सोलहवीं सदी के खलीफा युग का भूत और कश्मीरी मुस्लिम नौजवान !


अभी कल की ही बात है, जब संयुक्त अरब अमीरात ने एक कश्मीरी इरफान अहमद को इस आरोप पर निर्वासित कर दिया कि वह इस्लामी राज्य से सहानुभूति रखता था। अहमद ने ओमान होते हुए दुबई में प्रवेश किया था | जब उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर गंभीरता से पूछताछ की तो पता चला कि वह आईएसआईएस के प्रति सहानुभूति रखता था और सोशल मीडिया पर भी बहुत सक्रिय था। दुबई के अधिकारियों ने शारजाह में उसके अपार्टमेंट की पूरी तरह से खोजबीन की और बाद में उसे एक अज्ञात स्थान पर ले जाया गया। 

ख़ास बात यह है कि इरफ़ान के परिजनों ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जी से मदद की गुहार लगाई | और उसके बाद सुषमा जी के आग्रह पर मुस्लिम राष्ट्र संयुक्त अरब अमीरात ने इरफ़ान अहमद को सेक्यूलर देश भारत को उसे वापस सोंपा | जबकि प्रारम्भ में संयुक्त अरब अमीरात उसे भारत भेजने को कतई राजी नहीं था | भारत लाए जाने के बाद खुफिया ब्यूरो और राष्ट्रीय जांच एजेंसी समेत विभिन्न एजेंसियों द्वारा पांच दिन तक उससे गहन पूछताछ की गई और बाद में कश्मीर पुलिस को सौंप दिया गया । और आशा की जाती है कि शीघ्र ही वह अपने परिवार के साथ अमन चैन की जिन्दगी बसर करेगा |

यह दूसरा कश्मीरी है, जिसे संयुक्त अरब अमीरात ने भारत के अनुरोध पर निर्वासित किया है। इसी प्रकार संयुक्त अरब अमीरात ने आईएसआईएस के प्रति सहानुभूति रखने के आरोपी, कश्मीर में गंदरबल के निवासी अजहर उल इस्लाम को विगत वर्ष निर्वासित कर दिया था। 

विगत 25 मई को तुर्की की राजधानी अंकारा में भी एक 21 वर्षीय कश्मीरी नौजवान अफशन परवेज़ पकड़ा गया था, जो कथित रूप से आतंकवादी समूह आईएसआईएस में शामिल होने जा रहा था | अधिकारियों द्वारा उसे तुर्की से भारत वापस भेज दिया गया था तथा दिल्ली में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उसे एक अज्ञात स्थान पर ले जाकर उससे पूछताछ की गई । परवेज ने 23 मार्च को तेहरान की उड़ान के लिए अपनी सीट बुक करवाई थी।जब कश्मीर में पुलिस और अन्य एजेंसियों को इसके बारे में जानकारी मिली कि परवेज़ अंकारा गया हुआ है, तो उन्होंने अंकारा के अधिकारियों से संपर्क किया और नतीजतन तुर्की की राजधानी में बस में यात्रा करते समय उसे धर दबोचा गया । इसी प्रकार मार्च में, श्रीनगर के निवासी मोहम्मद ताहा को तुर्की से निर्वासित कर भारत वापस भेज दिया गया था । तबसे उसे हिरासत में ही रखा गया है। 

भारत में सुरक्षा एजेंसियों ने आईएसआईएस में शामिल होने जाने वाले युवाओं को लेकर चिंता जताई है । उनका मानना ​​है कि कुछ कश्मीरी युवा इंटरनेट पर आईएसआईएस द्वारा साझा की जा रही 'जिहादी' प्रचार सामग्री को देख देख कर कट्टरपंथी हो रहे हैं। एजेंसियों का मानना ​​है कि अगर आईएसआईएस के बढ़ते प्रभाव को समय रहते नहीं रोका गया तो घाटी की स्थिति और अधिक विस्फोटक हो जायेगी । 

हाल ही में, सोशल मीडिया साइटों पर एक ऑडियो क्लिप सामने आया था जिसमें हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) आतंकवादी कमांडर जाकिर मूसा घाटी में इस्लामी खलीफा राज स्थापित करने के बारे में बात करते सुना जा सकता है। पुलिस ने पहले वीडियो और ऑडियो में मूसा की आवाज़ का तुलनात्मक विश्लेषण किया । 5.40 मिनट के इस ऑडियो में कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को चेतावनी दी गई है कि वे सीरिया और इराक के कुछ हिस्सों में आईएसआईएस द्वारा स्थापित खिलाफत की तर्ज पर घाटी में खलीफा राज की स्थापना में रोड़े न अटकाएं | 

खिलाफत का यह आव्हान आतंकवाद से जूझते कश्मीर के लिए एक नई परेशानी का सबब बन सकता है क्योंकि घाटी में पहले से ही धार्मिक चरमपंथ और अलगाव के बीज जमे हुए हैं । घाटी में हुए हालिया विरोध प्रदर्शनों के दौरान, कुछ क्षेत्रों में आईएसआईएस के झंडे भी फहराए गए थे, और आतंकवादी समूह का समर्थन करने वाले नारे दीवारों पर लिखे गए थे। 

विचारणीय मुद्दा यह है कि संयुक्त अरब अमीरात और टर्की जैसे मुस्लिम देश आईएसआईएस के प्रति जितने कठोर हैं, क्या भारत भी है ? यहाँ तो राष्ट्रीय सुरक्षा की तुलना में, स्वयं को सेक्यूलर दिखाना मुख्य है | लगता है कि कश्मीरी नौजवानों के सर पर जिहाद का और हमारे नेताओं के सर पर धर्मनिरपेक्षता का भूत सवार हो चुका है | भारत का भविष्य देशवासी जानें | 

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