कमाल की है कांग्रेस की तुष्टीकरण की दोमुंही रीति-नीति, मध्यप्रदेश में वनवासियों की योजना बंद कर मुस्लिम समुदाय के लिए खजाना उलीचने की तैयारी !



मध्यप्रदेश में कांग्रेस को सत्ता में आये, चार दिन नहीं हुए और उनकी तुष्टीकरण की नीति चालू हो गई है | कमलनाथ सरकार का पाखण्ड देखिये कि एक ओर तो फिजूलखर्ची रोकने की बात की जा रही हैं और दूसरी ओर मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए खजाने का द्वार खोला जा रहा है | बानगी देखिये - 

फालतू खर्चे कम करने के नाम पर मध्यप्रदेश में कांग्रेस पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की योजनाएं बंद करती जा रही है, वनवासी समाज की हित और उन्नति के लिए चलाई जा रही वनांचल सेवा योजना तो बंद भी कर दी है | इस योजना के तहत प्रत्येक 50 वन ग्राम के बीच महिला स्वास्थ्य परीक्षण शिविर लगना थे। कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ियों तक पहुंचाना था। वनीकरण और वनोपज को बढ़ावा देना था।


किन्तु सरकार की दोमुंही नीति देखिये कि वनवासियों की योजना बंद कर वह मुसलमानों को हज कराने के लिए ट्रेनर की नियुक्ति करने जा रही है | यह तो स्वाभाविक ही है कि वह केवल मुसलमान ही होगा ! 

मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ के निर्देश पर वित्त विभाग ने प्रदेश में फिजूलखर्ची रोकने के नाम पर जारी आदेश में राजस्व विभाग (शासकीय मुद्रणालय) को छोड़कर अन्य विभागों, निगम, मण्डलों आदि द्वारा वर्ष 2019 के लिये डायरी, कैलेण्डर के मुद्रण पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसी के साथ, कार्यालयों की मरम्मत, संधारण, कार्यालयीन सामग्री और अन्य कार्यों पर वित्तीय नियंत्रण रखने के लिये खर्चे की सीमा तय की गई है। खर्चे की यह सीमा कार्यालयीन फर्नीचर, पुस्तकें, पत्रिकाएँ और लेखन सामग्री की खरीदी, आतिथ्य व्यय, मुद्रण एवं प्रकाशन, कंसल्टेंसी सर्विसेस, विशेष सेवाओं के लिये मानदेय, सुरक्षा, सफाई, परिवहन व्यवस्था, मशीन और उपकरणों का संधारण, वाहन संधारण, फर्नीचर संधारण आदि के लिये निर्धारित की गई है | 

किन्तु इस पाखण्ड का दूसरा पहलू है कि हज-2019 के लिये प्रदेश के हज यात्रियों को हज संबंधी प्रशिक्षण देने के लिए ट्रेनर्स के चयन हेतु 10 जनवरी 2019 तक ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। 
आवेदन की विचित्र शर्तें देखिये, जिनसे यह स्पष्ट होता है कि यह और कुछ नहीं बल्कि कांग्रेस के मुस्लिम कार्यकर्ताओं को लाभ देने का तरीका है - 

पहली शर्त है कि इच्छुक आवेदक का हज किया हुआ होना अनिवार्य होगा। इसके अतिरिक्त आवेदक को अंग्रेज़ी, उर्दू, हिन्दी भाषा का पूर्ण ज्ञान, स्थानीय भाषा/क्षेत्रीय भाषा का सम्पूर्ण ज्ञान, हज एवं उमरा का ज्ञान, शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ्य, भारी समूह को संबोधित करने एवं भाषण देने योग्य, कम्प्यूटर से संबंधित पूर्ण ज्ञान एवं धार्मिक रीतियों की जानकारी होना आवश्यक है। 

सबसे विचित्र शर्त है कि आवेदक की उम्र 58 वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिए । 

अब यह तो जाना माना तथ्य है कि अधिकांशतः उम्रदराज लोग ही हज करने जाते हैं | अतः 58 वर्ष से कम आयु की बाध्यता स्पष्ट रूप से किन्हीं पूर्व से ही चयनित व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने के लिए है, और आवेदकों की संख्या कम करने के लिए ही जानबूझकर रखी गई है | 

साथ ही आवेदक के लिए भाषाओं का ज्ञान होना भर पर्याप्त है, किसी औपचारिक शैक्षणिक योग्यता की जरूरत नहीं है | 

स्पष्ट है कि मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने रेबड़ियां बांटना शुरू कर दिया है | वनवासी समाज की योजनाओं को बंद कर अपने मुस्लिम समर्थकों के लिए लाइ गई यह योजना, इसका जीता जागता सबूत है । 

यह नियुक्तियां आनन फानन में की जा रही है अतः दिनांक 10-01-2019 सायं 5.00 बजे तक ऑनलाइन आवेदन मांगे गए हैं। 

चयनित आवेदकों को मध्यप्रदेश राज्य हज कमेटी, भोपाल द्वारा भोपाल में ट्रेनिंग प्रदान की जाएगी। इसके पश्चात चयनित ट्रेनर्स को ज़िला स्तर पर हज यात्रियों को ट्रेनिंग प्रशिक्षण देना होगा।
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