राहुल की लड़ाई भ्रष्टाचार से है या मोदी से ? - डॉ नीलम महेंद्र

SHARE:

क्या राहुल रॉफेल डील से सचमुच असंतुष्ट हैं? अगर हाँ, तो जैसा कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा,उन्हें ठोस सबूत पेश करने चाहिए। अगर ...

क्या राहुल रॉफेल डील से सचमुच असंतुष्ट हैं? अगर हाँ, तो जैसा कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा,उन्हें ठोस सबूत पेश करने चाहिए। अगर वो कहते हैं और मानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनिल अंबानी को 30 हज़ार करोड़ रुपए दिए हैं तो इसे सिद्ध करें, कहीं न कहीं किसी ना किसी खाते में पैसों का लेनदेन दिखाएं। काश कि वो और उनके सलाहकार यह समझ पाते कि इस प्रकार आधी अधूरी जानकारियों के साथ आरोप लगाकर वे मोदी की छवि से ज्यादा नुकसान खुद अपनी और कांग्रेस की छवि को ही पहुँचा रहे हैं। क्योंकि देश देख रहा है कि जिस प्रकार की संवेदनशीलता से वे रॉफेल सौदे में कथित भ्रष्टाचार को लेकर मोदी के खिलाफ दिखा रहे हैं, वो ममता के प्रति शारदा घोटाले, या अखिलेश के प्रति उत्तर प्रदेश के खनन घोटाले अथवा मायावती के प्रति मूर्ति घोटाले या फिर लालू और तेजस्वी के प्रति चारा घोटाले या चिदंबरम के प्रति आई एन एक्स के भ्रष्टाचार के मामलों में नहीं दिखा रहे। देश देख रहा है कि इन मामलों में सुबूतों के आधार पर पूछताछ करने पर भी कांग्रेस कहती है कि मोदी सरकार विपक्ष को डराने का काम कर रही है लेकिन उच्चतम न्यायालय से क्लीन चिट मिलने के बाद भी रॉफेल को मुद्दा बनाने को कांग्रेस अपना अधिकार समझती है। यह खेद का विषय है कि राहुल रॉफेल को एनडीए का बोफोर्स सिध्द करने की अपनी कोशिश में हैं, ताकि वे इसे लोकसभा चुनावों में एक अहम मुद्दा बनाकर अपना राजनैतिक स्वार्थ हासिल कर सकें। इस प्रकार वे देश को गुमराह करके देश की ऊर्जा और समय दोनों नष्ट कर रहे हैं।

राहुल गांधी ने रॉफेल को लेकर ताज़ा आरोप एक अंग्रेजी अखबार द हिन्दू में प्रकाशित रक्षा मंत्रालय की एक अधूरी चिट्ठी को आधार बनाकर लगाया। लेकिन हर बार की तरह यह आरोप भी तब ध्वस्त हो गया जब रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूरी चिट्ठी और उसका सच सामने रख दिया। लेकिन राहुल संतुष्ट नहीं हुए। हो भी कैसे सकते हैं ? जब रॉफेल पर वो संसद में रक्षा मंत्री के जवाब से और सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ही संतुष्ट नहीं हुए तो अब रक्षा मंत्री के बयान से संतुष्ट कैसे हो सकते हैं? ऐसा लगता है कि राहुल इस समय अविश्वास के एक अजीब दौर से गुज़र रहे हैं। उन्हें प्रधानमंत्री पर विश्वास नहीं है, उन्हें देश के रक्षा मंत्री पर भरोसा नहीं है, सरकार पर यकीन नहीं है, और तो और देश की न्याय व्यवस्था, माननीय सुप्रीम कोर्ट पर भी नहीं! वो कई बार रॉफेल के मुद्दे पर जेपीसी की भी मांग कर चुके हैं जो सर्वथा निरर्थक है। क्योंकि इससे पहले जब कैग की रिपोर्ट के आधार पर 2 जी घोटाला प्रकाश में आया था, तब जेपीसी का गठन किया गया था जिसमें सरकार को क्लीन चिट दे दी गई थी लेकिन अदालत ने आरोपियों को जेल भेज दिया था। इसके बावजूद अगर वो जेपीसी की मांग करते हैं तो इसे क्या समझा जाए?

