धोखा देकर 280 करोड़ (43.8 मिलियन डॉलर) रुपयों की हेराफेरी का आरोप है । और उसके बाद 31 जनवरी को सीबीआई ने नीरव के खिलाफ केस दर्ज कर लुकआउट नोटिस जारी किया | 

बात इतने पर ही नहीं थमती है | जैसे ही नीरव मोदी को भनक लगी, उसने व उसके परिवार ने एक एक कर देश छोड़ दिया और न्यूयार्क जा पहुंचे – 

· 1 जनवरी 2018 को नीरव मोदी ने देश छोड़ा 

· 1जनवरी को 2018 को ही नीरव मोदी के भाई निश्चल मोदी (बेल्जियम के नागरिक) ने भारत छोड़ा 

· 4 जनवरी को नीरव के मामा मेहुल चोकसी ने देश छोड़ा 

· 6 जनवरी 2018 को नीरव मोदी की पत्नी (अमेरिकी नागरिक) ने देश छोड़ा 

· उपरोक्त सभी धोखाधड़ी के इस प्रकरण में आरोपी हैं | 

नीरव मोदी का इतिहास...

2008 में एक मित्र के अनुरोध और सहयोग से महिलाओं के कान के डिज़ाइनर बुन्दे बनाकर बेंचने से ज्वेलरी के अपने धन्धे की शुरुआत करनेवाले नीरव मोदी ने 2010 में ज्वैलरी के अपने धन्धे की विधिवत शुरुआत की थी। और जेट गति से दौलत की सीढ़ियां चढ़ते हुए केवल 3 साल बाद 2013 में नीरव मोदी भारत के शीर्ष 100 अरबपतियों की सूची में दाखिल हो गया । और जैसा कि पूर्व में उल्लेख किया गया है, उनकी इस तूफानी रफ्तार में बैंक धोखाधड़ी और जालसाज़ी सबसे बड़ी कारक तत्व थी ।

अगर थोडा सा ध्यान दिया जाए तो यह तथ्य स्पष्ट होता है कि नीरव मोदी ने यूपीए शासनकाल में ही अपनी प्रगति की रफ़्तार हासिल की | 2013 में भारत के शीर्ष सौ अरबपतियों की फोर्ब्स सूची में नीरव मोदी का स्थान 64वां था और उसकी संपत्ति थी 101 करोड़ डॉलर यानि लगभग 6455 करोड़ रूपये की । यहां एक बात ध्यान देने योग्य है और वह यह कि 2012 में भारत के शीर्ष सौ अरबपतियों की फोर्ब्स की सूची में अन्तिम स्थान (100वां) पाने वाले होटल व्यवसायी पृथ्वीराज सिंह ओबेरॉय की सम्पत्ति 46 करोड़ डॉलर अर्थात लगभग 2940 करोड़ रू थी। अर्थात दूसरे शब्दों में कहें तो 2012 में नीरव मोदी की सम्पत्ति 2940 करोड़ रुपयों से से तो कम थी ही, अन्यथा उसका स्थान 2012 में ही फ़ोर्ब्स सूची में आ गया होता । तो अब सवाल उठता है कि 2013 में उसकी सम्पत्ति में अचानक ही लगभग 3500 करोड़ रूपयों की जबरदस्त वृद्धि कैसे हुई और वो 6455 करोड़ रूपये हो गयी। 

इसके बाद 2014 में भी नीरव मोदी की सम्पत्ति में 51 करोड़ डॉलर अर्थात लगभग 3260 करोड़ रूपयों का प्रचण्ड उछाल आया और वो 152 करोड़ डॉलर या 9715 करोड़ रू हो गयी और वह भारत के शीर्ष 100 अरबपतियों की फोर्ब्स सूची में एक स्थान की तरक्की के साथ 63वें स्थान पर पहुंच गया। यानी केवल 2 वर्षों मेँ उसकी सम्पत्ति में लगभग 6760 करोड़ रूपयों की वृद्धि हुई। अर्थात यूपीए के शासन में 2013 और 2014 में नीरव मोदी की सम्पत्ति में औसतन कम से कम 3380 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष की वृद्धि हुईं। 

अब देखने योग्य बात यह है कि 26 मई 2014 को केन्द्र में मोदी सरकार बनने के बाद नीरव मोदी की सम्पत्ति में वृद्धि की रफ्तार क्या रही.? 

