प्रयागराज कुंभ में हुआ संस्कृति संसद का भव्य आयोजन, संजय तिवारी जी की पुस्तक "श्रुष्टि पर्व कुंभ" का हुआ विमोचन

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कुम्भ क्षेत्र के सेक्टर 14 स्थित गंगा महासभा शिविर में बुधवार दिनांक 23 जनवरी से संस्कृति संसद का शुभारम्भ हुआ | गंगा महासभा एवं द...




कुम्भ क्षेत्र के सेक्टर 14 स्थित गंगा महासभा शिविर में बुधवार दिनांक 23 जनवरी से संस्कृति संसद का शुभारम्भ हुआ | गंगा महासभा एवं दैनिक जागरण द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए स्वामी जितेंद्रानन्द सरस्वती ने कहा कि आज देश में सांस्कृतिक विमर्श की आवश्यकता है। हम अपनी संस्कृति को भूल रहे हैं। प्रयागराज की भूमि हमेशा बौद्धिक विमर्श की भूमि रही है। कुम्भ में ही आदि शंकराचार्य की मुलाकात भूसे की अग्नि में तपते हुए कुमारिल भट्ट से हुई थी। इसी कुम्भ में महर्षि भारद्वाज और महर्षि याज्ञवल्क्य के बीच पहली बार संवाद हुआ था। इसी परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए हम बौद्धिक विमर्श संस्कृति संसद में कर रहे हैं। 

कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में आशीर्वचन प्रदान करते हुए परमपूज्य शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती ने कहा कि संस्कृति शब्द की पुनर्ब्याख्या आवश्यक है। वर्तमान संस्कृति परम्परा कल्प से है। अगर हमारी संस्कृति में विकार आएगा तो हमारी संस्कृति विकृत हो जाएगी। वर्तमान में गीत संगीत के कार्यक्रम को ही सांस्कृतिक कार्यक्रम कहकर संस्कृति की गलत ब्याख्या हो रही है। 

मुख्य अतिथि जगतगुरु रामानन्दाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य जी महाराज ने कहा कि बौद्धिक विमर्श हमारी सनातन परम्परा का हिस्सा है। मैं इस कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए गंगा महासभा को धन्यवाद देता हूँ।महासभा ने इस गंगा जमुना सरस्वती के संगम को जो चुना है वह अतिउत्तम है। आज इस समय पूरे भारत की संस्कृति यहाँ मौजूद है। 

गंगा महासभा के मार्गदर्शक जस्टिस गिरधर मालवीय जी ने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र मोहन जी को याद करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति के वास्तविक योध्दा थे। उन्होंने दैनिक जागरण के माध्यम से देश के लोगों में अपनी लेखनी से भारतीय संस्कृति का अलख जगाया। 

प्रथम सत्र "भारतीय कलाओं की उपेक्षा: कारण और निदान" में वक्ता के रूप में बोलते हुए संस्कार भारती के संरक्षक बाबा योगेंद्र ने कहा कि आजकल भारतीय कलाओं में बाहरी विधाओं के प्रवेश ने विकृति को प्रवेश देना शुरू किया है। अभी भी भारत के गांवों में हमारी वास्तविक लोकरंग देखने को मिलता है। गाजीपुर में कजरी का चलन है। 

प्रख्यात रंगकर्मी बाबा सत्यनारायण मौर्य ने कहा कि हमे भारत से बाहर उनके हिसाब से उनको सुसंस्कृत करने की आवश्यक्ता है। हम उनको पीपल के पूजा करने के बजाय उनके मेपल को ही पूजने को प्रेरित करें। इस सत्र का संचालन साहित्यकार डॉ नीरजा माधव ने किया। 



द्वितीय सत्र " अयोध्या का सच" विषय पर बोलते हुए पुरातत्वविद डॉ के के मोहम्मद ने कहा कि अयोध्या में मिले प्रमाणों से यह साफ जाहिर है कि वहाँ राम का ही मन्दिर था। उसपर जो संस्कृत श्लोक उत्कीर्ण है उसमें यह लिखा है कि यह उस विष्णु का मंदिर है जिसने दस सिर वाले को और वानर राज बालि को मारा। वामपंथी इतिहासकारों को जब इसके उद्भेदन पर मुंह की खानी पड़ी तब उन्होंने वहां बौद्ध स्तूप होने का शिगूफा छोड़ा है। भारत का पढा लिखा मुसलमान राम मंदिर निर्माण का विरोध नही कर रहा है। इस सत्र का संचालन डॉ रामसुधार सिंह ने किया। 