देश जानना चाहता है कि कहीं बोफोर्स की ही तरह रॉफेल भी कांग्रेस का ही षड्यंत्र तो नहीं है? क्योंकि रॉफेल डील 2012 के कांग्रेस के समय की वो अधूरी डील है जो उनके कार्यकाल में पूरी नहीं हो पाई थी।2015 में मोदी सरकार ने इस डील को आगे बढ़ाया और अब यह डील भारत सरकार और फ्रांस सरकार के बीच है। एयर चीफ मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोआ रॉफेल डील को लेकर लगाए गए सभी आरोपों को यह कहकर खारिज कर चुके हैं कि वर्तमान डील पहले से बेहतर शर्तों पर हुई है।

पूर्व एयर चीफ अरूप राहा कह चुके हैं कि जो 36 रॉफेल विमानों का सौदा हुआ है वो पुराने प्रपोजल से बेहतर है क्योंकि ये बेहतर टेक्नोलॉजी और हथियारों से लैस हैं। 

अब इसे क्या कहा जाए कि एक तरफ राहुल गांधी हमारे सैनिकों से कहते हैं कि आप हमारे गर्व हो और दूसरी तरफ वो हमारे सेनाध्यक्षों पर भी यकीन नहीं कर रहे?

अभी हाल ही में जिस अधूरी चिट्ठी को दिखाकर वो प्रधानमंत्री को घेरने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं उसमें वो भले ही राजनीति के चलते रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान पर भरोसा नहीं कर रहे ठीक है,लेकिन कम से कम देश की सेना पर तो यकीन करें जिस पर वो अपने ही कहे अनुसार गर्व करते हैं। क्योंकि खुद रॉफेल सौदे के वार्ताकार एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा ने ही राहुल के आरोप को यह कह कर खारिज़ कर दिया कि पीएमओ ने कभी भी रॉफेल सौदे में दखलंदाजी नहीं की। इसके अलावा जिन तत्कालीन रक्षा सचिव जी मोहन कुमार के नोट को राहुल मुद्दा बना रहे हैं वो ही यह कह रहे हैं कि मेरी टिप्पणी का रॉफेल जेट की कीमतों से कोई लेना देना नहीं था, मैंने सिर्फ सामान्य शर्तों की बात की थी।

यह हैरत की बात है कि राहुल पूरी चिट्ठी से संतुष्ट नहीं होते, सेनाध्यक्षों के बयान से संतुष्ट नहीं होते, फ्रांस के राष्ट्रपति के बयान से संतुष्ट नहीं होते लेकिन एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित अधूरी खबर से इतने संतुष्ट हो जाते हैं कि प्रेस कांफ्रेंस ही बुला लेते हैं। तो आइए अब उस अखबार के एडिटर के बारे में भी कुछ रोचक तथ्य जान लें जिनकी रिपोर्ट पर ताज़ा विवाद हुआ। इसके लिए हमें इतिहास में थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा। ये समय था 1986 का जब स्वीडन के रेडियो पर बोफोर्स सौदे में दलाली की खबर पहली बार सामने आई। तब भारत में लोग इस बात से अनजान थे। उस समय इसी अंग्रेजी अखबार की एक महिला रिपोर्टर किसी अन्य स्टोरी के सिलसिले में स्वीडन में थी। इस रिपोर्टर ने बोफोर्स घोटाले के सुबूतों के तौर पर लगभग 350 से अधिक दस्तावेज हासिल किए। 

