नेता क्या इंसान नहीं होते ?




जी हाँ कुछ लोगों के विषय में तो यही कहा जा सकता है कि वे इंसान और इंसानियत का अर्थ भी नहीं जानते | भावना शून्य एक मशीन, जिसका एक मात्र लक्ष्य कुर्सी | 

आप जो चित्र इस पोस्ट के साथ देख रहे हैं, उसमें बहिन मायावती जी ने जो कुरता पहना हुआ है, वह किसी पुरुष का है | यह फोटो उसी स्टेट गेस्ट हाउस कांड के समय का है जब समाजवादी मुलायम सिंह के इशारे पर मायावती के कपड़े पूरी तरह से फाड़ दिए गए थे ! जरा सोचिये कि यह कृत्य करने वाले लोग क्या इंसान थे | किन्तु उसके बाद जो हुआ, उससे यह सवाल भी उठता है कि, जिनके साथ यह दुष्कृत्य हुआ, वो बहिन मायावती कितनी इन्सान है ?

आईये जानते हैं –

2 जून 1995 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ के राज्य अतिथि गृह में जो कुछ घटा उसने पूरे देश को स्तंभित कर दिया था ! उस समय उत्तर प्रदेश में एक ऐसा राजनैतिक गठबंधन हुआ था, जिसकी कल्पना अब भविष्य में कही नहीं की जा सकती है ! 

यह गठबंधन हुआ था सपा और बसपा के बीच ! इस गठबंधन ने चुनावों में विजयश्री प्राप्त की और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने ! परन्तु 2 जून 1995 के दिन आपसी रस्साकस्सी और मनमुटाव के चलते बसपा ने गठबंधन से नाता तोड़ समर्थन वापस ले लिया ! जिसके चलते सरकार अल्पमत में आ गयी ! सरकार को बचाने के लिए जोड़ तोड़ प्रारंभ हो गया, परन्तु बात नहीं बनी |

जिससे गुस्साए सपा कार्यकर्ताओं ने लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस पहुंचकर कमरा नंबर 1 जहाँ मायावती ठहरी हुई थी, को घेर लिया और कुछ उनके कमरे में घुस गए और कमरा बंद कर लिया ! बताया जाता है कि इन समाजवादियों ने समाजवाद की सारी हदों की सीमाओं को पार करते हुए मायावती को जमकर पीटा बल्कि उनके कपडे तक फाड़ दिए (मायावती के जीवन पर आधारित अजय बोस की किताब ‘बहिन जी’ के अनुसार) !

बीजेपी विधायक ने बचाई माया की आबरू 

उत्तर प्रदेश की राजनीति में उस ‘काले दिन’ उन्मादी भीड़ के रूप में तथाकथित समाजवादी बदले की भावना में इस हद तक गिर गए थे कि उन्हें यह भी होश नहीं था कि वह जिस से यह अमानवीय व्यवहार कर रहे थे वह एक महिला है ! ऐसे में उन समाजवादी गुंडों से अपनी जान जोखिम में डाल कर दो दो हाथ कर मायावती की जान बचाने वाले शख्स का नाम था ब्रह्मदत्त द्विवेदी ! बीजेपी के विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी गेस्ट हाउस का दरवाजा तोड़ कर मायावती को सकुशल बाहर निकाल कर ले आये वो भी तब जब मायावती की पार्टी के ही नेता उन समाजवादी गुंडों से डर कर भाग गए थे, जिसे स्वयं मायावती ने भी स्वीकार किया ! भारत की राजनीति के माथे पर कलंक रुपी इसी काण्ड को ‘गेस्ट हाउस काण्ड’ कहा जाता है ! 

ब्रह्मदत्त द्विवेदी और मायावती

आज के भाजपा अध्यक्ष श्री अमित शाह जव भाजपा युवा मोर्चा के एक सामान्य कार्यकर्ता थे, तब भाजपा की राष्ट्रीय परिषद् की तीन दिवसीय बैठक का आयोजन गांधीनगर में हुआ था| उस दौरान यूपी के कद्दावर भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी भी बैठक में पहुचे थे| उस दौरान श्री अमित शाह को द्विवेदी जी का 2.5 दिन खास सहायक बनने का मौका मिला था| उन्हें द्विवेदी जी का ध्यान रखने की जिम्मेदारी दी गयी थी| 

तो आप समझ सकते हैं कि ब्रह्मदत्त द्विवेदी किस स्तर के नेता थे | वे नेता बाद में किन्तु संघ स्वयं सेवक पहले थे, अतः जब उन्होंने एक महिला को गुंडों के बीच घिरा हुआ देखा, तो संघ का दंड (लाठी) उठाया और हथियारों से लेस समाजवादी गुंडों से भिड गए ! और मायावती को बचाकर बाहर निकाला | 

गेस्ट हाउस काण्ड के आरोपी को ही दिया मायावती ने टिकट 

लेकिन ख़ास बात यह हुई कि गेस्ट हाउस काण्ड के मुख्य आरोपियों में से एक अरुण शंकर शुक्ला उर्फ अन्ना शुक्ला को आगे चलकर मायावती ने अपनी पार्टी का प्रत्यासी बनाया था ! राजनीति में जो न हो जाए कम है ! आज जो जान के दुश्मन हैं, वे कब जान से प्यारे हो जाएं, इसे कोई नहीं जानता ! समाजवादी पार्टी के साथ सियासी सफर शुरू करने वाले गैंगस्टर एक्ट और रासुका में जेल की हवा खा चुके अन्ना दिसंबर 2008 में माया के हाथी पर सवार हुए ! इस पर मायावती जी का कहना था कि वो सुधर गए हैं और उन्हें मौका दिए जाने की ज़रूरत है ! 

अहसान फरामोश मायावती 

बाद में श्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी जी की गोली मारकर ह्त्या कर दी गई | और शायद आपको यह जानकर हैरत होगी कि उसके बाद मायावती उनके अंतिम दर्शन को भी नहीं गईं ! इतना ही नहीं तो उनकी हत्या के मुख्य आरोपी विजय सिंह को बसपा में भी सम्मिलित कर लिया था, जो निचली अदालत से सजा सुनाई जाने के बाद सपा टिकिट पर फर्रुखाबाद सदर सीट से विधायक बन गया था |

तो इस आलेख को पढ़कर आप ही बताईये कि आप आलेख के हैडिंग से सहमत हैं अथवा नहीं ? क्या सचमुच राजनीति इंसानियत से परे की कोई चीज है? जिन्होंने इज़त लूटी, कपड़े फाडे उनके साथ गठबंधन कर लिया ....वो भी किसके खिलाफ जिन्होंने इज्जत आबरू बचाई😂

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