उफ़ ! आज भाजपा शासन में कांग्रेस राज से कहीं अधिक शर्मनाक तुष्टीकरण ! क्या भारत में हिन्दू दोयम दर्जे के नागरिक हैं ?
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एक हैं लखनऊ की तन्वी सेठ, जिन्होंने 2007 में अनस सिद्दीकी नामक एक शख्स के साथ निकाह किया और निकाहनामे में उनका नया नाम हो गया – शादिया अनस !
निश्चय ही यह इन लोगों का निजी मामला है, कौन किससे शादी करे और अपना क्या नाम रखे और उनके निजी जीवन मे किसी को हस्तक्षेप करना भी नहीं चाहिए .... और सम्भवतः किसी ने हस्तक्षेप किया भी नहीं ....
लेकिन 19 जून को एक नई नौटंकी शुरू हुई जब तन्वी उर्फ़ शादिया और अनस लखनऊ के पासपोर्ट कार्यालय में पासपोर्ट के लिए आवेदन करने पहुंचे और उन्हें 20 जून को साक्षात्कार के लिए पासपोर्ट कार्यालय लखनऊ बुलाया गया ! दोनों पतिपत्नी निर्धारित तारीख और समय पर पासपोर्ट कार्यालय लखनऊ पहुंचे !
काउंटर नंबर A और B पे साक्षात्कार के प्रथम चरण में दोनों पति पत्नी के पासपोर्ट सम्बन्धी आवेदन को मंजूरी मिल गई, लेकिन काउंटर नंबर C-5 पर उपस्थित अधिकारी विकास मिश्रा ने तन्वी सेठ के आधिकारिक दस्तावेजों में गड़बड़ी पाई !
जानते हैं गड़बड़ी क्या थी ?
गडबडी यह कि निकाह के बाद तन्वी सेठ का नाम हो गया था शादिया, किन्तु उन्होंने पासपोर्ट चाहा था तन्वी सेठ के ही नाम पर | स्वाभाविक ही मोहतरमा से अधिकारी विकास मिश्रा ने सवाल जवाब किये !
क्या नहीं करना चाहिए थे ?
C-5 के ऑफिसर विकास मिश्रा ने दस्तावेजों की में जांच में पाया कि .... तन्वी सेठ के सभी दस्तावेजों में उनका मूल नाम तन्वी सेठ ही दर्ज है .... किंतु तन्वी सेठ के निकाहनामे में उनका नाम शादिया दर्ज है !
एक सामान्य समझ की बात है कि शादी के बाद निकाहनामे में लिखे गए नाम को ही मान्य किया जाना चाहिए, किन्तु ये मोहतरमा अपना पासपोर्ट तन्वी सेठ के नाम से ही बनवाना चाहती थी !
तन्वी सेठ के दस्तावेजों की इसी टेक्निकल प्रॉब्लम की वजह से काउंटर नंबर C-5 के अधिकारी विकास मिश्रा ने उनके दस्तावेजों को खारिज करते हुए पासपोर्ट आवेदन रद्द कर दिया !
बस फिर क्या था, मोहतरमा बिफर गईं, चीखपुकार हाय तौबा का बाजार गर्म हो गया और हमारी सेक्यूलर मीडिया को मिल गया मसाला !
तन्वी सेठ मैडम ने वहीं रोना धोना स्टार्ट कर दिया .... पति अनस सिद्दीकी के साथ मिल के मामले को जातीय मजहबी रंग दिया .... मैं मुस्लिम हूँ इस वजह से मेरे साथ भेदभाव हुआ .... विकास मिश्रा ने मेरे ऊपर जातीय फब्तियां कसते हुए मुझसे कहा तुमने हिन्दू से शादी क्यों नहीं की ?? .... मिश्रा जी ने मुझपे जातीय फब्तियां कसी .... हिन्दू नाम से पासपोर्ट बनवाना था तो किसी हिन्दू से या हिन्दू रीति-रिवाजों से शादी करती .... आदि आदि !
जबकि प्रत्यक्ष\दर्शियों के अनुसार ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था ! विडियो लिंक देखें –
लेकिन इस धर्मनिरपेक्ष भारत की तथाकथित हिंदुत्वनिष्ठ सरकार की आँखों पर चढ़े तुष्टीकरण के चश्मे ने जांच वांच करने की कोई जहमत ही नहीं उठाई और जैसे ही ऑफिसर मिश्रा की शिकायत ट्वीट द्वारा तन्वी मेम ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से की, आनन फानन में बिना किसी विभागीय जांच के विकास मिश्रा जी पे गाज गिर गई .... लखनऊ हेड ऑफीस से तबादला पासपोर्ट रीजनल ऑफीस गोरखपुर कर दिया गया ! इतना ही नहीं तो मिश्रा जी को कारण बताओ नोटिस भी जारी हो गया.... एक कर्तव्य निष्ठ अधिकारी की नौकरी पर बन आई !
और इसके बाद यह तो होना ही था कि मुख्य पासपोर्ट अधिकारी लखनऊ ने तन्वी सेठ और अनस सिद्दीकी को पासपोर्ट ऑफिस बुला के एक घण्टे में नया पासपोर्ट बना कर बाकायदा व्ही व्ही आई पी अंदाज में फोटो सेशन के साथ समर्पित किया....
क्या कहेंगे आप इस समूचे घटना चक्र पर ?
कुछ अंतर है क्या कांग्रेस के मंत्रियों और सुषमा जी में ?
विकास मिश्रा को हटाने का तुगलकी फरमान,
उद्घोष है कि सेक्यूलरिज्म प्रधान, बेमानी संविधान |
एक मक्कार महिला की गवाही,
और बेचारे मिश्रा की नौकरी पर बन आई !
क़ानून के मुताबिक़ तो पासपोर्ट हासिल करने के लिए गलत बयानी करना नोन बेलेबल अफेंस है ! होना तो यह चाहिए था कि शादिया पर कानूनी कार्यवाही की जाती, किन्तु हुआ उल्टा और एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी को प्रताड़ित कर दिया गया ! संभवतः यह अघोषित नियम बना दिया गया है कि भविष्य में कोई भी अधिकारी कर्मचारी किसी मुस्लिम से सवाल जबाब नहीं कर सकता | वे इस देश के प्रथम नागरिक हैं |
मनमोहन सिंह ने क्या गलत कहा था ?
इस देश के संसाधनों पर पहला हक़ मुसलमानों का है !
अब जब दोनों प्रमुख राष्ट्रीय दल यही मानते हैं, तो स्वाभाविक ही हिन्दू तो हैं ही भारत में दोयम दर्जे के नागरिक !
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