राजस्थान को जातीय हिंसा के उन्माद में धकेलता कांग्रेस का सत्ता संघर्ष !


राजस्थान कांग्रेस में चला सत्ता संघर्ष आखिर अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री व सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा के साथ समाप्त हुआ | लेकिन क्या यह संघर्ष सचमुच समाप्त हो गया ? आईये इसकी तथाकथा पर विचार करें – 

सचिन पायलट समर्थकों का मानना था कि 2013 व 2014 की भीषण पराजय के बाद सचिन पायलट को राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया | उसके बाद सचिन के परिश्रम के कारण ही यह विजय प्राप्त हुई है | कांग्रेस का हालिया इतिहास भी यही बताता है कि राज्य में विजय प्राप्त होने पर वहां के कांग्रेस अध्यक्ष को ही मुख्यमंत्री बनाया जाता है | जैसे कि पंजाब में अमरिंदर सिंह को तथा मध्यप्रदेश में कमलनाथ को बनाया गया | फिर राजस्थान में यह क्यूं नहीं दोहराया जा रहा ? 

इसके जबाब में माली समुदाय के अशोक गहलोत समर्थकों का तर्क था कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने से समूचा गैर गुर्जर समाज एकजुट हो जाएगा तथा कांग्रेस को 2019 में इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी | सचिन पायलट की केवल गुर्जर समुदाय में मान्यता है, जबकि अशोक गहलोत की सभी समुदायों में स्वीकार्यता है | 

दोनों पक्षों के तर्क बजनदार थे, इसलिए कांग्रेस के घोषित अघोषित सर्वेसर्वाओं को किसी निर्णय पर पहुँचने में काफी कठिनाई हुई | किन्तु आखिरकार पलड़ा पुराने रिश्तों की तरफ ही झुका | माताश्री सोनिया जी, दीदीश्री प्रियंका और भैयाश्री राहुल ने मिलकर एक फार्मूला तय किया कि फिलहाल 2019 लोकसभा चुनाव तक अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री और सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री बनाया जाए | साथ ही तय हुआ कि सचिन पायलट कांग्रेस अध्यक्ष भी बने रहें | 

लेकिन क्या यह संघर्ष की इतिश्री हो गई ? क्या सरकार के महत्वपूर्ण मंत्रालयों के विभाजन में यह टकराहट देखने को नहीं मिलेगी ? दोनों अपने अपने समर्थकों को मलाईदार मंत्रालय दिलाने के लिए एडी चोटी का जोर लगायेंगे | इसलिए कांग्रेस सरकार की इस सत्ता सीढी पर अभी भी बहुत फिसलन है | जो चूकेगा वह ओंधे मुंह गिरेगा | और किसी न किसी का गिरना तो तय ही है | देखना यह है कि कौन और कब गिरता है | राजस्थान कांग्रेस में आतंरिक रूप से बंटवारा हो चुका है, फिलहाल भले ही दोनों कांग्रेस एक दिख रही हों | इसकी सार्वजनिक घोषणा होना शेष है | 

इसका सबूत है एक सामान्य गुर्जर की सोशल मीडिया पर वायरल होती यह असामान्य प्रतिक्रिया, जिसमें वह सचिन पायलट को मुख्यमंत्री न बनाये जाने पर तबाही मचाने की धमकी देता नजर आ रहा है – 


इस विडियो के देखने के बाद क्या यह सवाल आपके जहन में नहीं उठता कि कांग्रेस का यह सत्ता संघर्ष कहीं राजस्थान को जातीय हिंसा के उन्माद में तो नहीं धकेल देगा ?

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