नोटबंदी – सफल या असफल - आंकड़ों की जुबानी



आजकल नोटबंदी की सफलता या असफलता को लेकर बहस चल रही है । हर मामले में बिना जाने समझे अपनी नादानी दिखाने के आदी स्वनामधन्य राजनेता भी स्वाभाविक रूप से अपने "पप्पुआने" अंदाज में बहस में कूद पड़े और उनकी जी हजूरी में लगे पत्रकारों ने भी शोर मचाना शुरू कर दिया । उनकी भड़ास का आधार महज एक बिंदु है - स्टीयरिंग टीम की रिपोर्ट । 

आईये नोटबंदी से जुड़े कुछ बिन्दुओं पर नजर डालें - 

भारत सरकार ने 8 नवंबर 2016 को कई उद्देश्यों को ध्यान में रखकर 1000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को रद्द करने का निर्णय लिया: (i) ब्लैक मनी को बाहर निकालना, (ii) नकली भारतीय मुद्रा को खत्म करना, (iii) आतंकवादी और माओवादि के चरमपंथियों के वित्त पोषण की जड़ पर हमला करना, (iv) गैर-औपचारिक अर्थव्यवस्था को कर के दायरे में लाकर औपचारिक अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करना ताकि रोजगार प्रदान करने हेतु अर्थ तंत्र सुदृढ़ हो और (v) भुगतान के डिजिटलकरण को बढ़ावा देना । 

अब देखते हैं नोटबंदी का प्रभाव क्या हुआ ? लाभ-हानि विवेचन - 

नोटबंदी के पूर्व की तुलना में 56 लाख नए करदाता बढे । 

दायर किये जाने वाले रिटर्न की संख्या में 24.7% की वृद्धि दर्ज की गई और पिछले वर्ष के मुकाबले ब्याज दरें 100 बीपीएस से कम हो गईं। 

डिजिटल लेनदेन में 65% की वृद्धि हुई 

बैंकों में जमाधन में 3 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई। 

16,000 करोड़ बैंक वापस नहीं आए 

4.73 लाख संदिग्ध लेनदेन का पता चला 

3 लाख से ऊपर के सभी लेनदेन जांच के दायरे में हैं 

आभूषण की मांग 80% कम हो गई 

शद्ध मुद्रा संचार 3 खरब रु. अर्थात लगभग 21%कम हो गया 

वित्त मंत्रालय के प्रबंधन (एयूएम) के तहत परिसंपत्तियां 54% बढ़ीं। 

ईपीएफ और ईएसआईसी में 1 करोड़ से अधिक कर्मचारी जोड़े गए। 

आईडीएस 15 के तहत कुल 3,770 करोड़ घोषित किए गए। 

आईडीएस -16 के तहत कुल 65,250 करोड़ घोषित किए गए। 

52.4 करोड़ यूनिक आधार नं. से भारत के 73.62 करोड़ खाते जुड़े 

पीएमजीकेवाई के तहत 21000 लोगों ने 4,900 करोड़ घोषित किए 

34 बड़े सीए जांच के दायरे में हैं । 

असली अपराधी 460 बैंक अधिकारियों को कथित अनियमितताओं के लिए दंडित किया गया: सीवीसी 

जिन लोगों ने 25 लाख रुपये से अधिक की नकदी जमा की, ऐसे 1.16 लाख लोगों को नोटिस दिए गए हैं 

1 करोड़ से अधिक जमा करने वाले 5000 लोगों को कर नोटिस दिए गए हैं। 

18 लाख खातों की जांच की गई और 'ओसीएम' के तहत नोटिस भेजे गए। 

5.56 लाख लोगों की पहचान की गई जिनकी जमा राशि उनकी आय से मेल नहीं खाती हैं 

35,000 सेल कंपनियों को ख़त्म किया गया । 

उचित कार्रवाई के लिए, व्यक्तियों के लगभग 200 उच्च जोखिम समूहों की पहचान की गई। 

2.1 लाख सेल कंपनियों के पंजीयन रद्द हुए 

1.2 लाख से अधिक और सेल कंपनियों के पंजीयन भारत सरकार रद्द करने जा रही है । 

3.0 9 लाख निदेशक मंडल अयोग्य घोषित। 

42,448 करोड़ की अज्ञात आय 132 (4) के अंतर्गत स्वीकार की गई । 

33,028 करोड़ की अज्ञात आय का पता चला । 

2.89 लाख करोड़ रुपये की नकद जमा आई-टी जांच के दायरे में है । 

जीएसटी के तहत हुए प्रभावशाली राजस्व संग्रह में भी आंशिक रूप से नोटबंदी की ही भूमिका है .. 

अगर इसके बाद भी कोई यह कहता है कि नोटबंदी असफल रही, तो वह या तो आमजन की आँखों में धुल झोंकना चाहता है, या स्वयं ही मूर्ख है ! 

तथ्य यह है कि 1,65,396 करोड़ रुपये की 'ब्लैक मनी' या तो पकड़ी गई, या स्वीकार की गई या नोटबंदी के कारण रद्दी हो गई । 'बेनामी' और 'इंपॉजिशन' टैक्स के रूप में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) द्वारा की गई बसूली तो इसके अतिरिक्त हैं। पिछले 4 वर्षों में कुल 2,12,360 करोड़ रुपये की 'ब्लैक मनी' जब्त की गई हैं। 

और निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि 'मुद्रा' वापस बैंकों में जमा हो गई है, इसका मतलब यह नहीं है कि यह ब्लैक मनी नहीं है। जो राशि जब्त की गई या स्वेच्छा से घोषित की गई, वह राशि भी तो आख़िरकार बेंकों में ही जमा हुई है। इसीलिए धूर्त और कुटिल लोग आंकड़ों की बाजीगरी कर रहे हैं | 

उपरोक्त आंकड़ों को समझने के लिए कोई "वित्तीय विशेषज्ञ" होना जरूरी नहीं है, महज आँख कान खुले होना चाहिए, जो सोशल मीडिया के जमाने में सबके खुले ही हैं | कोई हमें बरगला नहीं सकता | कोई “पप्पू” तो हमें हरगिज हरगिज पप्पू नहीं बना सकता |
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