केरल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रेरणा से संचालित “सेवा-भारती” द्वारा किये जा रहे सेवा कार्यों की चित्रमय गाथा !



यूं तो संघ प्रेरणा से संचालित सभी संगठन अपने अपने स्तर पर केरल की भीषण बाढ़ आपदा से आम जन को राहत देने में अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं, अनेक स्वयंसेवकों ने राहत कार्य करते समय अपने प्राण गँवाए भी हैं | भारतीय मजदूर संघ तथा भारतीय जनता युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं के प्राणोत्सर्ग की बलिदानी गाथा तो पूर्व से ही चर्चित है | सभी यथासंभव पीड़ितों की मदद कर रहे हैं, इनमें सेवा भारती द्वारा संगठित रूप से संचालित सेवा कार्य उल्लेखनीय हैं | भले ही उन्हें ऐसी परिस्थितियों से जूझने का कोई पूर्व प्रशिक्षण प्राप्त नहीं हुआ है, लेकिन रहते तो समुद्र के किनारे ही हैं, साथ ही अपने समाज बंधुओं के प्रति ह्रदय में अपार प्रेम तो है है, अतः वे अत्यंत कुशलता से सेवा कार्यों का संचालन करने में सफल हो रहे हैं । सेवा भारती के इन कार्यकर्ताओं ने, “मत्स्य प्रवर्धक संघम” के इन शूरमाओं ने बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित अलपुझा और एर्नाकुलम इलाकों में अनेक लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में पहुंचाया । 

अलुवा, कुंडग्लूर, पांडानाद, वेनमनी, बुद्धानूर, कुमारकम जैसे कुछ स्थान तो विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं, जहाँ इन निःस्वार्थ इंसानों ने एक प्रकार से करिश्मा ही कर दिखाया । उफनते बाढ़ के पानी के बीच, केवल 20 छोटी नावों, 2 बड़ी नावों और एक स्पीड बोट के सहारे सैकड़ों लोगों की प्राणरक्षा की गई । अरातुपुझा के लगभग 60 स्वयंसेवक इस सेवाकार्य में रातदिन जुटे रहे । 

परमपुझा और कुट्टानाद में फंसे लगभग 600 लोगों को बचाने के लिए यामाहा इंजनों से सुसज्जित 20 नौकाओं को तैनात किया गया । मूवतुपूझा और कोठमंगलम में 10 नावों के साथ मुनाबम और वदानपल्ली के स्वयंसेवक तैनात हुए । मुजिक्कल और कुरिमाशेरी के लोगों ने भी कार्यकर्ताओं के सेवाभाव को आश्चर्य से देखा और सराहा । इस कार्य का नेतृत्व पेयोली, कोयिलंदी, वेलायिल और मराद से आये “मत्स्य प्रवर्तक संघ” के स्वयंसेवकों ने किया । 

कोट्टायम जिले में सेवाभारती द्वारा वर्तमान में 27 राहत केंद्र संचालित किये जा रहे है। कल ढाई लाख रुपए मूल्य की आवश्यक सामग्री और खाद्यान्न के पैकेट वितरित किए गए । इसके अतिरिक्त समूचे कोट्टायम जिले में पांच वाहनों की मदद से घर घर जाकर 75000 खाद्य सामग्री के पैकेट भी वितरित किए गए । 

एर्नाकुलम जिले में 18 तथा इडुक्की में 11 राहत शिविर खोले गए हैं। कई घरों को साफ़ सफाई कर उन्हें पुनः रहने योग्य बनाने में भी कार्यकर्ता मदद कर रहे हैं । 

कोलनकोट में भी 48 शिविर खोले गए हैं, जिनमें 767 परिवारों के 3133 लोगों की देखभाल की जा रही है | यहाँ 80 स्वयंसेवकों को तैनात किया गया है।










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