शिवपुरी में पत्रकारों ने मनाई नारद जयन्ती - “सामाजिक समरसता और मीडिया की भूमिका” विषय पर आयोजित हुई संगोष्ठी!

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सौहार्द्र से ही विकास संभव – समरसता के बिना विश्व गुरू का स्वप्न पूर्ण होना असंभव | वरिष्ठ पत्रकार व राजनैतिक समीक्षक श्री आलोक इन्द...



सौहार्द्र से ही विकास संभव – समरसता के बिना विश्व गुरू का स्वप्न पूर्ण होना असंभव | वरिष्ठ पत्रकार व राजनैतिक समीक्षक श्री आलोक इन्दौरिया ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार विभाग द्वारा आयोजित नारद जयन्ती कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए, उक्त विचार व्यक्त किये | शिवपुरी के सनराईज होटल में आयोजित पत्रकार सम्मान व “सामाजिक समरसता और मीडिया की भूमिका” विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए श्री इन्दौरिया ने कहा कि जब तक प्रिंट मीडिया अकेला था, तब तक देश में सामाजिक विद्वेष अपेक्षाकृत कम था, किन्तु जबसे इलेक्ट्रानिक मीडिया व सोशल मीडिया का युग आया है, टीआरपी के लोभ में सामान्य घटनाओं को बढाचढा कर प्रचारित करने की वृत्ति ने सामाजिक खाई और चौड़ी कर दी है | 

दुर्भाग्य पूर्ण परिस्थिति है कि राजनैतिक दलों ने वंचित समुदाय को महज वोट बेंक के नजरिये से देखा है, उन्हें बराबरी के स्तर पर लाने की किसी ने ईमानदारी से कोई कोशिश ही नहीं की | उलटे साजिशन वंचितों को अलग रखने का षडयंत्र शुरू हुआ | समाचार जगत को इस बात की चिंता नहीं है कि उनके द्वारा प्रसारित समाचार का सामाजिक प्रभाव क्या होगा, इसके चलते टीआरपी की खातिर नकारात्मक खबरों का प्रसारण बढ़ा है | 

सहजो बाई, संत रविदास, जैसे संतों को इतिहास में आवश्यक स्थान नहीं मिला, जो सामाजिक समरसता की अद्भुत मिसाल थे | इसी प्रकार रानी दुर्गावती व तांत्या भील को भी कोई विशेष महत्व नहीं दिया गया | बाबा साहब अम्बेडकर की पुस्तक “शूद्र कौन” को कोने में डाल दिया गया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट लिखा है कि ज्यादातर कथित शूद्रों के गोत्र आज भी वे ही हैं, जो राजपूतों के हैं | 

हम पत्रकारों को हर प्रकार के प्रलोभन से बचकर राष्ट्रहित में यह प्रण करना होगा कि हमारे कारण सामाजिक समरसता छिन्न भिन्न न हो | अगर मीडिया ने अपने दायित्व का सजगता से निर्वाह न किया, तो न देश बचेगा न हम बचेंगे | 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए एडीशनल एस पी श्री कमल मौर्य ने शिवपुरी के पत्रकारों की प्रशंसा करते हुए कहा कि विगत दो अप्रैल को शिवपुरी में अगर शान्ति रही, तो उसमें शिवपुरी के पत्रकारों की बहुत बड़ी भूमिका थी | पत्रकारों को समाज का दर्पण कहा जाता है, किन्तु वे विकृतियों को परिष्कृत करने का भी कार्य करते हैं | न्यूज़ के प्रत्येक अक्षर पर ध्यान दिया जाए तो वह नार्थ, ईस्ट, वेस्ट, और साउथ अर्थात चारों दिशाओं को व्यक्त करते हैं | चारों दिशाओं में घटने वाली हर घटना पर पत्रकारों का ध्यान रहता है, अतः वे प्रशासन के लिए भी आँख, नाक, कान का कार्य करते हैं | 

