केरल में हिन्दू विरोधी कम्यूनिस्ट षडयंत्र को उच्च न्यायालय ने विफल किया



केरल की सीपीएम सरकार चाहती थी कि केरल के हिंदू मंदिरों की व्यवस्था के लिए बने प्रशासन बोर्ड के प्रमुख पदों पर गैर हिंदुओं की नियुक्ति कर दी जाए और धीरे धीरे हिन्दू परम्पराओं और रीति रिवाजों को भी नष्ट-भ्रष्ट किया जाए | किन्तु यह कम्यूनिस्ट षडयंत्र विगत 26 अक्टूबर को केरल उच्च न्यायालय द्वारा विफल कर दिया गया | 

केरल उच्च न्यायालय द्वारा 26 अक्टूबर को दिए गए फैसले के अनुसार अब हिंदू ही देवास्वोम के शीर्ष पदों पर नियुक्त किये जा सकेंगे स्मरणीय है कि कम्यूनिस्ट सरकार ने विगत दिनों देवासॉम आयुक्त की नियुक्ति के लिए बने क़ानून में संशोधन कर धारा 2 9 (2) से "हिंदू" शब्द को हटा दिया था । कानून में संशोधन के इस निर्णय के खिलाफ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट पी एस श्रीधरन पिल्लई, हिंदू ऐक्य वेदी के महासचिव आर.वी. बाबू और तिरुविथमकूर देवास्वोम बोर्ड के पूर्व चेयरमैन और कांग्रेस नेता गोपालकृष्णन द्वारा हाईकोर्ट में याचिकायें दायर की गई थीं । 

इन याचिकाओं के सन्दर्भ में उच्च न्यायालय द्वारा 16 अक्टूबर को नोटिस जारी कर केरल सरकार को निर्देश दिया था कि वह इस विषय में एक हलफनामा प्रस्तुत करे । अदालत ने सरकारी वकील द्वारा दिए गए आश्वासन को रिकॉर्ड किया कि सरकार हलफनामा दायर करेगी। तदनुसार, आगे प्रकरण की सुनवाई के लिए 26 अक्टूबर, 2018 तारीख नियत की गई थी । 

स्पष्ट ही इस संशोधन के पीछे का मूल उद्देश्य गैर हिंदुओं को देवासवॉम बोर्ड का आयुक्त नियुक्त करना था। यह संशोधन देश के संविधान और मंदिर मामलों में रीति-रिवाजों, परंपराओं और उपयोगों के संरक्षण के लिए बने संयुक्त राज्य त्रावणकोर और कोचीन के प्रावधानों का भी उल्लंघन था । 

केरल उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय से मंदिर प्रबंधन पर कब्ज़ा कर हिंदू परंपराओं को ध्वस्त करने की सीपीएम की अगुवाई वाली एलडीएफ सरकार की भयावह साजिश विफल हो गई है । 1990 के दशक में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता के करुणकरन के मुख्यमंत्री शासनकाल में भी विश्व प्रसिद्ध गुरुवायूर मंदिर देवास्वोम बोर्ड के सदस्य के रूप में एक ईसाई जे थम्पी की नियुक्ति की गई थी, किन्तु बाद में आरएसएस-प्रेरित संगठनों के नेतृत्व में चले आंदोलन और हिन्दू समाज के कड़े विरोध के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था । उस आन्दोलन का नेतृत्व प्रमुख हिन्दू नेता कुममानम राजशेखरन और अन्य प्रमुख हिंदू नेताओं ने किया था । 

इस बार यह अच्छा संकेत है कि भारत के बहुसंख्यक हिन्दू समाज की उपेक्षा करने व उसे आहत करने का साहस अब किसी दल में नहीं है, शायद इसीलिए एक कांग्रेस नेता भी कम्यूनिस्ट षडयंत्र के खिलाफ याचिका दायर करने हेतु आगे आये |
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