सिंधिया पुत्र महाआर्यमान ने पूछा “किसमें कितना है दम” - बताया खुद को बोक्सर !


शिवपुरी में गहराते महल विरोधी वातावरण ने असर दिखाना शुरू कर दिया है | बैसे तो केवल चुनावी बादल देखकर ही शिवपुरी गुना क्षेत्र में जनमन भावन पारिवारिक मयूर नृत्य होता था, किन्तु इस बार कुछ जल्दी ही सिंधिया वंश के भावी खेवनहार और वर्तमान सांसद श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया के सुपुत्र नव श्रीमंत महाआर्यमन अकस्मात शिवपुरी गुना संसदीय क्षेत्र के दौरे पर आ पधारे | इतना ही नहीं तो यह मुनादी भी करवा दी गई कि वे अब चुनाव तक लगातार इसी संसदीय क्षेत्र में रहेंगे | हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि चुनाव कौनसे ? इस वर्ष होने वाले विधानसभा या अगले वर्ष होने वाले लोकसभा | 

जो भी हो अपने पिताश्री के नक्शेकदम पर चलते हुए, उन्होंने भी कह दिया कि सिंध जलावर्धन योजना में हुई देरी के लिए मध्यप्रदेश सरकार दोषी है | वे तो ठहरे निपट बच्चे, जो रटाया गया, तोते की तरह बोल दिया | किन्तु उनके तातश्री जरा बताएं कि – 

बेशक सिंध जलाबर्धन योजना को लाने का श्रेय आपको भी जाता है, क्योंकि उस समय केंद्र में कांग्रेस सरकार थी, किन्तु यह तो बताईये महाप्रभू कि उस समय शिवपुरी नगरपालिका पर काबिज अध्यक्ष किसके कृपापात्र थे, जिन्होंने दोशियान कम्पनी के द्वारा तैयार किये गए एग्रीमेंट पर, उसके कार्यालय में जाकर हस्ताक्षर किये, हवाई यात्रा और फाईव स्टार होटल में आतिथ्य सुख भोगा | 

आज जिन प्लास्टिक पाईपों के कारण यह योजना सर्वाधिक विवादास्पद है, क्या उनके घटिया होने की आपको जानकारी नहीं थी ? अगर थी तो उसकी स्वीकृति किस स्वार्थ से हुई और अगर नहीं थी, तो पूछा जा सकता है कि आपने अपने जन प्रतिनिधि होने के दायित्व का क्या ख़ाक निर्वाह किया ? 

अगर प्लास्टिक पाईपों के स्थान पर आयरन पाईप होते तो ना तो उन्हें बिछाने के लिए जमीन खोदनी पड़ती और ना ही कोई पेड़ काटना पड़ता | अतः वन विभाग को भी कोई आपत्ति नहीं होती, जिसके कारण इस योजना में सर्वाधिक विलम्ब हुआ | 

यह तो हुई सिंध जलाबर्धन योजना की बात अब आपकी दूसरी बहुप्रचारित योजना सीवर लाईन की बात | आपने विगत वर्षों में लगातार उस योजना को अपने द्वारा लाई गई बताकर इतनी बार अपनी पीठ स्वयं ठोकी है कि मुझे संदेह है कि कहीं आपकी पीठ पर नील न पड़ गई हो | 

श्रीमंत महोदय उस योजना के कारण ही शिवपुरी वासी विगत चार वर्षों तक खुदी हुई सडकों के कारण धूल फांकने को विवश हुए | सीवर योजना पडौस के गुना जिले के लिए भी स्वीकृत हुई थी, किन्तु वहां भाजपा शासित नगरपालिका होने के कारण उन्हें जनता की परेशानी कि परवाह थी, अतः एक मोहल्ले में खुदाई होने और वहां पाईप विछाकर सड़क को यथावत करने के बाद अगले मोहल्ले में खुदाई होती थी | किन्तु यहाँ तो पूरा शहर एक साथ खोदकर पटक दिया गया | और वह भी पूरे चार वर्ष के लिए | 

आपके चहेते नगरपालिका अध्यक्ष संभवतः चाहते थे कि एकमुश्त खुदाई होगी तो एकमुश्त पेमेंट होगा और कमीशन भी एकमुश्त मिलेगा | सब जानते हैं कि शिवपुरी नगर पहाडी चट्टानों पर बसा है अतः खुदाई में निकले पत्थर और खण्डों का क्या हुआ ? हे हमारे महा ज्ञानी जनप्रतिनिधि क्या आपने कभी जानने की कोशिश की ? अगर वे निकले, जोकि निकले ही हैं, तो उनका स्वामित्व भी क्या ठेकेदार को दे दिया गया ? करोड़ों की लागत के उस पत्थर पर क्या नगर पालिका का अधिकार नहीं होना चाहिए था और उसकी नीलामी नहीं होनी चाहिए थी ? 

इतने पर ही इति नहीं है महाप्रभु | पिक्चर अभी बाक़ी है | जब कोई देखने भालने वाला नहीं होता तो अधिकारी राज होता है | यहाँ भी वही हुआ, खुदी हुई सड़कें पाईप बिछने के बाद कच्ची मिट्टी से भर दी गईं | नतीजा यह हुआ कि सड़कें बनने के साथ ही धसकने लगीं | व्हीआईपी सड़क धसकी तो आनन फानन में दोबारा बनवाई गई, वह फिर धसक गई | बारिश आने वाली है, सभी सडकों की यही दुर्दशा होगी, यह संकेत मिलने लगे हैं | जनधन के इस दुरूपयोग व लूट को रोकना क्या आपकी जिम्मेदारी नहीं थी ? चलिए छोडिये - आप कहेंगे कि मोनीटरिंग राज्य शासन का काम है, यह भी क्या हम महाराज करेंगे | तो प्रभू कमसेकम उक्त दोनों योजनाओं में हुए भ्रष्टाचार के दोषियों को दण्डित करने की खुलेआम मांग तो कीजिए, ताकि इस खाकसार को भी एक बार आपकी तारीफ़ में कसीदे पढ़ने का अवसर मिले |

किन्तु आपको क्या ? पिछले चुनाव में आप शहर से पराजित हुए थे, अतः आपका मुख्य उद्देश्य तो यहाँ की जनता को राजशाही दंड देना था | भोलीभाली ग्रामीण जनता तो आपके परिवार का मयूर नृत्य देखकर ही आपको वोट दे ही देगी, अतः शहर मारा ठेंगे पर | इसी मानसिकता से आपके बोक्सर सुपुत्र ख़म ठोककर कल बोल ही गए हैं खुलेआम – देखें जरा किसमें कितना है दम | 

अब देखना है कि शिवपुरी का प्रबुद्ध समाज इस चुनौती को कितना स्वीकारता है ? 

या फिर अपने भविष्य के नायक की पालकी उठाने को तत्पर होता है |
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