आजादी के पूर्व राजा राम मोहन रॉय, भारतेंदु हरिश्चंद्र आदि ने समाज सुधार के उद्देश्य से भारत में पत्रकारिता का आरम्भ किया, आज उनसे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है | 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग कार्यवाह श्री राजेश भार्गव ने मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि जिस प्रकार नौ बटे तीन जब तक भिन्न के रूप में है, तब तक उसका मूल्य महज तीन है | किन्तु अगर नौ में तीन का योग किया जाए तो मूल्य बारह और अगर गुणा किया जाए तो सत्ताईस होता है | किन्तु अगर नौ और तीन को साथ साथ रखा जाये तो मूल्य तेरानवे हो जाता है | भिन्नता और साथ में भी यही अंतर है | भिन्नता में ह्रास है, जबकि सहयोग में उन्नति, प्रगति व उत्कर्ष | श्री भार्गव ने नारद मोह का उल्लेख करते हुए कहा कि जिस प्रकार आदि पत्रकार देवर्षि नारद जी भी मोह का शिकार हो गए थे, किन्तु आज के पत्रकारों को मोह से बचते हुए अपने राष्ट्रीय कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए | 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रांतीय प्रचार टोली के सदस्य हरिहर शर्मा ने कहा कि आज कार्ल मार्क्स की पूण्य तिथि है | मार्क्स का मानना था कि समाज में केवल दो ही प्रकार के लोग है, एक वंचित और दूसरे शोषक | मार्क्स का पूरा सिद्धांत केवल संघर्ष पर जोर देता है | जबकि भारतीय चिंतन में समन्वय की बात कही गई है | हमारे यहाँ धर्म अर्थ काम और मोक्ष का सम्यक चिंतन करते हुए कामनाओं की पूर्ति हेतु धनोपार्जन को अनुचित नहीं माना गया, किन्तु साथ ही यह भी कहा गया कि धन का उपार्जन धर्म पूर्वक हो | तभी मोक्ष अर्थात व्यक्ति का कल्याण संभव है | धर्म अर्थात पूण्य | और इसकी पाप और पूण्य की परिभाषा भी महर्षि वेद व्यास जी ने अत्यंत संक्षेप में व्यक्त की है – 

परोपकाराय पुण्याय, पापाय परपीडनम | 

दुसरे का भला करना पूण्य है और किसी को पीड़ा पहुँचाना पाप | 

अगर यही विचार रखकर हर व्यक्ति कार्य करे तो क्या संघर्ष की रत्ती भर भी संभावना शेष रहेगी ? राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रचार विभाग पत्रकारों के साथ संपर्क रखकर समाज व राष्ट्र हितैषी भूमिका हेतु सतत प्रेरक की भूमिका निर्वाह करता है | आजादी के पूर्व कहा जाता था कि तीर निकालो न तलवार निकालो, सरकार मुक़ाबिल हो तो अखबार निकालो | 

किन्तु आज की स्थिति क्या है ? बड़े बड़े मीडिया हाउसों के हाथ में मीडिया है, जिनका उद्देश्य समाज हित कम निजी हित अधिक हैं | आज तो अखबार मालिक राज्यसभा की सीट या विज्ञापन के जरिये कमाई के लिए अखबार निकालते हैं | निष्पक्ष व निर्भीक पत्रकारिता तो दिवा स्वप्न हो गया है | पत्रकार बन्धु अपने दिल पर हाथ रखकर बताएं कि क्या वे अपने अखबार मालिक की इच्छा के विरुद्ध कोई समाचार प्रकाशित कर सकते हैं क्या ? 

किन्तु इस स्थिति में से भी मार्ग निकालना ही होगा | जैसे नारद जी असुरों के बीच रहकर भी सदप्रवृत्तियों का पोषण करते थे, उसी प्रकार चतुरता पूर्वक जागरूक रहकर अपने सामाजिक उत्तर दायित्व का निर्वाह करने का संकल्प लें, तो नारद जयन्ती मनाने की सार्थकता है | 

कार्यक्रम का पारंभ माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन से हुआ तथा कार्यक्रम के अंत में पांच पत्रकारों को शाल श्रीफल देकर सम्मानित किया गया |

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शिवपुरी में पत्रकारों ने मनाई नारद जयन्ती - “सामाजिक समरसता और मीडिया की भूमिका” विषय पर आयोजित हुई संगोष्ठी!
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