एनडीटीवी के ग्रुप सीईओ ने स्वीकारा करोड़ों का घोटाला, फिर भी सरकारी जुबान पर ताला |



वेव साईट पी गुरू ने एक सनसनीखेज खुलासा कर एनडीटीवी और उसके प्रमुख प्रणय रॉय द्वारा किये जा रहे निर्दोष होने के दावे की हवा निकाल दी । पी गुरू के अनुसार एनडीटीवी के निदेशक और कार्यकारी उपाध्यक्ष के वी एल नारायण राव ने आयकर विभाग के सम्मुख, नीदरलैंड्स में फ्लोटिंग शैल कंपनियों और भारत में एफडीआई मानदंडों का उल्लंघन करके अवैध तरीके से अर्जित धन के बारे में लिखित स्वीकारोक्ति की है। आयकर अधिकारियों के सामने दर्ज 33 पृष्ठों के हस्तलिखित स्वीकारोक्ति में, राव ने बताया है कि एनडीटीवी ने किसप्रकार नीदरलैंड के माध्यम से काले धन को वैध बनाया और जीई ग्रुप लिंक्ड फर्म में निवेश करके एफडीआई मानदंडों का उल्लंघन किया। निम्नांकित ग्राफिक इस उद्देश्य के लिए एनडीटीवी द्वारा अलग अलग देशों में बनाई गई विभिन्न फर्जी संस्थाओं को दर्शाता है, जिनके माध्यम से सारा धन अंत में एनडीटीवी के मालिकों की जेब में ही आया : 



यूनिवर्सल स्टूडियोज़ द्वारा एनडीटीवी में किया गया निवेश 

आयकर विभाग के 54 पृष्ठीय दस्तावेज दर्शाते हैं कि एनडीटीवी ने किस प्रकार नीदरलैंड में केमैन आइलैंड्स, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स आदि फ्लोटिंग शैल कंपनियों के माध्यम से बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी करते हुए, सभी भारतीय मानदंडों की धज्जियां उड़ाईं और बेशुमार अवैध धन की उगाही की । आयकर के इन दस्तावेजों में राव के बयान के वे 33 पृष्ठ भी सम्मिलित हैं, जिनके आधार पर प्रणय रॉय और उनके एनडीटीवी गिरोह के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम एक्ट (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज होने व अपराध सिद्ध होने के बाद तीन से सात साल के कारावास की सजा हो सकती है। 

राव द्वारा दिए गए बयान का विश्लेषण करते हुए, आयकर विभाग की रिपोर्ट के पृष्ठ 6 पर लिखा है: "इस संबंध में, यह उल्लेखनीय है कि संदेही कंपनी (एनडीटीवी) के निदेशक और समूह सीईओ, श्री केवीएल नारायण राव द्वारा 23 जुलाई 2015 को अधिनियम की धारा 131 के तहत शपथ पूर्वक अपना बयान दर्ज कराया गया था, जिसकी प्रति संलग्न है। आयकर विभाग के अधिकारियों के अनुसार, जब उनसे प्रश्न क्रमांक 3 में विदेशी सहायक कंपनियों द्वारा किये गए बड़े निवेश के बारे में पूछा गया, तब उन्होंने स्वीकार किया कि "भारतीय नियमों के तहत लगाए गए प्रतिबंधों से बचने के लिए विदेशी सहायक कंपनियों को सम्मिलित किया गया था, और नीदरलैंड के माध्यम से, अमेरिका की जीई ग्रुप कंपनी से 150 मिलियन डॉलर अवैध रूप से न्यूज़ चैनेल एनडीटीवी में लाया गया था। जबकि विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की सीमा 26 प्रतिशत का सीधा उल्लंघन हुआ | 

नीदरलैंड्स के माध्यम से अवैध रूप से आये इस धन के बाबत राव की यह आपराधिक स्वीकारोक्ति को पृष्ठ 17 से 21 तक पढ़ा जा सकता है। अपने बयान में राव ने धन की आवक आसान बनाने के लिए, लंदन में एक शैल कंपनी खोलने में एनडीटीवी के प्रबंध संपादक विक्रम चंद्र की भूमिका भी स्वीकार की है। उल्लेखनीय है कि बरखा दत्त और सोनिया सिंह भी इस शेल कंपनी की निदेशक हैं, जो अवैध धनराशि के इस खुलासे के बाद छटपटा रही हैं । केवीएल नारायण राव ने स्वीकार किया है कि एनडीटीवी ने पी चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते दुनिया भर में शेल कंपनियों का निर्माण किया था और केमन द्वीप और ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह जैसे टैक्स हेवन देशों के जरिए अथाह पैसा कमाया था। 

जून 2016 के आयकर निष्कर्ष के अनुसार राव का यह बयान, एनडीटीवी के शीर्ष अधिकारी प्रणय रॉय और राधिका रॉय को पीएमएलए के तहत आरोपी बनाए जाने के पर्याप्त आधार है, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय द्वारा तीन से सात साल की सजा दी जा सकती है, इसके अलावा चिदंबरम की सहमति से हुआ एफआईपीबी नियमों का उल्लंघन भी भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत सीबीआई द्वारा जांच के दायरे में लिया जा सकता है | किन्तु सवाल यह है कि शीर्ष एनडीटीवी अधिकारी, के वी एल नारायण राव की इस स्पष्ट स्वीकारोक्ति के बाद भी, सरकारी एजेंसियां आखिर ​कार्रवाई करने हेतु इंतजार क्यों कर रही हैं। 

के वी एल नारायण राव के बयान की प्रति इस लिंक पर पढी जा सकती है  -


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