(कुछ दिन पूर्व हास्य कवि हास्य कवि सुरेन्द्र शर्मा का एक विडियो सुनने को मिला, जिसके कुछ अंश इस प्रकार थे - देश का दुर्भाग्य है कि यह...
(कुछ दिन पूर्व हास्य कवि हास्य कवि सुरेन्द्र शर्मा का एक विडियो सुनने को मिला, जिसके कुछ अंश इस प्रकार थे -
देश का दुर्भाग्य है कि यहाँ चुनावों में जनता
पार्टियों को चुनती है, व्यक्तियों को नहीं |अगर हम अच्छे लोगों को चुनना शुरू कर देते तो,पार्टी वाले भी अच्छे लोगों को टिकिट देना शुरू कर देते |फिर मुल्क में पार्टियां चुनाव हारतीं,मुल्क कभी नहीं हारता !क्योंकि जो भी जीत कर आते,अच्छे लोग ही आते |
लगभग इसी विचार को आगे बढ़ा रहा है, प्रस्तुत आलेख - संपादक)
पर्याप्त योग्यता पात्रता न होते हुये भी येन केन प्रकारेण सत्ता प्राप्ति अथवा प्राप्त सत्ता को बनाये रखने की महत्वाकांक्षा गृहयुद्ध का कारण बन सकती है. जिसका दुष्परिणाम सामान्य जनता को ही भोगना है. इस दृष्टि से 2019 बहुत संवेदनशील वर्ष है, जनता को कोई जाति में बाँटना चाहेगा, कोई पंथ संप्रदाय में.. उद्देश्य व्यापक न होकर स्वयं अथवा अपने गुट हेतु सत्ता शक्ति स्वार्थ साधना है.
ऐसे में युवावर्ग को ही समझदारी दिखानी होगी, राजनीति बिना पैसे दिये मनोरंजन करती है, किन्तु जनसामान्य की मुफ्त मनोरंजन करने की यह इच्छा राष्ट्र और उसकी जनता हेतु भविष्य में घातक सिद्ध होती है. समय अमूल्य है, इसे राजनीतिक चर्चा में गँवाकर कुछ प्राप्त होने वाला नहीं है. बेहतर है पहले स्वयं को ठीक किया जाये.
अतः आप अपने क्षेत्र के स्थानीय नेताओं के कार्य का आकलन स्वयं कीजिये.. अच्छे व्यक्तियों से चुनाव लड़ने का आग्रह कीजिये.. दूर बैठे किसी व्यक्ति अथवा पार्टी के नाम पर मतदान करना कराना निरा मूर्खता है. इस बात को जितना जल्दी समझेंगे उतना ठीक.. व्यक्ति का आकलन उसके कर्मबल के आधार पर ही करना चाहिये.. उसके धर्म, पंथ, जाति, पक्ष अथवा भाषणों पर नहीं...
अक्सर देखा गया है कि लच्छेदार भाषणों पर तालियाँ बजाने वाले समाज का हाथ खाली रहता है.
तुलसीदास जी ने बहुत सुन्दर बात कही है..
कर्म प्रधान विश्व करि राखा,
जो जस करहि सो तस फल चाखा.
व्यक्ति अथवा पक्ष अपने बल पर प्रिय बनता है और अपनी ही कमियों के कारण दूर जाता है..
अतः निरासक्त, निष्पक्ष रहकर अच्छे लोगों का चुनाव कीजिये.. भ्रष्ट राजनेताओं को सामाजिक मंचो पर स्थान देना एकदम बंद कीजिये. ऐसे नेताओं को विवाह आदि शुभ कार्यों में निमंत्रित करना भी बंद कीजिये. इसके बदले अपने आसपास छोटे किन्तु सदकर्मों में लिप्त सज्जनों को सम्मान दीजिये.. उनका हौसला बढ़ाईये...
यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो नेता लोग समाज से प्राप्त शक्ति का दुरुपयोग समाज की समरसता पर हमला करने में कर सकते हैं, पहले भी किया है, आज भी कर रहे हैं..
यही उपाय है, आप आकलन नहीं करेंगे तो नेता अपनी तिजोरी भरते रहेंगे, अनैतिक व्यापार बढ़ाते रहेंगे... धन से सत्ता और सत्ता से धन बनाते रहेंगे.
याद रखिये सत्ता सिर्फ धन प्राप्ति के लिये नहीं है, सत्ता की शक्ति द्वारा महत्व प्राप्त करने की भूख और बड़ी है, बिना किसी जिम्मेदारी के पीछे से सत्ता चलाने की भूख उससे भी बड़ी है..
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