सेंटिनल द्वीप परअमरीकी पर्यटक जॉन एलन चाऊ की दुखद हत्या बनाम धर्मांतरण !
0
टिप्पणियाँ
अंडमान निकोबार के सेंटिनल द्वीप पर अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चाऊ की संरक्षित सेंटेनलीज आदिवासियों द्वारा कथित हत्या की परतें अब खुलने लगी हैं | यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस दुखद हत्या पर चर्चा के दौरान इसके मूल कारण पर विचार नहीं हो रहा | इस घटना से यह तथ्य भी सामने आया है कि किस प्रकार टूरिस्ट वीजा पर आने वाले लोग धर्मान्तरण की कोशिशों में जुट जाते हैं | और इसके लिए कुछ भी कर गुजरने को तत्पर रहते हैं |
अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चाऊ 16 अक्टूबर को अंडमान निकोबार पहुंचा था और उसने सेंटेनलीज आदिवासियों से मिलने की इच्छा जाहिर की | संरक्षित सेंटेनलीज आदिवासियों तक पहुंचने की जिद में ही चाऊ को अपनी जान गंवानी पड़ी | चाऊ ने चिडियाटापू से 25 हजार रुपए किराए पर पोर्ट ब्लेयर से 102 किलोमीटर दूर इस द्वीप पर जाने के लिए नाव किराए पर ली और सात मछुआरों के साथ 14 नवंबर की रात वे इस द्वीप पर पहुंच गए | उन्होंने किनारे से 500 मीटर पहले ही अपनी नाव रोक दी | अगली सुबह तड़के ही चाऊ डोंगी से द्वीप पर चला गया | डोंगी वह अपने साथ नाव पर लेकर आया था | ख़ास बात यह कि वह अपने साथ बाइबिल भी लेकर चल रहा था |
इसके बाद वह उस दिन दोपहर में नाव पर वापस लौटा, तो उसके शरीर पर तीरों से चोट के निशान थे | नाव पर उसने उन जख्मों पर कुछ दवाई लगाई और खाना भी खाया | इसके बाद उसने अपनी डायरी में सेंटिनलीज जनजाति से अपनी पहली मुलाकात के बारे में लिखा, फिर 16 नवम्बर की रात वह फिर डोंगी लेकर निकल गया | आखिरी बार मछुआरों ने उसे तभी देखा था | फिर 17 नवंबर तड़के मछुआरों ने सेंटिनलीज जनजाति के लोगों को एक शव को रेत में दफनाते देखा जो चाऊ जैसा लग रहा था | इसके बाद मछुआरों ने पोर्ट ब्लेयर लौटकर इसकी जानकारी चाऊ के दोस्त को दी, जिसने इसके बारे में चाऊ के परिवार और अमेरिकी दूतावास को बताया |
स्मरणीय है कि यह आदिवासी समूह बाहरी लोगों के साथ कोई संपर्क नहीं रखता और अपने पास आने वालों पर तीरों की बौछार कर देता है | इसलिए कुछ समय पूर्व तक इस द्वीप पर विदेशियों के जाने पर प्रतिबन्ध था, किन्तु इसी वर्ष सरकार ने इस द्वीप सहित 28 अन्य द्वीपों को प्रतिबंधित क्षेत्र आज्ञापत्र (आरएपी) की सूची से बाहर कर दिया था | आरएपी को हटाने का नतीजा यह हुआ कि विदेशी लोग सरकार की अनुमति के बिना इन द्वीपों पर जाने लगे |
आईये अब दुनिया के सबसे रहस्यपूर्ण माने जाने वाले इस आदिवासी समूह के विषय में कुछ जानें, जो दुनिया से बिलकुल अलग रहती है | माना जाता है कि यह आदिवासी समूह इस इलाके में 60,000 साल से रह रहे हैं| यह पहली बार नहीं है जब इन आदिवासियों ने किसी की हत्या की हो, इससे पहले भी 2006 में इस आदिवासी समूह ने दो मछुआरों की हत्या कर दी थी |
इस द्वीप पर रहने वाली सेंटिनलीज जनजाति के लोगों की संख्या 2011 की जनगणना के मुताबिक केवल 40 बताई गई है | बताया जाता है कि यह जनजाति बाहरी लोगों को अपने लिए खतरा समझते हैं | इनके क्षेत्र में घुसने वाले लोगों पर ये पत्थर और तीर-कमानों से हमला कर देते हैं.
