राजनीतिक उठापटक के दौर में - डीएमके ने अलापा अलगाववादी सुर - बलबीर पुंज

SHARE:

संभवतः द्रमुक का मानना है कि भारतीय संघ से अलगाव का आव्हान ही उसके राजनीतिक पुनरुत्थान के लिए बीज मंत्र है। लेकिन वे भूल जाते हैं कि...



संभवतः द्रमुक का मानना है कि भारतीय संघ से अलगाव का आव्हान ही उसके राजनीतिक पुनरुत्थान के लिए बीज मंत्र है। लेकिन वे भूल जाते हैं कि बहुत पहले रामास्वामी नायकर द्वारा जोरशोर से उठाये गए द्रविड़ नाडू के मुद्दे का क्या हश्र हुआ | 

दक्षिण के चार राज्यों ने संयुक्त रूप से वित्त आयोग के समक्ष पिछले 25 वर्षों में केंद्र सरकार के विभाजित पूल के अपने हिस्से में लगातार कमी के खिलाफ आवाज उठाई थी, अब अगले कदम के रूप में यह अलगाव का आव्हान है । जबकि संविधान के 16 वें संशोधन के तहत, इस तरह के किसी भी आव्हान को अपराध ही कहा जाएगा और इस प्रकार की मांग उठाने वालों को अभियोजन का सामना करना पड़ सकता है। 

आज का खलनायक द्रविड़ मुनेत्र कझागम (डीएमके) है। यद्यपि इसके कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने इस मांग के विषय में बात नहीं की है। लेकिन डीएमके के आधिकारिक प्रवक्ता मनुराज शुनमुगसुंदरम ने इस मांग को लेकर एक लेख लिखा है, जिसने सबका ध्यान आकृष्ट किया है | स्मरणीय है कि 1 9 63 तक उनकी पार्टी का यही केन्द्रीय बिंदु था, जिसे बाद में मुख्यधारा की राजनीति में शामिल होने के लिए छोड़ दिया गया । 

डीएमके के एकछत्र नेता माने जाने वाले एम करुणानिधि अपने जीवन के नब्बे दशक पूर्ण कर चुके हैं | अब लगता है, जीवन के अंतिम दौर में अपने राजनीतिक पुनरुत्थान के लिए आख़िरी कोशिश में जुटे हैं । शनमुगासुंदरम ने अपने लेख में कहा है कि "तिरुअनंतपुरम में आयोजित दक्षिणी राज्यों के वित्त मंत्रियों के सम्मेलन में उप-राष्ट्रवाद की यह प्राकृतिक भावना और 'द्रविड़ सहयोग' का विचार स्पष्ट रूप से दिखाई दिया | आम सहमति के साथ, अलग-अलग क्षेत्रीय पहचान को एक कर मिलकर काम करने का एजेंडा तय हुआ । "उन्होंने कहा कि सम्मेलन में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और पुडुचेरी के वरिष्ठ मंत्रियों की उपस्थिति इस विचार की स्वीकार्यता को प्रदर्शित करता है। 

दूसरे शब्दों में कहें तो डीएमके आम सहमति के मुद्दों पर, इन सरकारों के साथ मिलकर काम करेगा । लेख का पूरा स्वर विभाजन का ही था। दो प्रमुख राज्यों ने सम्मेलन में भाग नहीं लिया, वे थे तेलंगाना और तमिलनाडु। लेकिन द्रमुक के प्रवक्ता उम्मीद करते हैं कि अगले महीने विशाखापत्तनम में होने वाली अगली बैठक में ये दोनों भी शामिल होंगे। 

यह पूछे जाने पर कि उनका राजनीतिक एजेंडा क्या है, उनका कहना था कि इसमें हिंदी या गोमांस के मुद्दों पर केंद्र को चुनौती देना शामिल हो सकता है। आर्थिक एजेंडा तो 15 वें वित्त आयोग के वितरण नियमों और शर्तों की समीक्षा का आव्हान है ही ।" 

स्पष्ट रूप से कोई भी इस बात से इनकार नहीं करेगा कि कुछ सामान्य समस्याओं से ग्रस्त राज्य 15 वें वित्त आयोग से अधिक धन पाने के लिए फार्मूला सुझाएँ या कुछ मुद्दों पर संशोधन के लिए आग्रह करें, यह सब कुछ स्वीकार्य है। 

