भारत को लगातार शह देने का आदी पाकिस्तान इस बार मात के कगार पर |



सन 1947 से ही लगातार भारत और पाकिस्तान के बीच शतरंज की एक अंतहीन बिसात बिछी हुई थी | लेकिन अब लगता है कि वह खेल एक निर्णायक मोड़ पर आ गया है | एक अमेरिकी अर्थशास्त्री हुए हैं थॉमस शेलिंग (Thomas Schelling), जिन्हें 2005 में 'इकॉनॉमिक्स' के लिए नोबेल प्राइज मिला था | उन्होंने 'गेम ऑफ़ चिकेन' के द्वारा दो पक्षों के बीच किसी जटिल विषय पर समझौते की प्रक्रिया को समझाने का प्रयास किया था | शेलिंग का मानना था कि किसी जटिल विषय को सुलझाने के लिए कुछ जोखिम उठाना पड़ता है | थॉमस शेलिंग की थ्योरी 'गेम ऑफ़ चिकेन' में दो व्यक्ति एक सड़क के दो छोर पर अपनी-अपनी कार में बैठते हैं और एक-दूसरे की तरफ तेज स्पीड में कार ड्राइव करते हैं | अगर उनमे से एक ड्राइवर कार को किनारे नहीं करता तो निःसंदेह कारों के बीच सीधे टक्कर होगी जिससे दोनों कारों और ड्राइवरों को भारी नुकसान हो सकता है | 

लगता है इस बार उनकी इस गेम-थ्योरी के अनुसार ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पाकिस्तान के व्यवहार को नियंत्रित करने की ऐतिहासिक कोशिश कर रहे हैं, जो सीमापार से आतंकवाद के माध्यम से सालों से भारत को गहरे ज़ख्म देता रहा है | अभी तक पाकिस्तान यह मानता आया था कि भारत जिसकी कार हर मायने में पाकिस्तान की कार से बेहतर और मजबूत है, वह अपनी कार को एक्सीडेंट और नुक़सान से बचाने के लिए टक्कर से पहले ही रास्ते से हटा लेगा | 

इसे कुछ यूँ समझिए कि पाकिस्तान भारत में आतंकवादी भेज रहा है, उन आतंकवादियो को कवर देने के लिए सीमा पर गोले छोड़ रहा है और हमारे सैनिक ठिकानों पर हमले करवा रहा है | अब तक भारत क्या करता रहा है ? 

महज कड़ी निंदा या संयुक्त राष्ट्र संघ में शिकवे शिकायत कि देखिये ये पाकिस्तान कितना ख़राब ड्राइवर है | हम पाकिस्तान की आतंकी कार का मुकाबला करने अर्थात सीधी टक्कर से बचने का प्रयास करते रहे | आखिर क्यों ? सबसे पहला कारण तो पूर्ववर्ती सरकारों में रहे राजनेताओं को वोट खोने का भय सताता था, क्योंकि वे मानते थे कि भारत में कुछ लोग आतंकवादियों के विरुद्ध सेना के एक्शन से नाराज़ होकर उनको वोट नहीं देंगे | दूसरी खरोंच मानवाधिकार संगठनो, एजेंडा-बेस्ड पत्रकारों और लेफ्टिस्ट फ्रंट के नाखूनों से लगती जो आतंकवादी कार की पॉलिश के समर्थन में सड़क पर आ जाते, वे दंगा मचा देते, विदेशी अखबारों में एडिटोरियल छपवा देते कि कैसे भारत को आतंकी देश पाकिस्तान के खिलाफ टक्कर लेने से रोका जाए | 

जम्मू-कश्मीर के निर्दोष पत्थरबाजों के खिलाफ तो भारत एक्शन ले ही नहीं सकता था क्योंकि पत्थर मारना तो उन गुमराह नौजवानों (?) का मानवाधिकार है | इस बार भी पुलवामा की नृशंस घटना को अंजाम देने के बाद पाकिस्तान को यह पता था कि नुक़सान से बचने के लिए भारत अपनी कार सड़क से हटा लेगा और पाकिस्तान ऐसे ही आतंकी कार को भगाता रहेगा | लेकिन इस बार वह भूल गया कि स्थिति कुछ अलग है | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारतीय कार की ड्राईविंग सीट पर बैठे हैं | 

गजब देखिये कि मोदी ने तो मानो गाड़ी की स्टीयरिंग व्हील ही निकालकर पाकिस्तान की कार के ड्राइवर इमरान खान के सामने फेंक दी | अब आतंकी कार का ड्राइवर सकपका रहा है, कि भारत से बेधड़क चली आ रही कार से खुद की जान कैसे बचाए | टक्कर हुई तो भारत की मजबूत कार, पाकिस्तान की कार का तो कचूमर ही निकाल देगी | जबकि भारत की कार थोड़ी बहुत डेंटिंग पेंटिंग कराके पुन्हः सडक पर फर्राटे भरती दिखाई देगी | 

दो सर्जिकल स्ट्राइक, मेजर गोगोई, पेलेट गन, सैंकड़ों आतंकवादियों को मार देना, कश्मीर के आतंकियों के खिलाफ NIA की कार्रवाई, यह सब इस बात का संकेत है कि अब पाकिस्तान से डील करने वाली भारत की कार में स्टीयरिंग व्हील नहीं है | यह पाकिस्तान को भी दिखाई दे रहा है | वह पूरी तरह कन्फ्यूज हो चुका है | 

कल पाकिस्तान पर हुई एयर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने पहले इस कार्रवाई का खंडन किया, लेकिन साथ ही धमकी भी दी कि वह जवाबी कार्रवाई भी करेगा | एक तरफ खंडन, दूसरी तरफ धमकी | जब कुछ हुआ ही नहीं, तो धमकी का क्या मतलब ? इसी को कहते हैं- "जबरा मारे और रोने भी न दे |" 

पाकिस्तान द्वारा भारत के शरीर पर आतंकी हमलों द्वारा हज़ार कट मारकर खून बहाने की नीति अब चीथड़ों में उड़ गयी है | अब उसे पता है कि हर ऐसे "कट" का जवाब भारत और सशक्त प्रहार से देगा | क्या पाकिस्तान कंगाली की हालत में ऐसे प्रहार सह सकता है? उसका तेल भण्डार खाली है, विमान कैसे उडाएगा ? टैंक कैसे दौडायेगा ? 

पाकिस्तान का धर्म संकट यह है कि वह किसी भी हालत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को वापस सत्ता में नहीं देखना चाहता | इसीलिए उसने प्रधान मंत्री के कार्यकाल के अंतिम चरण में पुलवामा का आतंकी हमला प्रायोजित करवाया, ताकि उनकी छवि धूमिल हो | लेकिन पांसे उलटे पड़ गए, भारत के जवाबी प्रहार ने उसके सामने इधर कुआ- उधर खाई वाली स्थिति पैदा करदी है | अगर वह पलटवार नहीं करता है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि में न केवल देश में बल्कि पूरे विश्व में चार चाँद लग जायेंगे | और हमले करने की सामर्थ्य बची नहीं है | 

सच कहा जाए तो प्रधानमंत्री मोदी ने शतरंज के इस खेल में पाकिस्तान को शह नहीं, बल्कि पूरी तरह मात दे दी है | राजनैतिक नेतृत्व की दृढ़ता एवं सेना के साथ बेहतर समन्वय की वजह से भारत की शक्ति दुनिया के सामने उजागर हुई है | किसी भी देश के इतिहास में ऐसे अवसर कम ही आते हैं जब नेतृत्व के प्रति देशवासियों के मन में भरोसा हो और वहीं नेतृत्व भी उस भरोसे को कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध हो | 

साभार आधार प्रो. दिग्विजय सिंह सिकरवार की एक फेसबुक पोस्ट ! 

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