इसका आंकड़ा भी फोर्ब्स द्वारा जारी की गयी 2017 में भारत के शीर्ष 100 अरबपतियों की सूची से मिल जाता है। 2015 से 2017 तक के तीन वर्षों में नीरव मोदी की सम्पत्ति में केवल 21 करोड़ डॉलर यानी लगभग 1341 करोड़ रू की वृद्धि हुई, और फोर्ब्स की सूची में वो 63वें स्थान से नीचे खिसक कर 85वें स्थान पर पहुंच गया। यानि तीन वर्षों में उसकी सम्पत्ति केवल 1341 करोड़ रूपये ही बढ़ी। अर्थात उसकी सम्पत्ति औसतन 447 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष बढ़ी। 

यहां उल्लेखनीय यह भी है कि 26 मई 2014 में सरकार बनने के बाद मोदी सरकार की नीतियों और कार्रवाई का असर 2015 में दिखना शुरू हुआ और नीरव मोदी की सम्पत्ति बढ़ने के बजाय 12 करोड़ डॉलर,लगभग 767 करोड़ रू घट गई । किन्तु 2016 में एकबार फिर नीरव मोदी धोखाधड़ी की बाजीगरी करने में सफल हुआ और उसकी सम्पत्ति में 34 करोड़ डॉलर(लगभग 2172 करोड़ रू) की वृद्धि हुई। और उसकी सम्पत्ति बढ़कर 174 करोड़ डॉलर(11120 करोड़ रू) हो गयी। 

लेकिन लेकिन नवम्बर 2016 की नोटबन्दी के बाद 2017 में एकबार फिर उसकी सम्पत्ति में कोई वृद्धि नहीं हुईं। इसके बजाय उसकी सम्पत्ति में 1 करोड़ डॉलर(63.9 करोड़ रू) की कमी आयी और वो घटकर 173 करोड़ डॉलर( 11056 करोड़ रू) हो गयी। और 2017 का अंत होते होते उसपर शिकंजा कसता गया। अन्ततः जनवरी 2018 में उसकी धोखाधड़ी जालसाज़ी बैंक घोटाला पकड़ा गया।

मतलब साफ़ है कि नीरव मोदी के बैंक घोटाले का खेल यूपीए के शासन में 2011 में शुरू हुआ और भाजपा नीत एनडीए शासनकाल में उसकी धोखाधड़ी और जालसाज़ी का पटाक्षेप हुआ । 

हालांकि कुछ तथ्य और भी हैं, जो इन धनपशुओं के हाथों की लम्बाई को उजागर करते हैं | नीरव मोदी की पत्नी अमी ने अमरीका के फिलाडेल्फिया के व्हार्टन बिजनेस स्कूल में अध्ययन किया | यह वही विद्यालय है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने भी अपनी पढ़ाई की । डोनाल्ड ट्रम्प के साथ उनके सम्बन्ध महज इतने ही नहीं हैं, इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2015 में न्यूयॉर्क के मैडिसन एवेन्यू में उसकी पहली दुकान का उद्घाटन किया था। जानी मानी अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा उसकी वैश्विक प्रमोटर हैं । नीरव मोदी के ग्राहकों की लंबी सूची में विश्व की जानी मानी सख्शियतें शामिल है - केट विंसलेट, स्टीवन स्पीलबर्ग, शेरोन स्टोन और ऐश्वर्या राय आदि । 

मोदी के लंदन, न्यूयॉर्क, लास वेगास, हवाई, सिंगापुर, बीजिंग और मकाऊ में तथा भारत के मुंबई और दिल्ली में ज्वेलरी स्टोर हैं | उसके हीरे जडित गहने 5 लाख रु से लेकर 50 करोड़ रु. तक की कीमत के होते हैं | 

साभार आधार - एनडीटीवी और श्री सतीश चन्द्र मिश्रा की फेसबुक पोस्ट !
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