तृतीय सत्र "इतिहास का पुनर्लेखन आवश्यक क्यों?" विषय पर बोलते हुए राष्ट्रवादी चिंतक डॉ त्रिभुवन सिंह ने कहा कि भारत के इतिहास से खिलवाड़ की शुरुआत अंग्रेजों ने की जिस विरासत को उनके चेले कम्युनिष्ट आगे बढ़ा रहे हैं। अनुवादों के चक्कर मे धर्म , ईश्वर और विज्ञान की वास्तविक ब्याख्या को उलट दिया गया। राष्ट्रवादी चिंतक प्रो सीपी सिंह ने कहा कि सामाजिक जागरण की ब्यापक आवश्यकता है। जब तक आपको नागरिक बोध नही होगा तब तक कोई सरकार कुछ नही कर सकती। अगर आपको राम मंदिर चाहिए तो कम से कम भारत में आक्रांताओं द्वारा तोड़े गए 40000 मंदिरों में 4 मन्दिर पर ही दावा करें तो राम मन्दिर बन जायेगा। इतिहास की पढ़ाई ने हमे खुद अपने ही देश में विदेशी बना दिया है। भारत का सत्तर प्रतिशत युवा खुद को विदेशी महसूस करता है।इस सत्र का संचालन डॉ रामसुधार सिंह ने किया। 

चौथे सत्र "यत्र नार्यस्तु पूज्यंते" बोलते हुए साहित्यकार डॉ नीरजा माधव ने कहा कि स्त्री राष्ट्र को बाँधने वाली शक्ति; परिवार और समाज और देश को तोड़ने के लिए स्त्रियों को भड़काने का षड्यन्त्र चल रहा है। स्त्री को केवल एक देह के रूप में परिभाषित किया जा रहा है। इस षड्यन्त्र को स्त्रियों को समझना होगा।विभाजनकारी साहित्य का महिमामंडन हो रहा है।देहगाथा का वर्णन ही आधुनिक साहित्य में भरा जा रहा है। नई पीढ़ी की मानसिकता को नग्न साहित्य के माध्यम से विकृत किया जा रहा है। साहित्य का अवमूल्यन हो रहा है। टी वी सिरियलों में स्त्रियों को षड्यन्त्रकारी के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।कार में बच्चे को पीछे वाली सीट पर डाल कुत्ते को गोद में ले कर घूमने वाली स्त्रियाँ नारी उद्धार में लगीं हैं। आखिर स्त्री किस पुरुष से मुक्त होना चाहती है। पालन करने वाले पिता से, रक्षा करने वाले भाई से, जीवनसाथी पुरुष से या बुढ़ापे में सहारा बनने वाले पुत्र से। इस सत्र का संचालन डॉ कमलेश कमल ने किया।

इस कार्यक्रम का उद्घाटन ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, जगद्गुरु रामानंदाचार्य हंसदेवाचार्य जी, गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानन्द सरस्वती, संस्कार भारती के संरक्षक श्री योगेंद्र बाबा जी , गंगा महासभा के मार्गदर्शक जस्टिस गिरिधर मालवीय जी, महामंडलेश्वर स्वामी जनार्दन हरि जी, दैनिक जागरण के उत्तर प्रदेश के संपादक श्री आशुतोष शुक्ला जी ने मां गंगा स्वामी सानंद मालवीय जी एवं स्वर्गीय नरेंद्र मोहन जी की चित्र के समक्ष पुष्प अर्पित कर एवं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया | दैनिक जागरण उत्तर प्रदेश संपादक श्री आशुतोष शुक्ल ने अतिथियों का स्वागत किया। इस दौरान श्री संजय तिवारी जी द्वारा लिखित पुस्तक "सृष्टि पर्व कुम्भ" का विमोचन अतिथियों ने किया। इस दौरान संस्कृति पर्व पत्रिका के "शक्ति" अंक का भी विमोचन हुआ। 

कल गुरुवार को आयोजित होने वाले सत्र ...

1. "क्या वर्तमान भारतीय शिक्षा प्रणाली में बदलाव की आवश्यकता है?" वक्ता- प्रो राकेश उपाध्याय जी, प्रो रामनारायण द्विवेदी जी। संचालन मदन मोहन सिंह जी का होगा।

2. "शस्त्र नहीं शास्त्रार्थ है भारतीय संस्कृति का मूल आधार" इसके वक्ता होंगे श्री इंद्रेश जी वरिष्ठ प्रचारक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवम श्री भागवत शरण शुक्ला जी। इसके संचालक प्रो राकेश उपाध्याय जी होंगे।

3."अल्पसंख्यको का राष्ट्रवाद" विषय पर वक्ता मो अफजाल जी एवम डॉ रिजवान अहमद जी होंगे। संचालन डॉ आशुतोष शुक्ल जी का होगा।

4. जनमानस को उद्वेलित करने वाली पापमोचनी गंगा विषय के संचालक श्री गोविंद शर्मा जीहोंगे। वक्ता माँ पूर्ण प्रज्ञा जी एवं श्री मणि प्रसाद मिश्र जी होंगे।

उद्घाटन कार्यक्रम का मंच संचालन गंगा महासभा के संगठन महामंत्री श्री गोविंद शर्मा जी ने किया।

इस अवसर पर प्रयागराज के महामंत्री श्री देवेंद्र तिवारी जी, संस्कृति संसद के संयोजक श्री विनय तिवारी जी, सह संयोजक श्री अजय उपाध्याय जी, गंगा महासभा के राष्ट्रीय मंत्री श्री मयंक कुमार जी, राजन जी,शिवराज यादव जी, दीपेंद्र जी, मनोज कुमार जी इत्यादि लोगों ने प्रमुख भूमिका निभाई।

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