यहां तक कि इस क्षेत्र से गुजरने वाले प्लेन या हेलिकॉप्टर पर भी ये लोग तीरों में आग लगाकर हमला करते हैं | 2004 में आए भूकंप और सुनामी के बाद भारत सरकार ने इस आइलैंड की खबर लेने के लिए सेना का एक हेलिकॉप्टर भेजा था, लेकिन यहां के लोगों ने उस पर भी हमला कर दिया था | ये लोग खेती भी नहीं करते हैं क्योंकि यहां पूरा घना जंगल है | केवल शिकार और सी फ़ूड ही इनका आहार है | इनके जीवट का सबसे बड़ा प्रमाण है कि ये 2004 में आई सुनामी में भी बाहरी दुनिया की किसी मदद के बिना जीवित बच गए थे | उस वक्त सरकार ने इंडियन कोस्ट गार्ड के हेलिकॉप्टर सेंटिनल द्वीप पर भेजे थे ताकि सेंटिनली आदिवासियों की सहायता की जा सके। लेकिन आदिवासियों ने मदद लेने की बजाए हेलिकॉप्टर पर ही तीर चलाना शुरू कर दिया था।
1980 के आखिरी दौर में लोहे या अन्य धातुओं की खोज के लिए गए लोगों और इस जनजाति के सदस्यों के बीच हुई हिंसा में इस जनजाति ने अपने बहुत से सदस्य गंवाए थे। हो सकता है इसी वजह से इस द्वीप पर रहने वाले लोग अन्य इंसानों को अपना दुश्मन मान बैठे हैं और उन्हें अपने स्थान पर आने नहीं देना चाहते।
साल 2004 की जनगणना के अनुसार, जनसंख्या गणक अधिकारी केवल 15 सेंटिनलीज लोग (sentinelese tribe) 12 पुरुष और तीन महिलाओं का ही पता लगा सकें | हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार उनकी संख्या 40 से 400 के बीच कुछ भी हो सकती है | जबकि 2011 की जनगणना के अनुसार इनकी संख्या 40 के करीब बताई गई थी |
इस द्वीप के लोगों से किसी भी तरह का संपर्क बनाना अवैध है। इस द्वीप के लोगों पर मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता।
अमरीकी नागरिक जॉन एलन चाऊ की मौत के बाद सोशल मीडिया पर यह विषय ख़ासा चर्चित हुआ है | आईये कुछ विशेष टिप्पणियों पर नजर डालें –
कुछ लोग लहालोट हुए जा रहे हैं कि टूरिस्ट वीसा पर धर्मप्रचार कर रहे मृत अमेरिकी नागरिक के परिवारीजनों ने सेंटिनल आदिवासियों को माफ़ कर दिया है|
ना भाई, कत्तई माफ़ ना करो उन्हें और बदला लेने आ जाओ तुम भी| दो चार धूर्त और कम होंगे|
उनकी जिद का दशांश भी हमारे अंदर होता तो धर्मान्तरण का कारोबार करने वाले इतने बेफिक्र ना होते|
कोई तृप्ति देसाई और कंपनी को काश बात दे कि सेंटिनल द्वीप में भी कोई ऐसा मंदिर है जहाँ महिलाओं को जाने की मनाही है और उन्हें वहां जाकर इसका विरोध करना चाहिए| हम सबका पिंड छूटेगा|
:P

हम मिला देते हैं ईसू से, भेजकर सीधे ऊपर
एक दिन के लिए ही आओ कभी सेंटिनल पर|
सेंटिनल आदिवासी पर्यटन की पंचलाइन|
:P

(सरकार को ध्यान देना चाहिए कि टूरिस्ट बीजा पर आने वाले धर्मप्रचारकों पर कड़ी नजर रखे)
Tags :
समाचार समीक्षा
एक टिप्पणी भेजें