समर्थकों को आहत करना अनुचित मोदी जी/ सुषमा जी – श्रीमती शेफाली वैद्य की भावनाओं पर ध्यान दें !



पासपोर्ट प्रकरण की बहुचर्चित सादिया अनस उर्फ़ तन्वी सेठ द्वारा अपने पासपोर्ट आवेदन में गलत जानकारी दी, यह लगभग स्पष्ट हो चुका है, किन्तु सोशल मीडिया और मुख्य मीडिया में चल रहा विवाद अभी थमा नहीं है | 

सादिया अनस ने लखनऊ आरपीओ के कर्मचारी विकास मिश्रा पर अनर्गल आरोप लगाते हुए अपने निजी मामले को साम्प्रदायिक रंग देने में सफलता पाई । पति अनस सिद्दीकी के साथ अपने निकाहनामें में नाम सादिया अनस होते हुए भी तन्वी सेठ के नाम से पासपोर्ट इश्यू करवाने में पाई सफलता और निरपराध पासपोर्ट अधिकारी को मिले दंड ने सोशल मीडिया पर हंगामा बरपा दिया | जिन लोगों को यह लगा कि गलत हुआ है, उनमें से कुछ लोगों ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पर अभद्र टिप्पणियाँ भी कीं । 

लेकिन हैरत तब हुई जब सुषमा जी ने अपने विदेश प्रवास से लौटने के बाद अपनी भूल न स्वीकारते हुए, अपनी आलोचना के लिए बीजेपी समर्थकों को ही निशाना बनाना शुरू कर दिया । स्वराज ने वही दिशा चुनी, जिस पर बरखा दत्त जैसे विवादास्पद पत्रकार चलकर बीजेपी समर्थकों को नीचा दिखाते हैं | हिन्दुस्तान टाईम्स की रिपोर्ट ने तो उन्हें "राइट विंग ट्रोल" ही घोषित कर दिया और उनकी जो सूची समाचार पत्र ने प्रकाशित की, उसमें भाजपा के कई विशिष्ट बौद्धिक योद्धाओं को भी सम्मिलित कर दिया । स्पष्ट ही इन पत्रकारों का अघोषित उद्देश्य भाजपा में आतंरिक संघर्ष को हवा देना और बौद्धिक समर्थकों में निराशा का वातावरण बनाना है | 

हिन्दुस्तान टाईम्स की सूची में जिन लोगों को ट्रोल घोषित किया गया है, उसमें से आठ तो ऐसे हैं, जिन्हें खुद प्रधान मंत्री मोदी तथा भाजपा के 41 सांसद भी फोलो करते हैं । ऐसी ही शख्शियत हैं शेफाली वैद्य । स्वाभाविक ही इस घटना चक्र ने उन्हें आहत किया और उनका दर्द छलक पड़ा | तो प्रस्तुत है, एक वेव साईट पर प्रकाशित उनके आलेख का हिन्दी अनुवाद - 

आज सुबह से मेरे फोन की घंटी लगातार बज रही थी । चिंतित मित्र और रिश्तेदार मुझसे मेरी खैरियत पूछ रहे थे । जाहिर है, हिंदुस्तान टाइम्स ने मुझे जो मुख्य ट्रॉल की पदवी से सम्मानित किया है, यह उसका ही नतीजा था | यह सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि मैंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से अनुरोध किया कि वह आवश्यक मानदंडों को पूरा किए बिना बेगम सादिया अनस को पासपोर्ट जारी करने के अपने मंत्रालय के फैसले पर ध्यान दें । बेगम अनस ने जबरन एक विवाद पैदा किया कि लखनऊ पासपोर्ट कार्यालय के एक हिंदू अधिकारी विकास मिश्रा ने पासपोर्ट आवेदन और उसके विवाह प्रमाण पत्र पर नाम की विसंगति पर गलत सवाल उठाये। बेगम अनस तन्वी सेठ के नाम पर पासपोर्ट चाहती थीं, जबकि उनके निकाहनामे पर उनका नाम सादिया अनस था। 

अधिकारी, विकास मिश्रा सिर्फ अपना काम कर रहे थे। लेकिन बेगम अनस ने पीड़ित कार्ड खेला और सुषमा स्वराज को ट्वीट किया, जिसके बाद बिना किसी सत्यापन के न केवल उसके पासपोर्ट जारी किए गए, बल्कि गरीब पासपोर्ट अधिकारी को बिना किसी आंतरिक जांच के गोरखपुर स्थानांतरित कर दिया गया । स्वाभाविक रूप से, आक्रोशित लोगों ने ट्विटर पर श्रीमती स्वराज से सवाल उठाये । 

अनुमानतः, कुछ अज्ञात शातिर ट्रोल हैंडल भी थे, जिन्होंने श्रीमती स्वराज की किडनी बीमारी को लेकर अजीब और अशिष्ट ढंग से मजाक उड़ाया । लेकिन मुझ जैसे बहुत से लोग थे जिन्होंने बिना किसी अशिष्टता के विनम्रता पूर्वक पूछा, कि आखिर अधिकारी क्यों स्थानांतरित किये गए और बेगम अनस को नियम विरुद्ध (आउट ऑफ़ टर्न) पासपोर्ट जारी क्यों किया गया ? 

