महात्मा गांधी की हत्या और नेहरू: कुछ अनुत्तरित प्रश्न - आयुष नादिमपल्ली

SHARE:

कांग्रेस और कॉमी ब्रिगेड की आदत पड़ चुकी है, हर वर्ष गांधी जी की पूण्यतिथि 30 जनवरी को हिंदू राष्ट्रवाद पर अनर्गल टिप्पणी करना। 30 जन...



कांग्रेस और कॉमी ब्रिगेड की आदत पड़ चुकी है, हर वर्ष गांधी जी की पूण्यतिथि 30 जनवरी को हिंदू राष्ट्रवाद पर अनर्गल टिप्पणी करना। 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई थी। उनकी मृत्यु के कुछ महीने पहले ही भारत ने राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त की थी और स्वतंत्रता से कुछ घंटे पहले, भारत का विभाजन हुआ था। मुस्लिम लीग के आक्रामक रुख, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कमजोर नेतृत्व और भारत को दयनीय स्थिति में छोड़ने की ब्रिटिश रणनीति, और सब से ऊपर, दारुल इस्लाम की राजनीतिक अवधारणा को प्रस्तुत करने का एक परिणाम था भारत विभाजन। 

अर्नोल्ड टोयनबी लिखते हैं “पाकिस्तान क्या है? यह 20 वीं सदी में उनके (मुसलमानों) इस देश पर पूर्ण अधिकार करने के 1200 साल पुराने सपने को साकार करने की दिशा में पहला सफल कदम था। परिणाम स्वरुप देश एक महाविनाश का गवाह बना। इसके बाद जो तबाही हुई, बैसी पहले कभी नहीं देखी गई थी। आबादी का हस्तांतरण जिसे कांग्रेस के नेता टालना चाहते थे, लेकिन हुआ। विस्थापन के दौरान विस्थापितों को क़त्ल किया गया, लूटा गया । जैसा कि इतिहास में दर्ज है, जनसंख्या के इस सबसे बड़े प्रवासन के दौरान राजधानी दिल्ली में एक अत्यंत खतरनाक स्थिति पैदा हुई। दिल्ली का हर चौथा व्यक्ति पाकिस्तान से आया हिंदू या सिख शरणार्थी था। इससे कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ बहुत अधिक गुस्सा था। कई संगठनों ने शरणार्थियों के लिए सेवा गतिविधियां संचालित कीं, इस महान त्रासदी के समय उन्हें आश्रय दिया, उनके प्रति सहानुभूति प्रदर्शित की । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक “गुरु गोलवलकर जी” ने आरएसएस के स्वयंसेवकों को निर्देश दिया कि वे तब तक पाकिस्तान न छोड़ें, जब तक कि अंतिम हिंदू सुरक्षित रूप से अशांत क्षेत्रों से स्थानांतरित नहीं हो जाते। हजारों स्वयंसेवकों ने इस आव्हान के पालन में अपना जीवन बलिदान किया। यह सारे प्रसंग "ज्योति जला निज प्राण की" नामक पुस्तक में उल्लेखित है। 

गांधी जी की हत्या 

नाथूराम गोडसे उन लोगों में से एक था, जो मानते थे कि भारत विभाजन के लिए महात्मा गांधी जिम्मेदार थे। 30 जनवरी, 1948 को शाम की प्रार्थना के दौरान शाम 5:17 पर उसने गांधी जी से संपर्क किया और प्रणाम करने के बाद उन्हें अत्यंत नजदीक से गोली मार दी। गोडसे ने स्वयं होकर "पुलिस" को बुलाया और आत्मसमर्पण कर दिया। उसके बचाव की दलीलों को एक पुस्तक "मेक इट प्लीज योर ऑनर" में उल्लेखित किया गया है। 

हैरत की बात है कि इस बात का कोई स्पष्टीकरण नहीं है कि गांधीजी को अस्पताल क्यों नहीं पहुंचाया गया और इसके बजाय उन्हें बिड़ला हाउस क्यूं ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। 

