प्रबुद्ध समाज में प्रथ्वीराज, उनके कवी मित्र चंद वरदाई और जयचंद को अधिकाँश लोग जानते हैं | प्रथ्वीराज की वीरता का आख्यान, चंद वरदाई लिखि...
माहिल राजा की चंगुलिन में, राजा बिगरि गए परिमाल |
हुकुम चलायो सब हिंदुन पे, बिद्दति करी यहाँ पर आय |
अच्छे अच्छे ग्रन्थ नशाये, कीन्हीं बहुत अनीति अघाय |
जब आये अंग्रेज बहादुर, तबते सुचित भये सब लोग |
बंदोबस्त के रहे कलेक्टर, कुछ दिन शहर फर्रुखाबाद |
गावन बाले जो जाहिर थे, तिनते लिखबायो त्यहि काल |
आज्ञा ले अपने मतबे में, मुंशी रामस्वरूप छपाय |
कियो प्रगट लै मोल लोग सब, बांचत आल्ह खंड सब ठाम |
कुल मिलाकर स्वतंत्रता पर्व पर विचार होना चाहिए कि हम गुलाम क्यों बने ? प्रथ्वीराज का संघर्ष केवल जयचंद से ही नहीं हुआ, बल्कि आल्हा ऊदल जैसे वीर योद्धाओं से भी सतत चला | हम आपस में लड़कर ही अपनी बहादुरी दिखाते रहे, और बाहरी शत्रु की ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया | तो पराभव तो होना ही था | काश यह स्वतंत्रता दिवस, देश के चिंतन को कुछ सही दिशा दे पाए |

मध्यप्रदेश समाचार
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