हे तात्या टोपे हमें क्षमा करना, तुमने इस शिवपुरी नामक शवपुरी को क्यूं चुना अपने बलिदान हेतु ?

क्या सचमुच यह शिवपुरी है | शिव जिनकी क्रोधाग्नि में त्रिपुरासुर दग्ध हो गया | जिनके तांडव से तीनों लोक चौदह भुवन थर्राते हैं | उन भूतभावन भगवान शिव के नाम को लज्जित करते हुए आज ज्योतिरादित्य जी के विशेष कृपापात्र शिवपुरी नगर पालिका अध्यक्ष ने जो दुष्कृत्य किया, उसने तो बेशर्मी और बेहयाई की पराकाष्ठा कर दी | 

बात कुछ ऐसी है कि जिस स्थान पर 1857 के अमर शहीद तात्याटोपे को फांसी दी गई, उस स्थान पर तात्या टोपे की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है | वह प्रतिमा सदैव से श्रीमंत सिंधिया सरकार को खटकती रही है | क्योंकि उन्हें लगता है कि मानो तात्याटोपे आज भी ग्वालियर की ओर तलवार किये ललकार रहा हो |

इसी कारण एक षडयंत्र रचा गया कि तात्याटोपे की प्रतिमा को उस स्थान से ही हटा दिया जाए और या तो तोड़ फोड़ दिया जाए या कहीं किसी कोने में रख दिया जाए | इसी षडयंत्र के चलते आज तात्याटोपे की प्रतिमा को रंग रोगन के बहाने उस स्थान से हटा कर ग्वालियर भेजने की तैयारी कर ली गई |

लेकिन स्थानीय पार्षद आकाश शर्मा की तत्परता से यह दुष्कृत्य संभव नहीं हुआ | विचित्र स्थिति है कि स्थानीय भाजपा पार्षदों ने इस विषय में कोई रूचि नहीं ली, जबकि कांग्रेस पार्षद की आत्मा जागी | उन्हें यह बात नागवार गुज़री कि जूते पहनकर तात्या टोपे की मूर्ति पर मजदूर चढ़ गए और हथोडों से मूर्ति के फ़ौंडेशन को तोड़ने लगे |

विगत १२ मार्च को नगरपालिका प्रेसीडेंट इन काउंसिल ने एक ठहराव द्वारा तात्या टोपे की प्रतिमा की मरम्मत तथा उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर अंतरित करने के लिए एक लाख छियानवे हजार रुपये की राशि स्वीकृत की थी |



स्मरणीय है कि वर्तमान में यह मूर्ति शिवपुरी श्योपुर राजमार्ग पर राजेश्वरी मंदिर और शिवपुरी अस्पताल के पास शहर के मध्य में स्थापित है | यही वह स्थान है जहाँ अमर शहीद तात्या टोपे को फांसी दी गई थी |

इसे जिस प्रकार बिना किसी क्रेन आदि की व्यवस्था किये, जिस प्रकार हथोडों द्वारा तोड़ा जा रहा था, उससे स्पष्ट होता है कि इस मूर्ति को खंडित करने का ही यह षडयंत्र था, जिसे जागरूक पार्षद ने असफल कर दिया |

क्षत्रिय महासभा के स्थानीय पदाधिकारी साहब सिंह के अनुसार विगत दिनों महाराणा प्रताप की लगभग इतनी ही बड़ी प्रतिमा पर रंग रोगन महज 15 हजार रुपये में दो घंटे में हो गया था | जबकि तात्याटोपे की प्रतिमा को रंग रोगन के लिए ग्वालियर भेजा जाना अपने आप में संदिग्ध है |

यहाँ यह भी ध्यान देने योग्य तथ्य है कि शिवपुरी में प्रशासन ने अकारण धारा 144 लगाई हुई है, शायद वह भी इसीलिए ताकि यह कार्य निर्विघ्न संपन्न हो सके | आम जनता घटना स्थल पर या कहीं अन्यत्र कोई विरोध प्रदर्शन न कर सके | इससे यह भी स्पष्ट होता है कि प्रशासन पर भाजपा की नहीं ज्योतिरादित्य जी की ही पकड़ है |

लेकिन वे यह भूल रहे हैं कि तात्या टोपे का मामला केवल शिवपुरी नामक शवपुरी का नहीं है, अमर शहीद तात्याटोपे के अपमान को देश कतई बर्दास्त नहीं करेगा | तात्याटोपे के वंशज श्री सुभाष टोपे ने इस घटना को इतिहास मिटाने का कुचक्र बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है | उन्होंने आरोप लगाया कि म्यूजियम और पार्क के नाम पर जो धनराशि आई थी, उसका कोई उपयोग भी धरातल पर हुआ नहीं दिखता |

वरिष्ठ नाट्य निर्देशक एवं कवि श्री दिनेश वशिष्ठ ने भी इस कृत्य की कड़ी निंदा की है |


 

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