विश्व संवाद केंद्र गुजरात द्वारा संचालित अखिल भारतीय प्रकल्प – “नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म” (एनआईएमसीजे) की उपलब्धियां व सत्रारंभ !



विश्व संवाद केंद्र गुजरात - 1992 में, अहमदाबाद में शुरू हुआ। समय परिवर्तन का वाहक मीडिया होता है, यह अनुभव कर, इच्छुक छात्रों को गुणवत्ता पूर्ण मीडिया शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से “विश्व संवाद एजुकेशन फाउंडेशन” (वीएसईएफ) की स्थापना की गई, जिसके अंतर्गत 2007 में बेहतर सामाजिक परिवर्तन हेतु आवश्यक मीडिया शिक्षा प्रदान करने के लिए “नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म” (एनआईएमसीजे) की स्थापना की गई । अब इस संस्थान को 11 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं तथा इसमें अध्ययन कर बाहर निकलने वाले छात्र, अब देश भर के विभिन्न मीडिया सदनों में अपनी चमक बिखेर रहे हैं। दिल्ली, पश्चिम बंगाल, मेघालय, तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और गुजरात सहित 17 अलग-अलग राज्यों के छात्रों ने अब तक संस्थान में अध्ययन किया है, जो इसकी अखिल भारतीय स्तर पर मान्यता को प्रदर्शित करता है । 

इस वर्ष एनआईएमसीजे ने भी भारत के सर्वश्रेष्ठ व्यावसायिक कॉलेजों के साथ, आउटलुक इंडिया मैगज़ीन द्वारा कराये गए सर्वेक्षण में भाग लेकर सर्वेक्षण के सभी मानकों को पूर्ण किया | 2018 में भारत के शीर्ष सूचीबद्ध 15 जन संचार कॉलेजों में गुजरात का एकमात्र कॉलेज एनआईएमसीजे है। 

एनआईएमसीजे को 2 फरवरी, 2018 को शिक्षा विभाग और केसीजी (नोलेज कंसोर्टियम ऑफ़ गुजरात) द्वारा "प्लेसमेंट में उत्कृष्टता" से सम्मानित किया गया है। एनआईएमसीजे अपने सभी छात्रों को सालाना 100% प्लेसमेंट प्रदान करने में सक्षम है । यह पुरस्कार और प्रमाण पत्र, गुजरात सरकार के माननीय मुख्यमंत्री श्री विजयभाई रुपानी और शिक्षा मंत्री श्री भूपेंद्रसिंह चुडासमा द्वारा प्रदान किया गया । 

1 अगस्त को नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ़ कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म (एनआईएमसीजे) परिसर में 11 वें बैच के छात्रों का स्वागत समारोह आयोजित हुआ | ये छात्र मास कम्युनिकेशन और पत्रकारिता में दो साल का स्नातकोत्तर डिप्लोमा करेंगे, जिसकी मीडिया उद्योग में सर्वाधिक मांग है । 

इस अवसर पर छात्रों का मार्गदर्शन करने हेतु मुख्य अतिथि के रूप में गुजरात चेम्बर ऑफ़ कोमर्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री दुर्गेश बुख पधारे | श्री बुख ने अपने संबोधन में पत्रकारिता को दुनिया के भविष्य को आकार देने वाला बताते हुए कहा कि ये छात्र भविष्य में इसका हिस्सा बनने जा रहे हैं। उन्होंने 01 अगस्त के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला, जैसे कि - भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का आगमन, ऑक्सीजन की खोज और ऐसी कई अन्य खोजें, जो इस दिन के महत्व को रेखांकित करती हैं। उन्होंने छात्रों से तत्व प्रधान पत्रकारिता के मार्ग पर चलने का अनुरोध किया। 

छात्रों का स्वागत करते हुए, लेखक और गीतकार श्री तुषार शुक्ला ने उल्लेख किया कि संचार जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है और भाषा संचार का एक महत्वपूर्ण साधन है। इसलिए भाषा सीखना महत्वपूर्ण है ताकि विचारों को प्रभावी रूप से अभिव्यक्त किया जा सके। उन्होंने महात्मा गांधी का हवाला दिया और सभी को उनके शब्दों पर ध्यान देने का आग्रह किया - 'मेरा जीवन ही मेरा संदेश है'। 

आयोजन का प्रारम्भ अतिथियों द्वारा पारंपरिक दीप प्रज्वलन से हुआ और प्रार्थना द्वारा दैवीय आशीर्वाद का आह्वान किया गया । अतिथियों का स्वागत गीता भेंट कर किया गया । 

एनआईएमसीजे के निदेशक डॉ शिरीष काशीकर ने छात्रों का स्वागत करते हुए उन्हें समर्पित भाव से अपने पेशेवर विकास और करियर में वृद्धि के लिए संस्थान में दो साल समर्पित करने हेतु प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि मीडिया उद्योग एक बहुत बड़ा क्षेत्र है और उनके करियर की यात्रा में उनके सामने कई चुनौतियां हैं। उन्होंने अतिथियों को जानकारी दी कि यहाँ पूरे भारत से छात्र आये हैं, और इन्होने संस्थान को राष्ट्रीय स्वरुप दिया है । 

कार्यक्रम का सीधा प्रसारण एनआईएमसीजे के “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” नामक फेसबुक पेज पर किया गया । 

कॉलेज की परंपराओं के अनुसार संस्थान के वरिष्ठ छात्रों ने जूनियर बैच के छात्रों के साथ एक रचनात्मक परिचय सत्र आयोजित किया ताकि उन्हें नए वातावरण में सहजता की अनुभूति हो । 

इस अवसर पर संस्थान के प्रबंध निदेशक-श्री प्रदीप जैन, ट्रस्टी-श्री हरेश ठक्कर, सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग प्रमुख डॉ कमल मेहता और श्री ज्योतिंद्र मेहता, अध्यक्ष सहकार भारती भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे । 

संस्थान से सम्बंधित जानकारियों हेतु संपर्क सूत्र:
शशिकांत भगत
संकाय, एनआईएमसीजे
मोबाइल-09726098398


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