लेकिन वास्तविक मुद्दा यह है ही नहीं | आपत्तिजनक तो द्रमुक द्वारा फिर से उठाई जाने वाली 'द्रविड़ नाडू' की मांग है। उन्होंने राज्यसभा में 1962 में दिए गए सीएन अन्नदुराई के भाषण का उद्धरण दिया, जिसमें चार अन्य दक्षिणी राज्यों के साथ एक दूसरे देश के रूप में व्याख्या की गई थी । इसके बाद वह इस "अलग राष्ट्र" के लाभों को गिनाते हुए इस लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु द्रमुक के लंबे संघर्ष के इतिहास को लिखते है। 

1 9 62 और 1 9 63 के दौरान जब आक्रमणकारी चीन ने हमारे उत्तरी और उत्तर-पूर्वी सीमाओं के कुछ हिस्सों को हमसे विलग कर दिया, तब लोगों को एहसास हुआ कि उनके चुने हुए सांसदों को भी पहले भारत के प्रति निष्ठा की शपथ लेना चाहिए और 16 वें संविधान संशोधन का जन्म हुआ । इसे स्वीकारने के बाद यह सुनिश्चित हुआ कि अन्नादुराई की तरह के भाषण संसद के रिकॉर्ड में नहीं जायेंगे । 

चीनी आक्रामकता के बाद देश भर में देशभक्ति की जो लहर उत्पन्न हुई, उसने ही द्रमुक को अपना लक्ष्य बदलने के लिए विवश किया और उन्होंने 'द्रविड़ नाडू' के स्थान पर 'द्रविड़ सहयोग' शब्द प्रयोग प्रारंभ किया । इसके बाद द्रमुक भी आगे बढी और 1 9 67 में पहली बार वह तमिलनाडु राज्य में सत्तासीन हुई और उसने स्वतंत्रता के बाद से शासन कर रही कांग्रेस को पराजित कर दिया। 

इस उपलब्धि का श्रेय भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्व. राजगोपालाचारी को जाता है | वस्तुतः राजा जी के नाम से ख्यात राजगोपालाचारी देश के प्रथम राष्ट्रपति बनने के इच्छुक थे, किन्तु किन्तु कांग्रेस ने उस पद के लिए राजेन्द्र बाबू को चुना | उसके बाद ये अनुभवी नेता स्वयं को अपमानित महसूस करने लगे । 1967 में, राजाजी ने अपने उसी अपमान का बदला लिया लिया और उनके सहयोग से अन्नादुराई मुख्यमंत्री बने। लेकिन राजाजी ने उसके पूर्व डीएमके के सबसे लोकप्रिय नेता अन्नदुराई को अलग द्रविड़ नाडू की मांग छोड़ने और भारतीय संघ के प्रति निष्ठा की कसम दिलाई। और इस प्रकार राजाजी के खुले समर्थन के बल पर 1967 में द्रमुक का स्वर्ण युग प्रारम्भ हुआ । 

तमिलनाडु के इतिहास के इस महत्वपूर्ण हिस्से को भुलाकर, द्रमुक के प्रवक्ता ने स्पष्ट रूप से इस तथ्य पर पर्दा डालने की कोशिश की है कि राजाजी का अनुयाई बनकर ही द्रमुक सत्ता की सीढी चढ़ पाई है । इतना ही नहीं तो 80 के दशक में डीएमके ने कांग्रेस सरकारों का और 1999 से 2004 तक वाजपेयी सरकार का भी समर्थन किया या समर्थन लिया। स्पष्ट रूप से यह अलगाव नहीं बल्कि एकीकरण था, जिसके चलते द्रमुक को भारी लाभ हुआ और वे सत्ता में सहभागी रहे । 

आज की परिस्थिति में वह राजनीतिक कौशल समाप्त हो गया है, जिसके चलते यह द्रविड़ पार्टी केंद्र में अलग अलग विचारधाराओं के साथ साझेदारी करती रही थी । पार्टी इस समय राजनैतिक बियाबान में में है | किन्तु फिल्म स्टार-सह राजनेता जे जयललिता की मौत के बाद अपनी प्रतिद्वंद्वी द्रविड़ पार्टी, अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कझगम के ध्वस्त खंडहरों में अपनी जमीन तलाश रही है। 

कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल को लेकर लम्बे समय से विवाद चल रहा था | सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जल विभाजन को लेकर हाल ही में जो निर्णय दिया गया है, उसके बाद तमिलनाडु में व्यापक असंतोष है। डीएमके को इसमें भी एक अवसर दिखाई दे रहा है | यह अलग बात है कि अब किसी के लिए भी इसे स्वीकार करने के अलावा कोई चारा नहीं है । किन्तु सर्वोच्च न्यायालय की निष्पक्षता पर सवाल उठाने से कौन रोक सकता है ? 