आरएसएस के विरुद्ध कांग्रेस का मिथ्या प्रचार 

आरएसएस के खिलाफ कोई सबूत नहीं होने और सरदार पटेल के इस संकेत के बावजूद कि आरएसएस इसमें शामिल नहीं है, नेहरू जी ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने के लिए दबाव बनाया और इसके लिए आगे बढ़े। यह तथ्य पटेल और नेहरू के बीच हुए पत्राचार से स्पष्ट है। प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए पत्र जिसमें आरएसएस की सम्बद्धता का पता लगाने का कहा गया था, का जवाब देते हुए पटेल ने 27 फरवरी 1948 को अर्थात गांधीजी की हत्या के एक महीने से भी कम समय में यह स्पष्ट जवाब भेजा: 

मैंने बापू की हत्या के मामले की जांच में हुई प्रगति के साथ स्वयं को लगभग प्रतिदिन संपर्क में रखा है। सभी मुख्य आरोपियों ने अपनी गतिविधियों के लंबे और विस्तृत बयान दिए हैं। यह उन बयानों से भी स्पष्ट रूप से उभरता है कि आरएसएस इसमें शामिल नहीं था। ' 

कोई पुष्ट कारण न होते हुए भी नेहरू आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने के लिए क्यों उत्सुक थे, इसका जबाब संभवतः यही हो सकता है कि नेहरू ने गुरुजी गोलवलकर को एक संभावित प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा था। वास्तविकता तो यह है कि गांधीजी की हत्या से एक दिन पहले ही, 29 जनवरी 1948 को नेहरू ने कहा था कि: "मैं आरएसएस को कुचल दूंगा"। 

बीबीसी के अनुसार, उस दौरान गोलवलकर बेहद लोकप्रिय थे । 1949 में, बीबीसी रेडियो ने अपने प्रसारण में गोलवलकर को भारतीय क्षितिज पर चमकता एक सितारा बताया और कहा कि भारत में उनके अतिरिक्त केवल एकमात्र प्रधानमंत्री नेहरू हैं, जो इतनी बड़ी भीड़ को अपनी ओर खींच सकता है । ’गोलवलकर उस समय आरएसएस के सरसंघचालक थे। 

4 फरवरी, 1948 को सरकार ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया। और फिर आरएसएस के स्वयंसेवकों द्वारा लंबे संघर्ष के बाद, प्रतिबंध को बिना शर्त हटा लिया गया। 14 सितंबर, 1949 को बॉम्बे विधान सभा को एक लिखित बयान में (प्रोसीडिंगp2126) गृह मंत्री मोरारजी देसाई ने कहा कि आरएसएस पर प्रतिबंध अब आवश्यक नहीं माना गया है; इसे बिना शर्त हटा लिया गया है, और आरएसएस ने कोई वचन (अंडरटेकिंग) नहीं किया है - प्रतिबंध बिना शर्त हटाया गया है । 

सभी प्रत्यक्ष प्रमाणों के बावजूद, कांग्रेस के प्रयत्न नहीं रुके, 1966 में, नेहरू जी की बेटी, इंदिरा गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश, न्यायमूर्ति जेएल कपूर की अध्यक्षता में एक और आयोग नियुक्त किया। इस आयोग ने 100 से अधिक गवाहों के बयान लिए और 1969 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। कपूर आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है ... " महात्मा गांधी की हत्या के लिए आरएसएस जिम्मेदार नहीं है, अर्थात शान्ति दूत की इस दुर्दांत हत्या के लिए किसी संगठन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता । यह साबित नहीं हुआ है कि वे (आरोपी) आरएसएस के सदस्य थे .. ” 

वीर सावरकर के प्रति भी दुर्भावना 

स्वातंत्र्य वीर सावरकर का जीवन और उनके कार्य, भगत सिंह सहित कई अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के प्रेरणा स्रोत थे। ऐसे व्यक्ति पर भी गांधी जी की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया । उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस और कामी ब्रिगेड द्वारा उनके खिलाफ लगातार आरोप लगाने का क्रम जारी हैं। जैसा कि 2013 में, द हिंदू ने एक बार फिर आरोप लगाते हुए एक लेख प्रकाशित किया । 

