संघ के स्वयंसेवक थे शहीद राजगुरु , एक पुस्तक में किया गया दावा - संजय तिवारी

अमर शहीद राजगुरु राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयंसेवक थे ? सद्यः प्रकाशित नरेंद्र सहगल की पुस्तक 'भारतवर्ष की सर्वांग स्वतंत्रता' तो यही कह रही है। पुस्तक में दवा किया गया है कि शहीद राजगुरु तो स्वयंसेवक थे ही , नेताजी सुभाष बाबू भी संघ से बहुत प्रभावित थे। सहगल की इस पुस्तक में दावा किया गया है कि राजगुरु संघ की मोहित बोड़े शाखा के स्वयंसेवक थे। सहगल के अनुसार नागपुर के भोंसले वेदशाला के छात्र रहते हुए राजगुरु, संघ संस्थापक हेडगेवार के बेहद करीबी रहे। किताब में यह भी दावा किया गया है कि सुभाष चंद्र बोस भी संघ से काफी प्रभावित थे। 

इस पुस्तक में लेखक ने और भी बहुत कुछ तथ्य दिया है जो अभी तक कही नहीं आये थे। सहगल की यह पुस्तक इस समय काफी चर्चा में है। इसमें उन्होंने लिखा है - अखंड भारत भारतीयों के लिए भूमि का टुकड़ा न होकर एक चैतन्यमयी देवी भारतमाता है। जब तक भारत का भूगोल, संविधान, शिक्षाप्रणाली, आर्थिक नीति, संस्कृति, समाज-रचना, परसा एवं विदेशी विचारधारा से प्रभावित और पश्चिम के अंधानुकरण पर आधारित रहेंगे, तब तक भारत की पूर्ण स्वतंत्रता पर प्रश्नचिह्न लगता रहेगा। स्वाधीन भारत में महात्मा गांधीजी के वैचारिक आधार स्वदेश, स्वदेशी, स्वधर्म, स्वभाषा, स्वसंस्कृति, रामराज्य, ग्राम स्वराज इत्यादि को तिलांजलि दे दी गई। स्वाधीन भारत में मानसिक पराधीनता का बोलबाला है। देश को बाँटने वाली विधर्मी/विदेशी मानसिकता के फलस्वरूप देश में अलगाववाद, अतंकवाद, भ्रष्टाचार, सामाजिक विषमता आदि पाँव पसार चुकी हैं। संघ जैसी संस्थाएँ सतर्क हैं। परिवर्तन की लहर चल पड़ी है। देश की सर्वांग स्वतंत्रता अवश्यंभावी है। गांधीजी की इच्छा के विरुद्ध भारत-विभाजन के साथ खंडित राजनीतिक स्वाधीनता स्वीकार करके कांग्रेस का सारा नेतृत्व सासीन हो गया। दूसरी ओर संघ अपने जन्मकाल से आज तक 'अखंड भारत' की 'सर्वांग स्वतंत्रता' के ध्येय पर अटल रहकर निरंतर गतिशील है।

खास बात यह है कि इस पुस्तक की भूमिका संघ प्रमुख मोहन भगवत ने लिखी है। भूमिका में भागवत ने लिखा है - यह किताब स्वतंत्रता संग्राम में संघ की भूमिका पर सवाल उठाने वालों को जवाब देगी। हेडगेवार का जीवन भी भारत की स्वतंत्रता, एकात्मता, अखंडता और परमवैभव के लिए समर्पित देशभक्त का जीवन रहा। पिछले 92 सालों में संघ के स्वयंसेवकों ने लौकिक प्रसिद्धि से दूर रहकर भारत की स्वतंत्रता और सर्वांगीण उन्नति के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह किताब उन लोगों को जवाब देगी जो स्वतंत्रता संग्राम में संघ की भूमिका पर सवाल उठाते रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक हाल ही में नागपुर में हुई संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में भी प्रतिनिधियों को यह किताब बांटी गई। संघ लंबे वक्त से इन आरोपों से जूझ रहा है कि स्वतंत्रता संग्राम में संघ की और संघ के लोगों की कोई भूमिका नहीं थी। संघ इस तरह की किसी किताब की जरूरत शिद्दत से महसूस कर रहा था। सूत्रों के मुताबिक इसलिए संघ के लोग अब इस किताब के जरिए स्वतंत्रता संग्राम में संघ और स्वयंसेवकों की भूमिका स्थापित करने की कोशिश करेंगे। बताया जा रहा है कि नरेंद्र सहगल संघ के प्रचारक और एबीवीपी हरियाणा में संगठन मंत्री के दायित्व पर हैं

इस पुस्तक में पेज नंबर 147 में लिखा है, 'लाला लाजपत राय की शहादत का बदला लेने के लिए सरदार भगत सिंह और राजगुरु ने अंग्रेज अफसर सांडर्स को लाहौर की मालरोड पर गोलियों से उड़ा दिया। फिर दोनों लाहौर से निकल गए। राजगुरु नागपुर आकर डॉ. हेडगेवार से मिले। राजगुरु संघ के स्वयंसेवक थे। हेडगेवार ने अपने सहयोगी कार्यकर्ता भैयाजी दाणी के फार्म हाउस में राजगुरु के ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था की थी।' किताब में लिखा है कि हेडगेवार ने 26 जनवरी 1930 को देश के प्रत्येक प्रांत में स्वतंत्रता दिवस मनाने वाले नेहरु के आदेश पर प्रसन्नता प्रकट करते हुए पूरे देश में, खासकर संघ की शाखाओं में स्वतंत्रता दिवस मनाने का निर्देश दिया।' किताब में दावा किया गया है कि गांधीजी के सत्याग्रह में स्वयंसेवकों ने बढ़चढ़कर भाग लिया और खुद हेडगेवार ने भी सत्याग्रह किया। इसमें लिखा है कि 1930 में भी दशहरे के दिन पथ-संचलनों के कार्यक्रम हुए, लेकिन इस बार सभी शाखाओं में एक पत्रनुमा पेपर पढ़ा गया। इसमें स्वतंत्रता संग्राम में पूरी ताकत से कूद पड़ने का आह्वान किया गया था। 

संजय तिवारी

संस्थापक – भारत संस्कृति न्यास, नयी दिल्ली

वरिष्ठ पत्रकार 


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