हिन्दुस्थान समाचार से सम्बद्ध ख्यातनाम पत्रकार किसी भी देश पर शासन करनेवाली तत्कालीन राजनीतिक पार्टी की सरकार का उस पर किस तरह से...
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हिन्दुस्थान समाचार से सम्बद्ध ख्यातनाम पत्रकार |
किसी भी देश पर शासन करनेवाली तत्कालीन राजनीतिक पार्टी की सरकार का उस पर किस तरह से सरकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव होता है, दुनियाभर में इसके कई उदाहरण सहज ही देखे जा सकते हैं । भारत पर पिछली कांग्रेस-मनमोहन सरकार और वर्तमान भाजपा-मोदी सरकार के नेतृत्व का क्या प्रभाव है, यह आज सभी क्षेत्रों में सीधेतौर पर दिखाई दे रहा है।
कांग्रेस लाख चाहकर भी मोदी सरकार पर पिछले साढ़े चार वर्ष के दौरान कोई घोटाला साबित नहीं कर सकी है। जिस राफेल को उसने मुद्दा भी बनाया तो उसकी सच्चाई न्यायालय ने सभी के समक्ष ला दिया, जिसके बाद कांग्रेस फिर जनता के बीच कुछ भी कहती रहे लेकिन जनता जान चुकी है कि देश का चौकीदार अपना काम पूरी मुस्तैदी के साथ कर रहा है। मोदी के नेतृत्व में भारत चहुँदिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
2018 समाप्त होने के साथ जो संदेश देकर गया है, वह भी यही है कि आर्थिक क्षेत्र में भारत की ग्रोथ आज दुनिया में सबसे अधिक है। रिजर्व बैंक, मूडीज, आईएमएफ जैसी सभी अर्थ क्षेत्र से जुड़ी सर्वोच्च संस्थाओं ने माना है कि भारत में 2017-18 में प्रतिव्यक्ति सालाना आय 1.13 लाख रुपए थी। जोकि मोदी के 5 सालों के कार्यकाल में आमदनी बढ़ने का औसत 09 प्रतिशत के करीब है। मौजूदा वित्त वर्ष में यह आय 1.25 लाख रुपए प्रतिव्यक्ति रहने का अनुमान है। ईज ऑफ डूडंग बिजनेस में भारत 100 वें स्थान से 77 वें स्थान पर पहुँच गया है। इसी तरह से अन्य क्षेत्र हैं जहां मोदी शासन में बेतहाशा वृद्धि हुई है।
इस सब के बीच जो सबसे खास उपलब्धि रही , वह है भारत के सुरक्षा तंत्र की मजबूती और हमारी सेना का निरंतर बढ़ता मनोबल । इसका मतलब यह नहीं है कि पिछली सरकारों ने इस दिशा में कुछ नहीं किया था। वस्तुत: भाजपा की सरकार के केंद्र में आने के बाद जो नवाचार आरंभ हुए, उसके परिणाम इस सरकार का कार्यकाल पूरा होने से पहले अब आने लगे हैं।
यह मोदी सरकार ही है, जिसके शासन में लगातार सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों पर जोर दिया जा रहा है, तभी तो लगातार देश की सुरक्षा में सेंध लगानेवाले आतंकवादी पकड़े जा रहे हैं और सीमा पर वह मारे जा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में इस साल सुरक्षा बलों ने 311 आतंकियों को ढेर किया है। वस्तुत: सुरक्षा बलों के बीच शानदार तालमेल और ऑपरेशन की आजादी को इसका श्रेय दिया जा सकता है। जबकि इसके पहले पिछले दशक में कभी इतनी बड़ी संख्या में आतंकवादियों का सफाया नहीं किया जा सका था। इससे पहले 2010 में जरूर 232 आतंकी मारे गए थे। यानी मारे जाने वाले आतंकियों की यह 311 की संख्या सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसी तरह से पिछले वर्ष भी 213 आतंकी सेना ने मार गिराए थे, वहीं इसके पूर्व 150 से अधिक आतंकवादियों को ढेर करने में सेना को कामयाबी मिली थी। कह सकते हैं कि इस वक्त सेना का मनोबल अपने उच्च पायदान पर है।
वस्तुत: दो सरकारों का इस दिशा में तुलनात्मक अध्ययन करें तो स्थिति एकदम साफ हो जाती है। वर्तमान की जहां नरेन्द्र मोदी सरकार भारतीय सेना की जरूरतों को समझती है और लगातार भारतीय सेना की शक्ति को बढ़ाने के लिए कदम उठा रही है तो अफसोस दूसरी ओर कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार थी, जिसमें सेना को भी भ्रष्टाचार ने नहीं बख्शा। तोप खरीदने में दलाली हो गई । ताबूतों की खरीद इससे नहीं बची । अगस्ता वेस्टलैंड हैलीकाप्टरों की खरीदी हो या पनडुब्बियों की खरीदी, हर जगह ही भ्रष्टाचार का बोलबाला ही देखने को मिला था। यूपीए शासन-2 का वह दौर याद आता है जब ए.के. एंटनी रक्षा मंत्री रहे और वे भ्रष्टाचार से इतने आतंकित हो गए कि उन्होंने रक्षा सौदे रद्द करने में ही अपनी भलाई समझी थी, फिर नई खरीदी तो दूर की कौड़ी थी।
सही पूछिए तो उस दौर में मनमोहन सरकार की नीतिगत अपंगता के चलते भारतीय सेना बुरी तरह से प्रभावित हुई थी। जबकि आज मोदी राज में भारतीय सेना को अत्याधुनिक बनाने की जरूरत पर जोर दिया जाकर उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। सरकार ने जवानों के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट के सौदे को भी सफलतापूर्वक पूरा कर लिया तो दूसरी ओर मोदी सरकार सेना के जरिए ही मेक इन इंडिया का लक्ष्य पूरा करते हुए भविष्य की उसकी जरूरतों को पूरा करना चाहती है। यही कारण है कि आज सेना का जोर उसके आधुनिकीकरण पर अधिक दिखाई देता है और वह एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल, पैरा स्पेशल फोर्स के लिए स्पेशल इक्विपमेंट, स्नाइपर और असॉल्ट राइफल्स जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स अपने दम पर पूरे करने जा रही है। हमारी थल सेना कॉम्बैट वेहिकल्स के अपग्रेडेशन और इंडक्शन के साथ रात में फाइटिंग कैपेबिलिटी बढ़ा रही है। यहां आर्टिलरी और एयर डिफेंस के बेड़े का अपग्रेडेशन होने जा रहा है।
जलसेना के स्तर पर इस साल हम भारत में बने कई युद्धपोतों-पनडुब्बियों को नौसेना में शामिल करेंगे। विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत युद्ध के लिए अपनी तैयारी पूरी कर लेगा। रूस भेजी गईं सिंधुघोष क्लास की पनडुब्बियां सिंधुकेसरी और सिंधुराज पुन: नौसेना का हिस्सा बनेंगी, जिसके बाद हमारी ताकत बहुत बढ़ जाएगी। ऐसे ही देश के अलग-अलग शिपयार्ड में 32 युद्धपोत और पनडुब्बियां तैयार हो रही हैं जो अतिशीघ्र जलसेना का हिस्सा होंगी। 2019 में कालवरी क्लास की डीजल इलेक्ट्रिक अटैक सबमरीन को नौसेना में शामिल हो जाएगी और लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के फ्लाइट टेस्ट इसी साल होंगे। जिसके बाद कहा जा सकता है कि थल के साथ जल में हमारा मुकाबला करना किसी भी देश के लिए कोई मुश्किल होगा।
इसी तरह से यदि वायुसेना की प्रगति देखें तो देश में एफए-18 सुपर हॉर्नेट लड़ाकू विमान के विनिर्माण के लिए अमेरिकी कंपनी बोइंग ने सरकारी कंपनी हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और निजी क्षेत्र की महिंद्रा डिफैंस सिस्टम्स के साथ सांझेदारी की घोषणा की है। चिनूक, अपाचे और राफेल वायुसेना में शामिल होने जा रहे हैं। भारतीय वायुसेना के लिए 110 लड़ाकू विमानों की खरीद प्रक्रिया हाल ही में हुई है। जिसमें कि मेक इन इंडिया का पूरा ध्यान रखा गया है और इसके लिए नया अत्याधुनिक संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। 85 फीसदी एयरक्राफ्ट देश में ही तैयार होंगे। वस्तुत: भारत में ही लड़ाकू विमानों का यह निर्माण मोदी सरकार का एक बड़ा कदम माना जा सकता है। अभी मेक इन इंडिया के तहत लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, आकाश और एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम को वायुसेना का हिस्सा बनाया जा चुका है।
इसके आगे वायुसेना डीआरडीओ, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैट्रोलियम, डायरेक्टोरेट जनरल एयरोनॉटिकल क्वालिटी के साथ मिलकर एयरक्राफ्ट्स के लिए बायो जेट फ्यूल बनाने पर काम कर रही है। वायुसेना इंडियन ह्यूमन स्पेस प्रोग्राम में एस्ट्रोनॉट्स सिलेक्शन, मेडिकल इवैल्युएशन, ट्रेनिंग और ह्युमन इंजीनियरिंग सपोर्ट और डेवलपमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाने जा रही है। कहा जा सकता है कि भारत अब पांचवीं पीढ़ी की आधुनिक लड़ाकू विमान प्रौद्योगिकी में आगे की राह तय करने में जुटा है। जिसके बाद दुनिया के चौथे नम्बर की हमारी सेना किसी पहले या दूसरे नम्बर से कहीं भी कमतर नहीं ठहरेगी।
वास्तव में देखा जा रहा है कि मोदी सरकार यहीं नहीं रुकी है, वह शहीदों के परिवार और पूर्व सैनिकों के हित में भी पूरी तरह से जाग्रत है, इसीलिए ही उसने इस दिशा में कई नई स्कीम शुरू की हैं। एक्स सर्विसमैन कंट्रीब्यूट्री हैल्थ स्कीम में अनेक पॉलिसी शुरू की गई हैं। पीएमकेवीवाई स्कीम के तहत सैनिकों की पत्नियों को रोजगार देने पर इनदिनों जोर दिया जा रहा है। कुल मिलाकर केंद्र की वर्तमान भाजपानीत मोदी सरकार को लेकर कांग्रेस या अन्य विपक्षी कितने भी आरोप लगाएं किंतु हकीकत यही है कि देश हर दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिसमें कि सेना का मनोबल इस समय अपनी सर्वोच्च ऊंचाईयों पर दिखाई दे रहा है।
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