नेहरू जी को लेकर कुछ अनुत्तरित प्रश्न 

प्रधानमंत्री पद के लिए नेहरू की तुलना में पटेल सर्वाधिक पसंदीदा उम्मीदवार थे। उस अवधि के दस्तावेज़ीकरण से यह स्पष्ट है कि गांधी जी ने नेहरू जी का समर्थन मुख्य रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए किया था कि विभाजन के बाद की उन परिस्थितियों के दौरान कांग्रेस विभाजित नहीं हो। यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि गांधी जी का मानना था कि पटेल तो नेहरू के अधीन काम कर सकते हैं, लेकिन इसके विपरीत नेहरू पटेल के अधीन नहीं कर सकेंगे । गांधी नेहरू द्वारा लिए गए कुछ फैसलों से निराश थे और वास्तविकता तो यह है कि उन्होंने नीतियों पर सार्वजनिक बहस का आह्वान किया था। जिसके कारण स्वाभाविक रूप से नेहरू बैकफुट पर थे। उन्होंने कभी कोई प्रतिक्रिया भी प्रदर्शित नहीं की। 

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का रहस्यमय परिस्थितियों में लापता होना, गांधी जी की हत्या को लेकर स्वातंत्र्यवीर सावरकर और गोलवलकर जी के साथ अकारण दुर्भावनापूर्ण व्यवहार, यह दर्शाते हैं कि नेहरू जी का व्यवहार स्वेच्छाचारी था। वस्तुतः 1953 में नेहरू द्वारा सीधे प्रबंधित राज्य जम्मू-कश्मीर की जेल में श्यामाप्रसाद मुखर्जी जैसे संभावित दावेदार की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत से भी यही प्रदर्शित होता है । 

यह स्पष्ट है कि घटनाओं के उपरोक्त अनुक्रम के सबसे बडे लाभार्थी नेहरू ही थे। वह 17 साल तक देश के प्रधानमंत्री रहे। यह भी एक ज्ञात तथ्य है कि गांधीजी भविष्य में कांग्रेस को भंग करने की राय रखते थे। 

फिर भी, इस दिशा में कोई जाँच नहीं की गई कि उन्होंने ऐसे दिग्गजों को लांछित करने के लिए क्यों चुना! जब सावरकर जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी और गोलवलकर जैसे ऋषितुल्य व्यक्तित्व को जेल में डाला जा सकता है, तो नेहरू और कांग्रेस के खिलाफ साजिश रचने का कोई सवाल क्यों नहीं उठाया जा सकता ? 

कुछ और सवाल 

- जब गांधीजी को प्वाइंट ब्लैंक गोली मार दी गई, तो उन्हें अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया और बिड़ला हाउस में क्यूं ले जाया गया? 

- क्या हत्या के पूर्व कोई खुफिया जानकारी नहीं थी? जब गांधी जी की हत्या के पहले भी 4 प्रयास हो चुके थे, तो सुरक्षा प्रदान करने के लिए नेहरू सरकार ने कोई अतिरिक्त उपाय क्यों नहीं किए थे? इसके पीछे कोई सुविचारित षडयंत्र तो नहीं था? 

- नेहरू गोडसे का सम्बन्ध किसी संगठन से जोड़ने की जल्दी में क्यों थे, जबकि गोडसे जोर देकर कह रहा था कि उसने व्यक्तिगत क्षमता में यह कार्य किया? 

आउटलुक (जनवरी 1998) को दिए एक साक्षात्कार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चौथे सरसंघचालक प्रो. राजेंद्र सिंह ने गोडसे के बारे में कहा, "शुरू में वह कांग्रेस के सदस्य थे, बाद में वे आरएसएस में शामिल हो गए और बाद में यह कहते हुए छोड़ दिया कि यह एक धीमा संगठन है। तब उन्होंने अपना एक प्रथक समूह बनाया। ”गोडसे ने 1934 में आरएसएस छोड़ दिया और अदालत में अपने स्वयं के बयान में कहा कि उसके बाद वह हिन्दू महासभा में शामिल हो गया। वहां भी उसने अपना अलग समूह बनाया। 1948 में गांधी जी की हत्या कर दी गई । प्रो. राजेंद्र सिंह ने सवाल उठाया कि " क्या आरएसएस हत्या में शामिल था, अगर इस बात की जांच की गई, तो इस बाबत कोई जांच क्यों नहीं हुई कि कहीं कांग्रेस भी तो हत्या की अनुमति देने में शामिल नहीं थी?" (चूंकि गोडसे दोनों संगठनों का सदस्य रह चूका था और बाद में उनसे अलग हुआ था) 

