माजिद मेनन के अनुसार 2019 के लिए मुसलमानों की कार्य योजना – समझने और समझाने योग्य !



आपने 2014 में जो दिशा चुनी थी, उसके परिणाम स्वरूप एक बात तो साफ़ तौर पर हुई कि तथाकथित शांतिदूतों में दहशत बैठी | मोदी के आने से नहीं, बल्कि इसलिए कि आजाद भारत में पहली बार हिन्दुओं ने हिन्दू होकर वोट दिया | किसी जाति या पार्टी के आधार पर बंटकर वोट नहीं किया | शायद यही बजह है कि दुनिया की सारी ताकतें, सारे इंटलेक्चुअल, आजकल एक ही एजेंडे पर काम कर रहे हैं कि कैसे 2014 के इस मूमेंटम को तोडा जाए | अगर वे अपने उद्देश्य में सफल हुए, तो ध्यान रखियेगा कि कई सौ सालों बाद आपको मौक़ा मिलेगा | आप एक हजार साल, आठ सौ साल और दो सौ साल सब मिला लें तो समझ में आएगा कि अपनी कमियों को अगर किसी भी कारण से 2014 में आपने दुरुस्त कर लिया था, तो उसको फिर से पहले जैसा न होने दीजिये | 

अगर हमारे आदमी में कोई कमी दिखाई देती है तो उसका गिरहवान पकड़कर उसे ठीक करा सकते हैं, थोड़ी बहुत सजा भी दे सकते हैं, जैसी कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में दी, किन्तु उसे छोड़ना नहीं है | अगर छोड़ दिया, तो बाक़ी लोगों के चेहरे तो सारी दुनिया जानती है | उनकी एक ही इच्छा है कि केंद्र की सत्ता कमजोर रहे | वहां ऐसे लोग बैठें, जो उनके इशारे पर चलने वाले हों | पत्ता भी न हिले हिन्दुस्तान में उनकी इच्छा के बिना | 

मुम्बई के बड़े वकील और एनसीपी के पूर्व राज्यसभा सदस्य माजिद मेनन पढ़े लिखे आदमी हैं, मूर्ख नहीं है, उनकी आप उन लोगों से तुलना नहीं कर सकते, जो टीवी डिवेटों में छोटे भाई का पाजामा और बड़े भाई का कुडता पहिनकर बैठते हैं | तो माजिद मेनन की बातों पर गौर कीजिए, जो उन्होंने एक टीवी चेनल को दिए इंटरव्यू में कही – 

जो गलती मुसलमानों से 2014 में हो गई है, वो 2019 में दोहराई न जाए, इसलिए हमने 200 ऐसी संसदीय सीटें चुनी हैं, जिनमें हो सकता है कि मुसलमान खुद न जीते, लेकिन उसकी मर्जी के बिना कोई जीतेगा भी नहीं | 

लेकिन आपकी तैयारी क्या है ? कुछ इस बात से नाराज हैं कि एससीएसटी एक्ट पर कुछ हो गया है, कुछ किसी और बात से नाराज हैं | वर्तमान सरकार के दुश्मनों को, देश के दुश्मनों को इस बात से कोई मतलब नहीं है कि मोदी प्रधान मंत्री रहेगा या नहीं रहेगा, उनकी एक ही इच्छा है कि किसी भी तरीके से 2019 में यह सरकार जाए, और ऐसे हालात रहें, ऐसी सरकार बने, जो हमारे कहने से कम्यूनल वायलेंस बिल लाये | अगर यूपीए सरकार दो महीने और रही होती तो, यह बिल संसद से पास भी हो गया होता | उस बिल को पढ़कर रूह कांपती है | उस बिल को बनाने वाले तीस्ता सीतलबाड, मंजर साहब जैसे महान लोग थे, तो कैसा रहा होगा वह बिल, कल्पना कर लीजिये | एक बार सत्ता में कोई आ जाता है न, तो वह मनमानी करता है, करते रहिये आन्दोलन | 

जो लोग मोदी के खिलाफ हैं, वे तो हैं ही, किन्तु जो लोग 2014 में साथ थे, उनसे यह आग्रह अवश्य है कि नाराजगी भले ही रखो, किन्तु इस हद तक नहीं कि अपनी चीज ही खो बैठो | खतरे को समझिये | बाहर से जितना खतरा है, उससे हजार गुना खतरा अन्दर से है | देश में पांच सौ से ज्यादा कश्मीर बन चुके हैं | पता तब चलता है, जब पडौस में धमाका हो जाता है | जब अजमेर या संबल में हंगामा हो जाता है, या कैराना से लोग भागने लगते हैं | ध्यान रखियेगा कि कुछ लोगों के पास भागने की कोई जगह होगी, आप कहाँ जाईयेगा ? आपके पास तो दूसरी जगह भी नहीं है | 

जो म्यांमार से भागता है, वह भी यहाँ आता है, जो पाकिस्तान या बांगलादेश से भागता है, वह भी यहाँ आता है | आपके पूर्व में 17 करोड़ लोग, पश्चिम में बीस करोड़ लोग, इस देश में तेईस करोड़ लोग, आप किसी छोटे मोटे खतरे से नहीं घिरे हुए हैं | इसीलिए वे ख़म ठोककर टेलीवीजन पर आकर औरंगजेब को वली अल्लाह कहते दिखाई देते हैं | कहते हैं कि उसने भारत को बहुत कुछ दिया | जरा सोचिये जो लोग टेलीवीजन पर आकर चंद दिन पहले के इतिहास को झुठलाने की कोशिश कर सकते हैं, तो उनकी ताकत, हिम्मत और आक्रामकता का अंदाजा लगाईये | जिन चीजों ने इस देश को नुक्सान पहुंचाया है, जिन्होंने इस देश को लूटा है, उस औरंगजेब के नाम की रोड को हटाने के लिए देश भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने का इंतज़ार कर रहा था ? 

सुप्रीम कोर्ट कहता है कि उसकी प्राथमिकता में रामजन्मभूमि नहीं है | उसकी प्राथमिकता जानकर शर्म आ जाती है | एक अल्तमस कबीर नामका चीफ जस्टिस हुआ था, जिसने सेवा निवृत्ति के अंतिम दिन बॉम्बे में बार डांसर के पक्ष फैसला दिया | वर्तमान सुप्रीम कोर्ट उनसे भी दो कदम आगे निकला | इन्होने अभी अभी फैसला दिया कि बार डांसर तो ठीक है, लेकिन बिना शराब के मजा नहीं आता | लिहाजा बार डांसर के साथ साथ शराब भी बिकनी चाहिए | यह सुप्रीम कोर्ट का हालिया निर्णय है | अखबारों की हेडिंग है – डांसबार विदआउट लिकर इज एब्सर्ड – सुप्रीम कोर्ट ! 

जरा सोचिये इस देश का हिन्दू कहाँ खड़ा है ? सुप्रीम कोर्ट की प्राथमिकता रामजन्मभूमि नहीं है, बार डांसर और शराबखोरी है, दही हांडी की ऊंचाई कितनी हो यह देखना है, महाकाल में पानी कितना चढ़ाना चाहिए यह है | अस्सी करोड़ जनता चिल्लाती रहे, उसकी क्या औकात है ? गालियों से भी उनको कोई फर्क नहीं पड़ने वाला | 

सारी परिस्थितियों को देखिये समझिये और फिर 2019 के लिए कमर कसिये | 

साभार आधार श्री पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ -

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