नशामुक्ति की दिशा में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टिन अमरिंदर सिंह की पहल और केन्द्रीय मंत्री की राहुल गांधी को डोप टेस्ट की चुनौती !


पंजाब इस समय देश को दिशा देने के मुकाम पर है | साथ ही रोचक किन्तु सारगर्भित राजनैतिक बयानबाजी भी जारी है | स्मरणीय है कि पंजाब की युवा पीढी में बढ़ती नशे की लत ने प्रबुद्ध समाज को गहरी चिंता में डाला हुआ है | पिछले विधानसभा चुनाव में ड्रग तस्करी एक मुख्य मुद्दा रहा था | पाकिस्तान के इस सीमावर्ती राज्य में बड़े पैमाने पर नशीले ड्रग्स की तस्करी होती है | 

इसी चिंता को रेखांकित करते हुए विगत 2 जुलाई को पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का बयान सामने आया जिसमें उन्होंने राज्य में ड्रग पेडलरों के लिए मौत की सजा की सिफारिश की थी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि, "मेरी सरकार ने ड्रग पेडलिंग / तस्करी के लिए मौत की सजा की सिफारिश करने का फैसला किया है। इस सिफारिश को केंद्र सरकार को भेजा जा रहा है। चूंकि नशीली दवाओं से पूरी पीढ़ियों नष्ट हो रही है, इसलिए इसके अपराधी कठोर दंड के हकदार है। मैं ड्रग मुक्त पंजाब के लिए प्रतिबद्धता के साथ खड़ा हूं । " 

मुख्यमंत्री कैप्टिन अमरिंदर सिंह इतने पर ही नहीं रुके, उन्होंने यह घोषणा भी की कि सभी सरकारी अधिकारियों और यहां तक ​​कि पुलिस को अनिवार्य रूप से डोप परीक्षण करवाना होगा। 

किन्तु उनके इस बयान से राज्य के नौकरशाहों में खलबली मच गई | हालांकि नौकरशाहों ने इस कदम का स्वागत तो किया, लेकिन साथ ही उन्होंने यह मांग भी कर डाली कि स्वयं मुख्यमंत्री और उनके विधायकों को भी ड्रग परीक्षण करवाना चाहिए । 

सरकार की घोषणा पर प्रतिक्रिया करते हुए, पंजाब सिविल सचिवालय एसोसिएशन के अध्यक्ष सुखचैन सिंह खेरा ने कहा है कि "हमें डोप टेस्ट को लेकर कोई आपत्ति नहीं है। हमारी मांग है कि सरकारी अधिसूचना में मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधायकों, पार्टी अध्यक्षों और उनके कर्मचारियों को भी शामिल करना चाहिए । आखिर उन्हें क्यों बाहर रखा जाना चाहिए? 

इस बयानबाजी के बीच केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने यह कहते हुए आग में और घी डाला कि मुख्यमंत्री ही क्यों, क्या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी में हिम्मत है कि वे डोप टेस्ट का सामना कर पायें ? 

एक टीवी चेनल से चर्चा करते हुए केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री ने कहा कि डोप टेस्ट एक अच्छा विचार है और इसे शीर्ष से शुरू होना चाहिए। सबसे पहले, कांग्रेस अध्यक्ष को डोप टेस्ट से गुजरना चाहिए जिन्होंने सबसे पहले कहा था कि पंजाब में 70% युवा ड्रग्स के आदी हैं। हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि पहले वे स्वयं को टेस्ट में पाकसाफ प्रमाणित करें,फिर इसे दूसरों पर लागू करने के विषय में सोचें । उन्होंने कहा कि वे सिर्फ चर्चा में बने रहने के लिए राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं । 

स्वाभाविक ही केन्द्रीय मंत्री के बयान की प्रतिक्रिया हुई और कांग्रेस नेता चरंजीत सिंह चन्नी ने कहा: 

"हरसिमरत बादल को अपने पति और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को पहले डोप टेस्ट से गुजरने के लिए कहना चाहिए।" 

काश यह गंभीर मुद्दा राजनीति की भेंट चढने के स्थान पर किसी नए सामाजिक बदलाव को लाने में सफल होता ? लेकिन लगता तो नहीं है | 

खैर मैं तो केप्टिन अमरिंदर सिंह द्वारा प्रारम्भ की गई इस मुहिम और उसमें जोड़े गए सुखचैन सिंह खैरा के सुझाव के पक्ष में हूँ | राजनेता हों चाहे नौकरशाह – हरेक को नशा मुक्त होना चाहिए ! 

लेकिन अगर ऐसा हो गया तो बचेंगे कितने ?

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