शिवपुरी में पुनः हुआ जल क्रांति का आगाज - घोषणा नहीं अब अमल चाहिए, श्रेय की राजनीति नहीं, सूखे कंठों को जल चाहिए ! !




शिवपुरी में गहराती पेयजल समस्या और लगातार मिल रहे आश्वासनों के झुनझुनों से उकताई जनता के सब्र का बाँध आखिर टूट ही गया | राजनेताओं को दरकिनार कर एक बार फिर सामाजिक संस्था पब्लिक पार्लियामेंट के बैनर तले शहर के जागरूक आम जिम्मेदार नागरिक संगठित हो गए हैं | स्मरणीय है कि आज से तीन वर्ष पूर्व भी जल समस्या के निदान हेतु एक अभूतपूर्व जन आन्दोलन शिवपुरी में प्रारम्भ हुआ था, जिसके चलते तमाम दलों के राजनीतिक नेता विवश हुए थे और सिंध पेयजलआपूर्ति योजना धरातल पर आई थी | संवेदन हीन शासन प्रशासन और राजनीति के बहरे कान तभी सुनते हैं, जब जन आन्दोलन का धमाका होता है |


एक बार फिर यही हुआ है | आज आम नागरिकों की एक स्वतःस्फूर्त रैली पुराने बस स्टैंड प्रांगण से प्रारम्भ हुई | इन लोगों ने पहले कलेक्ट्रेट एवं उसके पश्चात नगर पालिका पहुँच कर प्रशासन को स्पष्ट शब्दों में चेताया कि अब बस बहुत हुआ, यदि अब भी शहर वासियों को जीवन जीने के लिए आवश्यक जल उपलब्ध नहीं कराया गया तो एक माह के बाद पुनः जल क्रांति आन्दोलन का आगाज किया जायेगा और इस बार यह आन्दोलन पिछली बार की तुलना में और अधिक उग्र होगा एवं तब तक जारी रहेगा जब तक कि शहर वासियों को पेय जल उपलब्ध नहीं हो जाता ! अब धरातल पर काम चाहिए, वायदों से मत बहलाईये |


ज्ञात हो कि 26 जून 2009 को शिवपुरी की पेयजल समस्या के समाधानके लिए मड़ीखेड़ा से शिवपुरी पानी लाने की योजना सिंध जलावर्धन योजना स्वीकृत हुई, जिसे 25 सितम्बर 2011 तक दो वर्षों में पूर्ण हो जाना था किन्तु क्रियान्वयन करने वाले अमले की अलाली और लापरवाही पूर्ण रवैये के चलते पूरे 9 वर्ष गुजर जाने के बाद भी जहां यह योजना अधूरी है वहीं शहर के नागरिकों के कंठ प्यासे हैं ! एक ओर तो भीषण जल समस्या के चलते शहर का आम नागरिक पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर रहा है, वहीं इस योजना कर्ता-धर्ता नित नए बहाने बनाकर अपना पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं ! 


जो काम दो वर्ष के भीतर पूरा होना था उसमें 9 वर्ष लगा दिए जाना और करोड़ों रूपए का बजट अतिरिक्त खपा दिए जाने का जिम्मेदार कौन है ? यह प्रश्न अब शहर की जनता प्रशासन से “पब्लिक पार्लियामेंट” के द्वारा पूछ रही है ! कभी नेशनल पार्क के बहाने तो कभी इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए जिम्मेदार दोशियाँ कंपनी की हीलाहवाली के चलते, कभी नगर पालिका की लापरवाही तो कभी नेताओं के द्वारा बटन दबाने की राजनीति के चलते शहर वासियों को ९ वर्ष के बाद भी जल समस्या से निजात नहीं मिल पायी है ! 


आन्दोलन कारियों ने मुख्यमंत्री महोदय को एक ज्ञापन भी कलेक्टर के माध्यम से प्रेषित किया है तथा चेतावनी दी है कि अब जनता मूर्ख बनने को तैयार नहीं है | घोषणा नहीं अब अमल चाहिए, श्रेय की राजनीति नहीं, सूखे कंठों को जल चाहिए !

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