गांधीजी की हत्या ने हिंदू राष्ट्रवादियों को बुरी तरह कुचलने के लिए नेहरू को राज्य शक्ति का दुरुपयोग करने का अवसर दिया। उसी समय, उन्होंने सार्वजनिक बहस में हिंदू फासिज्म को मुख्य मुद्दा बनाकर अन्य प्रमुख राष्ट्रीय मुद्दों से ध्यान हटा दिया। इससे शिक्षा, भाषा, गोहत्या, कृषि, विकास के मॉडल, प्रशासन, और कई अन्य सामयिक प्रमुख मुद्दों को दरकिनार कर दिया गया । यह सार्वजनिक विमर्श को स्थानांतरित करने के मार्क्सवादी तरीके का एक निकृष्ट उदाहरण था। 

राष्ट्र को अब विमर्श प्रक्रिया में सुधार करना होगा। भारतीयों को यह पूछना और जानना चाहिए कि राष्ट्रीय विमर्श को हमारे मूल से दूर स्थानांतरित करने के पीछे नेहरू और कांग्रेस के हित क्या थे। 

साभार - ओर्गेनाइजर

COMMENTS

नाम

अखबारों की कतरन,40,अपराध,3,अशोकनगर,21,आंतरिक सुरक्षा,15,इतिहास,158,उत्तराखंड,4,ओशोवाणी,16,कहानियां,40,काव्य सुधा,64,खाना खजाना,21,खेल,19,गुना,3,ग्वालियर,1,चिकटे जी,25,चिकटे जी काव्य रूपांतर,5,जनसंपर्क विभाग म.प्र.,6,तकनीक,85,दतिया,2,दुनिया रंगविरंगी,32,देश,162,धर्म और अध्यात्म,244,पर्यटन,15,पुस्तक सार,59,प्रेरक प्रसंग,80,फिल्मी दुनिया,10,बीजेपी,38,बुरा न मानो होली है,2,भगत सिंह,5,भारत संस्कृति न्यास,30,भोपाल,26,मध्यप्रदेश,504,मनुस्मृति,14,मनोरंजन,53,महापुरुष जीवन गाथा,130,मेरा भारत महान,308,मेरी राम कहानी,23,राजनीति,89,राजीव जी दीक्षित,18,राष्ट्रनीति,51,लेख,1124,विज्ञापन,4,विडियो,24,विदेश,47,विवेकानंद साहित्य,10,वीडियो,1,वैदिक ज्ञान,70,व्यंग,7,व्यक्ति परिचय,29,व्यापार,1,शिवपुरी,885,शिवपुरी समाचार,305,संघगाथा,57,संस्मरण,37,समाचार,1050,समाचार समीक्षा,762,साक्षात्कार,8,सोशल मीडिया,3,स्वास्थ्य,26,हमारा यूट्यूब चैनल,10,election 2019,24,shivpuri,2,
ltr
item
क्रांतिदूत : महात्मा गांधी की हत्या और नेहरू: कुछ अनुत्तरित प्रश्न - आयुष नादिमपल्ली
महात्मा गांधी की हत्या और नेहरू: कुछ अनुत्तरित प्रश्न - आयुष नादिमपल्ली
https://3.bp.blogspot.com/-7HNapyBQcAk/XFJd47feAaI/AAAAAAAAH-Q/uQ3ozB3ZdeAilSKc4VE5QQfDOsi9YPh1QCLcBGAs/s1600/12.jpg
https://3.bp.blogspot.com/-7HNapyBQcAk/XFJd47feAaI/AAAAAAAAH-Q/uQ3ozB3ZdeAilSKc4VE5QQfDOsi9YPh1QCLcBGAs/s72-c/12.jpg
क्रांतिदूत
https://www.krantidoot.in/2019/01/Mahatma-Gandhi-Assassination-and-Nehru-A-Few-Unanswered-Questions.html
https://www.krantidoot.in/
https://www.krantidoot.in/
https://www.krantidoot.in/2019/01/Mahatma-Gandhi-Assassination-and-Nehru-A-Few-Unanswered-Questions.html
true
8510248389967890617
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS CONTENT IS PREMIUM Please share to unlock Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy