ग्वालियर की पुकार या रणछोड़दास बनने को मजबूर सिंधिया ? - दिवाकर शर्मा

SHARE:

2019 के लोकसभा चुनाव के रण की तैयारियां प्रारम्भ हो चुकी है | भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल मध्यप्रदेश में सियासी बिसातें बिछाने लगे है ...


2019 के लोकसभा चुनाव के रण की तैयारियां प्रारम्भ हो चुकी है | भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल मध्यप्रदेश में सियासी बिसातें बिछाने लगे है | दोनों दलों के बड़े नेता अपने लिए सुरक्षित सीटों की खोज प्रारम्भ कर चुके है | कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इन दिनों गुना - शिवपुरी की बजाय ग्वालियर में ज्यादा सक्रीय दिख रहे है | चर्चा है कि वे इस बार गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र की बजाय ग्वालियर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने के मूड में है | कहा यह जा रहा है कि ग्वालियर की पुकार सिंधिया को ग्वालियर खींच के ले जा रही है | क्या वाकई में ? या किसी भय के कारण इस बार रणछोड़दास बनने को तैयार है ? आइये जानते है | 

गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र की विधानसभाओं में कांग्रेस का मत प्रतिशत 

भले ही विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र की 8 विधानसभाओं में से 5 पर जीत दर्ज कराई हो परन्तु मतों की बात करें तो जहाँ इन सभी 8 विधानसभाओं में कांग्रेस को कुल 500297 मत प्राप्त हुए वहीँ भाजपा को इन 8 विधानसभाओं में 3 सीटों के साथ कुल 466796 मत प्राप्त हुए है | अब आप सोच रहे होंगे कि कांग्रेस को तो भाजपा से अधिक मत इन आठों विधानसभाओं में प्राप्त हुए है तो इस पर कांग्रेस और सिंधिया को क्योँ चिंतित होना चाहिए ? 

तो जरा इन आठों विधानसभाओं में सपाक्स, भाजपा के बागी प्रत्याशियों और नोटा पर पड़े मतों पर नजर डालिये | इन आठ विधानसभाओं में सपाक्स को कुल 11908 मत, नोटा को 13285 मत एवं बामोरी से भाजपा के बागी के एल अग्रवाल को 28488 मत प्राप्त हुए थे | राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि सपाक्स, नोटा और भाजपा के बागी प्रत्याशियों ने विधानसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान पहुँचाया है एवं लोकसभा चुनाव में इन वोटों का ध्रुवीकरण पुनः भाजपा की तरफ होना तय है | यह सम्भावना ज्योतिरादित्य सिंधिया के माथे पर पसीना ला सकती है | क्योँकि यदि ऐसा हुआ तो भाजपा के 466796 मत + सपाक्स के 11908 मत + नोटा के 13285 मत + के एल अग्रवाल को मिले 28488 मतों को मिला दें तो इन मतों की संख्या होती है 520477 जो कि कांग्रेस को प्राप्त 500297 मतों से 20180 अधिक है | 

ग्वालियर संसदीय क्षेत्र की विधानसभाओं में सीट एवं वोटों दोनों के अंतर में कांग्रेस भाजपा पर हावी 

विगत विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने ग्वालियर संसदीय क्षेत्र की 8 विधानसभाओं में 7 सीटें कुल 558648 मतों के साथ जीतीं है वहीँ भाजपा को 1 सीट 420692 मतों के साथ प्राप्त हुई है | इन आठों विधानसभाओं में सपाक्स, नोटा और भाजपा की बागी समीक्षा गुप्ता को कुल मिलाकर 54997 मत प्राप्त हुए है | यदिं इन मतों को आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा की ओर मुड़ा हुआ माने तो भी भाजपा और इनकी कुल संख्या 475689 होती है जो कांग्रेस के 558648 मतों के मुकाबले 82956 कम है | इसके साथ ही यहाँ से विजयी होकर ज्योतिरादित्य के चहेते विधायकों को मंत्री पद भी मिला हुआ है जो सिंधिया के पक्ष में माहौल बनाने का कार्य करेंगे | 

गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र में जनता एवं भाजपा में उठी स्थानीय नेता की मांग 

इस बार गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से जनता एवं भाजपा में किसी स्थानीय नेता को चुनाव लड़ाने की मांग तेजी से उठी है | कारण, बाहरी नेताओं का केवल चुनाव के समय क्षेत्र में सक्रियता दिखाना एवं चुनाव के बाद क्षेत्र में निष्क्रिय रहना | इसके अतिरिक्त गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया का बड़ा ग्लेमर है एवं उनके मुकाबले इस क्षेत्र में भाजपा के पास उनके मुकाबले का ग्लेमर वाला कोई भी चेहरा नहीं है | सिंधिया के इस ग्लेमर का मुकाबला केवल और केवल सहानुभूति की लहर कर सकती है | भाजपा भी इस बात से भली भांति परिचित है और संभव है कि इस बार उसके द्वारा इस क्षेत्र से किसी बेचारे को चुनावी मैदान में उतार दिया जाये | वैसे भी भाजपा के पास इस क्षेत्र में कुछ योग्य बेचारे मौजूद है जिन्होंने आजीवन पार्टी की सेवा को ही अपना ध्येय माना है | और सबसे महत्वपूर्ण बात कि यदि ऐसे किसी बेचारे को भाजपा टिकट देती है तो निश्चित है सदा से महल समर्थकों के द्वारा किया जाता रहा पार्टी के प्रति भितरघात भी कम से कम होगा | 

के पी सिंह एवं उनके समर्थकों की नाराजगी 

पिछोर के कद्दावर विधायक एवं पूर्व मंत्री के पी सिंह एवं उनके समर्थक सिंधिया से खासे नाराज है | वे मानते है कि सिंधिया ने के पी सिंह को कमलनाथ सरकार में मंत्री नहीं बनने दिया | ऐसे में पूरी पूरी संभावनाएं है कि केपी सिंह एवं उनके समर्थक सिंधिया के लिए कठनाइयां पैदा कर सकते है | 

पार्टी एवं क्षेत्र में बढ़ता दिग्विजय सिंह गुट का प्रभाव 

मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार में सिंधिया को दरकिनार कर कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनवा कर दिग्विजय सिंह ने खुद को मध्यप्रदेश की राजनीती का चाणक्य प्रमाणित कर दिया है | दिग्विजय एवं सिंधिया की राजनैतिक प्रतिद्वंदिता से हर कोई वाकिफ है | गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से ही लगा हुआ दिग्विजय सिंह का गृह क्षेत्र है | निश्चित ही गुना में दिग्विजय भी खासा प्रभाव रखते है | कहीं दिग्विजय भी सिंधिया के लिए मुश्किलें पैदा खड़ी न कर दें ऐसी सोच भी सिंधिया को ग्वालियर पलायन हेतु विचार करने पर बाध्य कर सकती है | 

पूरे देश में इस बार चुनाव मोदी विरुद्ध आल होना 

इस बार पूरे देश में लोकसभा चुनाव मोदी विरुद्ध आल होना तय है | भले ही उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सपा और बसपा ने दूर रखा हो परन्तु चुनाव के बाद सभी मिलजुल कर केंद्र में सरकार बनाने का हर संभव प्रयास करेंगे और इस बात को आज देश का बच्चा बच्चा जानता है | कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी प्रधानमंत्री बनने का सपना संजोये है और सिंधिया उनके सबसे करीबियों में से एक है अतः गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र में भाजपा किसी स्थानीय कर्मठ कार्यकर्ता को चुनावी मैदान में उतार कर मोदी विरुद्ध राहुल का नारा देकर सिंधिया और कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकती है | 

विधानसभा चुनाव की मामूली पराजय के बाद भाजपा का एकजुट होना 

पिछले विधानसभा चुनाव में संघर्षपूर्ण हार के पश्चात् भाजपा का एकजुट होकर चुनाव लड़ना तय है | पिछले चुनाव में हुई गलतियों से सबक लेकर भाजपा आगे लोकसभा की जंग लड़ेगी | अतः भाजपा की यह एकजुटता भी सिंधिया के लिए खतरे की घंटी है |

सिंधिया का एक फैंसला बदल सकता है सभी समीकरण 

राजनीती में कुछ भी संभव है | राजनीती में आज जो मित्र कल परम शत्रु बन सकते है और आज जो परम शत्रु है वह कल परम मित्र बन सकते है | इसी का नाम राजनीति है | सिंधिया भी इसका अनुशरण कर सभी समीकरणों को बदल सकते है | इन दिनों यह भी जनचर्चा है कि सिंधिया भाजपा का दामन थाम सकते है | इस जन चर्चा को तब और बल मिल गया जब ज्योतिरादित्य सिंधिया अचानक से भोपाल में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने पहुँच गए | अंदरखाने से मिल रही जानकारी के अनुसार सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर की मेल मुलाकात की ख़बरें भी प्राप्त हो रही है | वैसे यह चर्चाएं कितनी सही है यह तो आने वाला समय ही बता पायेगा परन्तु एक बात जो पाठकों को बताना होगी कि सिंधिया कभी हारी हुई बाजी नहीं लड़ते एवं बहुत लम्बे समय तक सत्ता से दूर रहने की इनकी आदत नहीं है | 