तब बोफोर्स में दलाली की खबर छापने वाले यही एडिटर थे। लेकिन इस मामले में यह खबर इन एडीटर की आखरी खबर भी सिध्द हुई। उसके बाद से बोफोर्स मुद्दा इन एडिटर की कवरेज से गायब हो गया। और आज वो ही एडीटर रक्षा मंत्रालय के एक नोट का अधूरा अंश छाप कर क्या सिध्द करना चाहते है? ऐसे संवेदनशील विषय पर क्या उन्हें रक्षा मंत्रालय का पक्ष भी रखकर देश के एक जिम्मेदार नागरिक होने का कर्तव्य नहीं निभाना चाहिए था? क्योंकि बात केवल इतनी ही नहीं है कि एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार का एडीटर अधूरे तथ्यों से आधा सच सामने रखता है जिसका सहारा लेकर राहुल देश को गुमराह करके राजनैतिक लाभ लेने की कोशिश करते हैं। बात यह है कि मुख्यधारा का मीडिया अपनी विश्वसनीयता खोता जा रहा है। इसलिए अगर राहुल चाहते हैं कि देश उन्हें सीरियसली ले तो वो भ्रष्टाचार के हर मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त करें, भ्रष्टाचार के हर मामले के खिलाफ खड़े हों केवल मोदी के खिलाफ नहीं।

डॉ नीलम महेंद्र


COMMENTS

नाम

अखबारों की कतरन,40,अपराध,3,अशोकनगर,24,आंतरिक सुरक्षा,15,इतिहास,158,उत्तराखंड,4,ओशोवाणी,16,कहानियां,40,काव्य सुधा,64,खाना खजाना,21,खेल,19,गुना,3,ग्वालियर,1,चिकटे जी,25,चिकटे जी काव्य रूपांतर,5,जनसंपर्क विभाग म.प्र.,6,तकनीक,85,दतिया,2,दुनिया रंगविरंगी,32,देश,162,धर्म और अध्यात्म,244,पर्यटन,15,पुस्तक सार,59,प्रेरक प्रसंग,80,फिल्मी दुनिया,10,बीजेपी,38,बुरा न मानो होली है,2,भगत सिंह,5,भारत संस्कृति न्यास,30,भोपाल,26,मध्यप्रदेश,504,मनुस्मृति,14,मनोरंजन,53,महापुरुष जीवन गाथा,130,मेरा भारत महान,308,मेरी राम कहानी,23,राजनीति,89,राजीव जी दीक्षित,18,राष्ट्रनीति,51,लेख,1125,विज्ञापन,4,विडियो,24,विदेश,47,विवेकानंद साहित्य,10,वीडियो,1,वैदिक ज्ञान,70,व्यंग,7,व्यक्ति परिचय,29,व्यापार,1,शिवपुरी,889,शिवपुरी समाचार,309,संघगाथा,57,संस्मरण,37,समाचार,1050,समाचार समीक्षा,762,साक्षात्कार,8,सोशल मीडिया,3,स्वास्थ्य,26,हमारा यूट्यूब चैनल,10,election 2019,24,shivpuri,2,
ltr
item
क्रांतिदूत : राहुल की लड़ाई भ्रष्टाचार से है या मोदी से ? - डॉ नीलम महेंद्र
राहुल की लड़ाई भ्रष्टाचार से है या मोदी से ? - डॉ नीलम महेंद्र
https://1.bp.blogspot.com/-NhDv1pNT9Io/XF74lh9GSvI/AAAAAAAAKwE/QWGe6-CFVHoFajzJdIAmK3MsOmzOJ8UyQCLcBGAs/s400/raffel%2B%25282%2529.jpg
https://1.bp.blogspot.com/-NhDv1pNT9Io/XF74lh9GSvI/AAAAAAAAKwE/QWGe6-CFVHoFajzJdIAmK3MsOmzOJ8UyQCLcBGAs/s72-c/raffel%2B%25282%2529.jpg
क्रांतिदूत
https://www.krantidoot.in/2019/02/Rahul-fight-is-from-corruption-or-Modi.html
https://www.krantidoot.in/
https://www.krantidoot.in/
https://www.krantidoot.in/2019/02/Rahul-fight-is-from-corruption-or-Modi.html
true
8510248389967890617
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS CONTENT IS PREMIUM Please share to unlock Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy