विश्व हिंदू परिषद की समयोचित मांग – भंग किया जाए अवैध मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड



12 जुलाई को विश्व हिन्दू परिषद के संयुक्त महासचिव, डॉ सुरेंद्र जैन द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में मांग की गई है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा प्रस्तावित देश के सभी जिलों में शरिया न्यायालयों की स्थापना से न केवल मुस्लिम महिलाओं के हक़ प्रभावित होंगे, बल्कि यह कार्य पूरे देश के लिए हानिकारक होगा। यह मुस्लिम अवाम में भारतीय न्यायपालिका के प्रति अवमानना की भावना भी पैदा करेगा। 

वीएचपी का मानना है कि शरिया अदालतों के रूप में समानांतर न्यायपालिका की स्थापना किसी साजिश से कम नहीं है। इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड नामक यह निकाय, जो स्वयं पूरी तरह से अवैध और असंवैधानिक है, अब अवैध शरिया न्यायालय स्थापित करने जा रहा है। 

डॉ जैन ने कहा कि यह इस कट्टरपंथी संगठन को प्रतिबंधित करने का सही समय है, जो मुस्लिम जनता को सदैव पिछड़ा ही रखना चाहता है। 

डॉ जैन ने कहा कि मुल्ला-मौलवी, शरिया अदालतों के माध्यम से, ट्रिपल तालाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को प्रभावशून्य कर देंगे। सुप्रीम कोर्ट में निकाह हलाला और बहुविवाह का मामला भी लंबित है। कोई सभ्य समाज इन प्रथाओं का समर्थन नहीं कर सकता । इन विषयों पर आने वाले फैसलों को खत्म करने के लिए यह मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की साजिश है। 

वीएचपी का मानना ​​है कि इस तरह के शरिया न्यायालय जिहादियों को मुस्लिम महिलाओं को दबाने और देश में घृणा फैलाने का अधिकार देने वाले एक आसान उपकरण बन जाएंगे। 

वीएचपी का यह भी मानना ​​है कि मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में गैर-मुसलमानों के लिए ये शरिया अदालतें विनाशकारी साबित होंगी और उन्हें उनके तालिबानी फैसलों को स्वीकार करने के लिए मजबूर होना होगा। ये अदालतें धर्मांतरण के बाद नाबालिग हिंदू लड़कियों के विवाह को वैध बनायेंगी, जैसे कि यह बंगाल में अनिता के मामले में हुआ। 

ये अदालत हिंदू महिलाओं पर जिहादियों द्वारा किए गए अत्याचारों को भी वैध बनाएगी। अगर वे ऐसी अदालतों के खिलाफ जायेंगे तो हिंदुओं को पीड़ित किया जाएगा। शरिया अदालतों के कारण नाइजीरिया और सूडान में हुई सामाजिक हिंसा पर भी गौर किया जाना चाहिए। डॉ जैन ने पूछा कि क्या मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भारत को हिंसक समाज में बदलने की कोशिश कर रहा है? 

डॉ जैन ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इन अदालतों की स्थापना करके अपने गलत कामों को छुपाने की कोशिश कर रहा है। आखिरकार, इन शरिया अदालतों के फैसले को चुनौती देने की हिम्मत कितनी मुस्लिम महिलायें जुटा सकेंगी? 

डॉ जैन ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट, जिन्होंने खाप पंचायतों का विरोध किया था, शरिया अदालतों का समर्थन कर रहे हैं। मुल्ला-मौलवी तो शरिया अदालतों के बिना भी पहले से ही महिला विरोधी और मानवता विरोधी फतवे जारी करते ही रहते है। वे इन अवैध निकायों द्वारा स्थापित गैरकानूनी शक्तियों का दुरुपयोग करेंगे। 

वीएचपी देश के बुद्धिजीवियों से अपील करता है कि यह शरिया अदालतों के समर्थकों पर दबाव बनाएं ताकि यह असंवैधानिक और मानवता विरोधी षड्यंत्र सफल न हो। प्रगतिशील मुस्लिम समुदाय को एक आंदोलन शुरू करना चाहिए ताकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को तुरंत भंग किया जा सके।
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