चलते चलते 

सिंधिया परिवार का क्षेत्र में अपना वंशानुगत प्रभामंडल है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता | अतः यह भी संभव है कि अति आत्मविश्वास में ज्योतिरादित्य जी राजनीति में लंबी छलांग लगाने की कोशिश करें और अपने साथ साथ अपनी धर्मपत्नी श्रीमती प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया को भी गुना अथवा ग्वालियर से चुनाव लड़वाने का मानस बनाएं | विगत विधानसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह जी ने अपने पुत्र और भाई दोनों को चुनाव लडवाकर इन अटकलों को और बल दिया है | विधानसभा के समान लोकसभा में भी सफलता पाने के लिए यही प्रयोग किया जा सकता है | 

लेकिन इसमें खतरा यह है कि इस बार चुनाव सांसद चुनने के साथ प्रधानमंत्री पद के लिए जनमत संग्रह का रूप भी ले सकते हैं | ऐसा हुआ तो यह संभावित प्रयोग उल्टा भी पड़ सकता है | आखिर हर व्यक्ति की क्षमताओं की एक सीमा होती है | उत्तर प्रदेश का प्रभार और साथ में दो दो संसदीय क्षेत्र में मोदी मेजिक के खिलाफ चुनाव लड़ना, क्या ज्योतिरादित्य जी जैसे समझदार राजनेता करेंगे ऐसा ?

दिवाकर शर्मा
संपादक www.krantidoot.in
राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार म.प्र.


COMMENTS

नाम

अखबारों की कतरन,40,अपराध,3,अशोकनगर,24,आंतरिक सुरक्षा,15,इतिहास,158,उत्तराखंड,4,ओशोवाणी,16,कहानियां,40,काव्य सुधा,64,खाना खजाना,21,खेल,19,गुना,3,ग्वालियर,1,चिकटे जी,25,चिकटे जी काव्य रूपांतर,5,जनसंपर्क विभाग म.प्र.,6,तकनीक,85,दतिया,2,दुनिया रंगविरंगी,32,देश,162,धर्म और अध्यात्म,244,पर्यटन,15,पुस्तक सार,59,प्रेरक प्रसंग,80,फिल्मी दुनिया,11,बीजेपी,38,बुरा न मानो होली है,2,भगत सिंह,5,भारत संस्कृति न्यास,30,भोपाल,26,मध्यप्रदेश,504,मनुस्मृति,14,मनोरंजन,53,महापुरुष जीवन गाथा,130,मेरा भारत महान,308,मेरी राम कहानी,23,राजनीति,90,राजीव जी दीक्षित,18,राष्ट्रनीति,51,लेख,1126,विज्ञापन,4,विडियो,24,विदेश,47,विवेकानंद साहित्य,10,वीडियो,1,वैदिक ज्ञान,70,व्यंग,7,व्यक्ति परिचय,29,व्यापार,1,शिवपुरी,904,शिवपुरी समाचार,324,संघगाथा,57,संस्मरण,37,समाचार,1050,समाचार समीक्षा,762,साक्षात्कार,8,सोशल मीडिया,3,स्वास्थ्य,26,हमारा यूट्यूब चैनल,10,election 2019,24,shivpuri,2,
ltr
item
क्रांतिदूत : ग्वालियर की पुकार या रणछोड़दास बनने को मजबूर सिंधिया ? - दिवाकर शर्मा
ग्वालियर की पुकार या रणछोड़दास बनने को मजबूर सिंधिया ? - दिवाकर शर्मा
https://3.bp.blogspot.com/-c2QdKlDA9II/XFVxk4elQoI/AAAAAAAAKuY/r1igj7u4pNI4KheAbjUPN5iGkgG5HqhXQCLcBGAs/s1600/sindhiya.jpg
https://3.bp.blogspot.com/-c2QdKlDA9II/XFVxk4elQoI/AAAAAAAAKuY/r1igj7u4pNI4KheAbjUPN5iGkgG5HqhXQCLcBGAs/s72-c/sindhiya.jpg
क्रांतिदूत
https://www.krantidoot.in/2019/02/Calling-for-Gwalior-or-Ranchoddas-to-be-made-Scindia.html
https://www.krantidoot.in/
https://www.krantidoot.in/
https://www.krantidoot.in/2019/02/Calling-for-Gwalior-or-Ranchoddas-to-be-made-Scindia.html
true
8510248389967890617
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS CONTENT IS PREMIUM Please share to unlock Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy