आखिर मोदी सरकार भी अयोध्या विवाद पर आई आर-पार के मूड में !
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केंद्र की मोदी सरकार ने मंगलवार को
बड़ा कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है, जिसमें कहा गया है कि सरकार
ने 67 एकड़ जमीन अधिग्रहण की थी, किन्तु विवादास्पद केवल 2.77 एकड़ है | शेष जमीन पर कोई विवाद न होते हुए भी सुप्रीम कोर्ट ने
यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है, जबकि वह अनावश्यक है | सरकार ने इच्छा
जताई है कि जमीन का कुछ हिस्सा राम जन्भूमि न्यास को दिया जाए और इस बावत सुप्रीम
कोर्ट से इसकी इजाजत मांगी है |
स्मरणीय है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश
दीपक मिश्रा के बदलते ही अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई लगातार टलती
जा रही है | इसी क्रम में नए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई में 29 जनवरी को सुनवाई होनी थी, लेकिन इसके लिए बनाई गई पांच जजों की
बेंच में शामिल जस्टिस बोबड़े के मौजूद न होने पर ये सुनवाई भी आगे के लिए टल गई
| इतना ही नहीं तो इस मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख भी तय नहीं हुई है |
इससे पहले पीठ के गठन और जस्टिस यूयू ललित के हटने के कारण भी सुनवाई में देरी
हुई थी |
25 जनवरी को अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई
ने नई बेंच का गठन किया था, जिसमें CJI रंजन गोगोई के अलावा एसए बोबडे, जस्टिस चंद्रचूड़, अशोक भूषण और अब्दुल नज़ीर शामिल हैं |
यहाँ ध्यान देने योग्य है कि श्री सुब्रमन्यम स्वामी ने भी पिछले दिनों लगभग यही सलाह दी थी |
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