एक रोचक सवाल - मायावती और दिग्विजय सिंह में से कौन है भाजपा का एजेंट ?


दो दिन पूर्व वरिष्ठ कांग्रेस नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया था कि मायावती अपने भाई पर संभावित अनुपात विहीन संपत्ति के मामले में कार्यवाही से डरी हुई हैं, इसलिए भाजपा के दबाब में हैं | 

इस पर पलट वार करते हुए आज बसपा नेता मायावती ने दिग्विजय सिंह को ही भाजपा का एजेंट करार दे डाला | उन्होंने एक प्रेस वार्ता में आरोप लगाया कि दिग्विजय सिंह कांग्रेस पार्टी और बीएसपी के बीच गठबंधन नहीं होने देना चाहते, क्योंकि वह सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय जैसी केंद्रीय सरकारी एजेंसियों की कार्यवाही से डरे हुए हैं। मायावती ने उन आरोपों को खारिज किया कि उनके कारण राज्यों में कांग्रेस और बसपा के बीच गठबंधन नहीं हो पा रहा । 

स्मरणीय है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह के अवसर पर, विपक्षी एकता को ऐतिहासिक बताते हुए प्रचारित किया गया था। उस समय 'एकजुट' दिखे कई चेहरों में सोनिया गांधी, बसपा प्रमुख मायावती और युवराज राहुल के आत्मीय फोटो काफी प्रसिद्ध हुए थे । 

लेकिन लगता है कि उक्त घटना के कुछ ही महीने बाद, महागठबंधन की परतें चटकने लगी हैं । और आज तो बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस एक प्रकार से कांग्रेस पार्टी की बखिया ही उधेड़ डालीं । 

उन्होंने यहाँ तक आरोप लगाया कि कांग्रेस भाजपा द्वारा बनाए गए माहौल से इतना घबरा गई है कि वह मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकिट देने से भी कन्नी काटने लगी है, जबकि बीएसपी में ऐसा नहीं होता । 

मायावती ने कांग्रेस पर दलितों का वोट बैंक के रूप में उपयोग करने और बाद में समुदाय के लिए कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं करने का भी आरोप लगाया । 

उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि कांग्रेस ने देश पर शासन करने के लिए दलितों का उपयोग किया, लेकिन इसमें भरे हुए जातिवादी और सांप्रदायिक मानसिकता के लोगों ने समुदाय के लिए कभी भी कुछ नहीं किया है| 

कांग्रेस को आइना दिखाते हुए मायावती ने कहा कि कांग्रेस की हालत खस्ता है, किन्तु फिर भी वे सोचते हैं कि बीजेपी से अकेले लड़ा जा सकता है| कांग्रेस के नजरिये से हमें समझ में आ गया है कि उनका अहंकार ही उनके पतन का मूल कारण है ।

खैर जो भी हो इस घटनाक्रम से भाजपा की बाछें खिल रही हैं | गठबंधन को वे पहले से ही ठगबंधन कहते ही रहे हैं | केवल सत्ता पाने की अदम्य महत्वाकांक्षा जब हो, तब किसी से भी त्याग और बड़े दिल की कल्पना नहीं की जा सकती | हरेक की अपनी ढपली अपना राग स्वाभाविक है |

इसीलिए एक दूसरे पर भाजपा का एजेंट होने का आरोप चस्पा किया जा रहा है | एक दूसरे पर आरोप मढ़े जा रहे हैं | अब अगर भविष्य में यह गठबंधन हो भी गया, तो उसका हश्र क्या होगा, उसकी सहज कल्पना की जा सकती है | राजनैतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि कांग्रेस और बसपा मध्यप्रदेश में भले ही सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ें, किन्तु उनके बीच पारस्परिक राजनैतिक रणनीति समझ होगी | लेकिन सवाल उठता है कि इस कटु बयानबाजी के बाद, बेमन से बना चुनावी भोजन कितना स्वादिष्ट बनेगा, यह तो बख्त ही बतायेगा |

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