पार्टी के भव्य संरक्षक करुणानिधि, डीएमके को तो एकजुट कर सकते हैं, किन्तु चार राज्यों का एकीकरण कौन करेगा? द्रविड़ नाडू के संस्थापक विचार काफी समय पूर्व ही मर चुके हैं | कर्नाटक और आंध्र प्रदेश समृद्धि के जिस राजपथ पर द्रुत गति से चल रहे हैं, उसके बाद वे चार राज्यों को मिलाकर एक प्रथक द्रविड़ नाडू का समर्थन करेंगे, यह कोरी हवा हवाई कल्पना है । कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच तो नदी के पानी को लेकर, लगभग युद्ध जैसी स्थिति है । 

कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तैयारी के बीच, कोई भी पार्टी तमिलनाडु को अधिक पानी देने के लिए सहमत नहीं होगी, कोई भी पार्टी डीएमके कि मांग को न्यायसंगत नहीं मानेगी | आम सहमति की भी कोई गुंजाईश नहीं है । तमिलनाडु में द्रविड़ नाडु एक सपना हो सकता है, कर्नाटक के लिए इसका कोई अर्थ नहीं । 

आंध्र प्रदेश पहले से ही विभाजित है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू यह भी समझ चुके हैं कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को दबाना या झुकाना बहुत कठिन हैं। नई दिल्ली ने एक झटके से नायडू के राजनीतिक व्यापार की सभी युक्तियों को समाप्त कर दिया है। 

इसके माध्यम से प्रधान मंत्री ने सभी मुख्यमंत्रियों को एक संदेश साफ़ दे दिया है कि जहां दृढ़ता की आवश्यकता है, वहां कोई चाहे जितना कोशिश कर ले, उन्हें झुका नहीं पाएंगे । द्रविड़ नाडू का विचार रामास्वामी नायकर के साथ समाप्त हो चुका है। 

COMMENTS

नाम

अखबारों की कतरन,40,अपराध,3,अशोकनगर,24,आंतरिक सुरक्षा,15,इतिहास,158,उत्तराखंड,4,ओशोवाणी,16,कहानियां,40,काव्य सुधा,64,खाना खजाना,21,खेल,19,गुना,3,ग्वालियर,1,चिकटे जी,25,चिकटे जी काव्य रूपांतर,5,जनसंपर्क विभाग म.प्र.,6,तकनीक,85,दतिया,2,दुनिया रंगविरंगी,32,देश,162,धर्म और अध्यात्म,244,पर्यटन,15,पुस्तक सार,59,प्रेरक प्रसंग,80,फिल्मी दुनिया,11,बीजेपी,38,बुरा न मानो होली है,2,भगत सिंह,5,भारत संस्कृति न्यास,30,भोपाल,26,मध्यप्रदेश,504,मनुस्मृति,14,मनोरंजन,53,महापुरुष जीवन गाथा,130,मेरा भारत महान,308,मेरी राम कहानी,23,राजनीति,90,राजीव जी दीक्षित,18,राष्ट्रनीति,51,लेख,1126,विज्ञापन,4,विडियो,24,विदेश,47,विवेकानंद साहित्य,10,वीडियो,1,वैदिक ज्ञान,70,व्यंग,7,व्यक्ति परिचय,29,व्यापार,1,शिवपुरी,911,शिवपुरी समाचार,331,संघगाथा,57,संस्मरण,37,समाचार,1050,समाचार समीक्षा,762,साक्षात्कार,8,सोशल मीडिया,3,स्वास्थ्य,26,हमारा यूट्यूब चैनल,10,election 2019,24,shivpuri,2,
ltr
item
क्रांतिदूत : राजनीतिक उठापटक के दौर में - डीएमके ने अलापा अलगाववादी सुर - बलबीर पुंज
राजनीतिक उठापटक के दौर में - डीएमके ने अलापा अलगाववादी सुर - बलबीर पुंज
https://4.bp.blogspot.com/-dbAvUKesP5o/Wt7NzkqeZLI/AAAAAAAAGb4/waBeb-YfyFg02XJsdQBQ88SlCNkIIlvUACLcBGAs/s1600/1.jpg
https://4.bp.blogspot.com/-dbAvUKesP5o/Wt7NzkqeZLI/AAAAAAAAGb4/waBeb-YfyFg02XJsdQBQ88SlCNkIIlvUACLcBGAs/s72-c/1.jpg
क्रांतिदूत
https://www.krantidoot.in/2018/04/in-political-mess-dmk-invokes-secession-ideas.html
https://www.krantidoot.in/
https://www.krantidoot.in/
https://www.krantidoot.in/2018/04/in-political-mess-dmk-invokes-secession-ideas.html
true
8510248389967890617
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS CONTENT IS PREMIUM Please share to unlock Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy