क्या 2019 में मोदी फिर से जीतेंगे भाग (2) - अखिलेश मिश्रा

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ब्ल्यू क्राफ्ट डिजिटल फ़ौंडेशन के सीईओ श्री अखिलेश के ओर्गेनाईजर में प्रकाशित एक अंग्रेजी आलेख के अंशों पर आधारित  क्या 2019 में मोदी ...

ब्ल्यू क्राफ्ट डिजिटल फ़ौंडेशन के सीईओ श्री अखिलेश के ओर्गेनाईजर में प्रकाशित एक अंग्रेजी आलेख के अंशों पर आधारित 

की अगली कड़ी 

जहाँ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय भाजपा मुख्यतः मध्यम वर्ग और शहरी आधार वाली पार्टी थी, आज मोदी की अगुआई में पार्टी का सामाजिक आधार बदल गया है। पिछले चार सालों में, मोदी सरकार ने अपने कार्यक्रमों, नीतियों, उदार दृष्टिकोण और संदेशों से अपने आधार को बदलने के लिए कड़ी मेहनत की है ताकि उसमें आर्थिक स्तर पर पिछड़े वर्ग की भी सहभागिता हो । यूं तो 2014 में भी बड़ी संख्या में इन वर्गों के मतदाताओं ने को बीजेपी की ओर रुझान दर्शाया था, क्योंकि उन्हें लगता था कि प्रधान मंत्री मोदी उनके अपने बीच का व्यक्ति है – एक चाय वाला, जो उनका ख्याल रखेगा । मोदी सरकार के कामकाज से इन मतदाताओं में यही सन्देश गया है कि पांच साल तक सत्ता में रहने के बावजूद, मोदी नहीं बदला है। दिल्ली उसे भ्रष्ट करने में असमर्थ रही है, और वह अभी भी उनमें से ही एक है, उनके जैसा ही है । इन पांच वर्षों में सरकार ने गरीबों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत कुछ किया भी है – यह इस बात से भी सिद्ध होता है कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में ऐतिहासिक गिरावट आई है । अब यह वर्ग फ्लोटिंग मतदाता नहीं है, बल्कि भाजपा का प्रतिबद्ध मतदाता है, जो आसानी से संबद्धता नहीं बदलने वाला । 

देखा जाए तो मोदी सरकार के खिलाफ कुछ भी नकारात्मक है ही नहीं । यह पहली गैर-कांग्रेस सरकार होगी जो बिना किसी वास्तविक नकारात्मक के चुनाव में जाएगी। राहुल गांधी द्वारा प्रचारित नकारात्मक अभियान के अधिकाँश संदर्भ निष्प्रभावी और झूठ का पुलिंदा हैं, इसके विपरीत 2014 में उनके खिलाफ जो कुछ कहा गया था, वह तथ्यपूर्ण था, यह समय ने सिद्ध किया है । 

2014 के बाद शुरू हुईं जन धन योजना, उज्ज्वला योजना, मुद्रा योजना, स्वच्छ भारत अभियान में करोड़ों लोगों ने सहभागिता की है और लाभ उठाया है, जिसका महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। विपक्षी दलों को आशा है कि ये सारी योजनायें 2019 आते आते पुरानी हो जायेंगी और लोगों की याददाश्त कमजोर होती है, वे भूल जायेंगे । लेकिन वे मोदी की संवाद क्षमता को भूलते हैं, और नित नूतन कल्पनाशीलता को भी | अब देखिये ना “आयुषमान भारत” की नई कार्ययोजना आमजन के हित में सामने आ रही है । यह कार्यक्रम योजना के लॉन्च होने के दिन ही, 10 करोड़ परिवारों और 50 करोड़ लोगों को सशक्त बनाएगा। सौभाग्य योजना और प्रधान मंत्री आवास योजना के लाभार्थियों और उनके मित्रों और परिवारों का समर्थन किसे जाएगा ? 

अब सबसे अहम बात – आज राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा जैसी मजबूत राजनीतिक और चुनावी मशीनरी, ना तो कांग्रेस के पास है, और नाही किसी अन्य राजनीतिक दल के पास । इसकी काट केवल 77 जैसा प्रभावी जनाक्रोश है, जिसकी कोई संभावना दूर दूर तक नहीं है | 

मोदी सरकार के कार्यकाल में सात करोड़ से ज्यादा शौचालयों का निर्माण किया गया है, 13 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुद्रा योजना के तहत वित्त पोषित किया गया है, कम से कम 18 करोड़ लोगों के पास अब सामाजिक सुरक्षा योजनाएं हैं, दो करोड़ से अधिक परिवारों के पास अब अपने पक्के घर हैं, 4.5 करोड़ से अधिक परिवार की महिलायें खाना बनाते समय अब धुंआ मुक्त रहती हैं और कम से कम 30 करोड़ लोगों के पास अब बैंक खाते हैं, जिनमें कई योजनाओं व सब्सिडी का पैसा सीधे पहुंचता है । और जल्द ही इनमें वे 50 करोड़ से अधिक लोग भी शामिल हो जायेंगे, जिनकी अभी तक गुणवत्ता चिकित्सा सेवा तक पहुँच ही नहीं थी, क्योंकि उसके लिए आवश्यक उनकी भुगतान क्षमता नहीं थी. किन्तु अब वे अपना बेहतर इलाज करवा पायेंगे । इन सभी परिवर्तनों को लोगों ने देखा है और निश्चय ही इससे भी और बेहतर परिवर्तन निकट भविष्य में देखने को मिलेंगे । 

इसलिए, जब मोदी कहते हैं कि उनकी आँखों में एक "नवीन भारत" निर्माण का सपना है, तो ओगों को उनकी बात में सचाई की झलक दिखाई देती है । उनके लिए 2019 का चुनाव अर्थात मोदी के नेतृत्व में एक नए भारत का निर्माण और महागठबंधन द्वारा किए गए पुराने कार्यों के बीच चुनाव, होगा | इसलिए दोनों में कोई प्रतिस्पर्धा ही नहीं होगी। 

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क्रांतिदूत : क्या 2019 में मोदी फिर से जीतेंगे भाग (2) - अखिलेश मिश्रा
क्या 2019 में मोदी फिर से जीतेंगे भाग (2) - अखिलेश मिश्रा
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