श्रीमती स्वराज ने दावा किया कि वह भारत से बाहर थीं और बजाए यह कहने के कि मामले की जांच करवाई जाएगी, उन्होंने बरखा और निधि जैसे सर्वश्रेष्ठ व्यवसाईयों की तरह से पीड़ित कार्ड खेलने का फैसला किया । उन्होंने कुछ सबसे अपमानजनक ट्वीट्स को रिट्वीट किया और मेरे सहित कुछ ट्वीट्स पसंद किए, जिनमें उनके मंत्रालय के कार्यों पर वैधानिक ढंग से शिष्टता पूर्वक सवाल उठाये गए थे । मुझे स्वतंत्र रूप से अपनी बात कहने और असहमत होने पर मंत्रियों से प्रश्न पूछने का अधिकार है, और मैंने अपने उसी अधिकार का इस्तेमाल किया था। लेकिन सुश्री स्वराज ने मुझे और बीजेपी के कुछ मुखर समर्थकों को ट्रोल के रूप में निशाना बनाना चुना। उन्होंने हम में से कुछ को ब्लॉक भी कर दिया जिन्होंने उनका हर अच्छे बुरे में समर्थन किया था और सुसुस्वामी जैसे धुर विरोधी को अनब्लाक करने का विकल्प चुना । 

और आज तो हद ही हो गई, जब हिंदुस्तान टाइम्स ने मुझे और कुछ अन्य लोगों को ट्रोल के खिताब से सम्मानित किया। 

आप में से कई जानते हैं कि मैं 2012 से राजनीति के विषय में सोशल मीडिया पर लिखती रही हूँ | मैं नरेन्द्रमोदी जी का समर्थन करती हूं, क्योंकि मुझे वास्तव में विश्वास है कि वे भारत के लिए बेहतर है। मैंने इसके लिए भारी कीमत भी चुकाई है। मुझसे दुर्व्यवहार किया गया है, बलात्कार की धमकी मिली, मेरे परिवार को धमकी दी गई, वेश्याओं के चित्रों का उपयोग करके मेरे नाम पर गंदी प्रोफाइल बनाई गई । 

मुझे 'मोदी के साथ सो जाओ', 'अमित शाह को ?????' और अन्य बहुत सी गंदी गंदी बातें जिनका मैं यहां उल्लेख भी नहीं कर सकती। मेरे बच्चों का मज़ाक उड़ाया गया । मुझे कहा गया कि मेरे पति ‘गे' हैं, मेरी तस्वीरों को फ़ोटोशॉप किया गया । 

इनमें से कोई भी बात मुझे प्रभावित नहीं कर पाई । कांगी बामी हमलों ने मुझे और अधिक दृढ़ता दी, मैं और अधिक मजबूत हुई, लेकिन सुषमा स्वराज जिनकी मैंने सदा प्रशंसा की है और अतीत में जिनका जोरदार ढंग से समर्थन किया, उनके व्यवहार ने मुझे आहत किया है, मुझे रत्ती भर आशा नहीं थी, कि वे ऐसा कुछ करेंगी । 

मेरे साथ किए गए दुर्व्यवहार और जान लेने की धमकी ने कभी भी किसी समाचार पत्र के मुख पृष्ठ पर जगह नहीं पाई, और न ही मुझे इसकी परवाह है, लेकिन मेरे पास सुषमा स्वराज जी के लिए एक सवाल है, 'आप तब कहां थीं जब मैं इतने वर्षों से आपके समर्थन में ट्वीट कर रही थी, जबकि ये तथाकथित उदारवादी आप पर हमले कर रहे थे? ' 

हिंदुस्तान टाइम्स के लायकों से, जिन्होंने मुझे ट्रोल कहा, मुझे केवल यह कहना है .. 

अगर निडरता के साथ सच बोलना मुझे एक ट्रोल बनाता है, तो हाँ, मैं एक ट्रोल हूं। 

जिस पार्टी का मैं समर्थन करती हूं, उसके किसी मंत्री के गलत फैसलों की आलोचना करना अगर मुझे ट्रोल बनाता है, तो हां, मैं एक ट्रोल हूं। 

यदि सच बोलने पर, दुश्मनों द्वारा दुर्व्यवहार किया जाना और 'दोस्तों' द्वारा भी मजाक बनाया जाना, मुझे एक ट्रोल बनाता है, तो हां, मुझे एक ट्रोल होने पर गर्व है। 

यदि भगवा समर्थक होने का अर्थ महज वर्तमान सरकार की प्रशंसा करना है तो मुझे इससे इनकार है और यह अगर मुझे ट्रोल बनाता है, तो फिर हाँ, मुझे ट्रोल होने पर गर्व है! 

शेफाली वैद्य 

साभार आधार - http://www.opindia.com/2018/06/shefali-vaidya-troll-hindustan-times-sushma-swaraj/
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