अब तक आर्थिक अपराधियों की शरणस्थली रहे संयुक्त अरब अमीरात ने अगस्ता घोटाले के बांछित अपराधी सक्सेना को लात मारकर निर्वासित किया – इसे कहते हैं जबरदस्त विदेश नीति

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लोग हैरत में हैं कि राहुल गांधी क्यूं लगातार दो सरकारों के मध्य हुए एक रक्षा सौदे के पीछे हाथ धोकर पड़े हुए हैं, जिसमें यह तो साफ़ ही ...



लोग हैरत में हैं कि राहुल गांधी क्यूं लगातार दो सरकारों के मध्य हुए एक रक्षा सौदे के पीछे हाथ धोकर पड़े हुए हैं, जिसमें यह तो साफ़ ही है कि कोई बिचौलिया नहीं है | जबकि पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा जितने भी रक्षा सौदे हुए, बिना किसी बिचौलिए के नहीं हुए | अतः स्पष्ट तौर पर समझा जा सकता है कि वर्तमान का राफेल सौदा कितना साफ़ सुथरा है | 

यूं तो भारत में भ्रष्ट राजनेता भी चुनावों में आसानी से जीत जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद हर चुनाव में भ्रष्टाचार और "स्वच्छ छवि विरुद्ध बदनामी" एक मुद्दा रहता ही आया है । विपक्ष के सामने प्रधानमंत्री की स्वच्छ और दृढ प्रतिज्ञ राजनेता वाली छवि ही सबसे बड़ी चुनौती है। 

हाल ही में फर्स्टपोस्ट और इप्सोस द्वारा जो नेशनल ट्रस्ट सर्वे कराया गया, उसमें भारत के 23 राज्यों के लोगों ने मोदी को देश का सबसे भरोसेमंद नेता माना हैं। 2019 में लगभग 52.8 प्रतिशत लोग उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में लौटते देखना चाहते हैं, जबकि राहुल गांधी के लिए यह आंकड़ा 26.9 प्रतिशत है। 

कांग्रेस के डेटा विश्लेषकों का मानना ​​है कि मोदी की "भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ" छवि को धूमिल किया जा सकता है, और तदनुसार, पार्टी अध्यक्ष राहुल ने राफेल सौदे में कथित भ्रष्टाचार को लेकर एक उच्च-स्तरीय अभियान शुरू किया है, और उसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को ही 'प्रमुख अभियुक्त' बनाया है। यहाँ तक कि वे सच और झूठ के चक्कर में नहीं पड़ रहे, बस आरोपों की झडी लगाकर अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं | अपने दावों को पक्ष में किसी भी तथ्य या सबूत को प्रस्तुत करने में अब तक विफल रहे हैं और कहा जा सकता है कि वे अपने ही बुने जाल में बुरी तरह फंसते जा रहे हैं | 

नरेंद्र मोदी भी घाघ राजनीतिज्ञ हैं, इस फन के महारथी हैं | अगस्ता वेस्टलैंड चॉपर डील घोटाले को ही लीजिये, जिसमें बांछित दुबई के व्यवसायी राजीव सक्सेना को वहां की सरकार ने लात मारकर निर्वासित कर भारत को सोंप दिया | यह कोई सामान्य घटना नहीं है, भारतीय विदेश नीति की जबरदस्त सफलता है | ध्यान दीजिये कि दुबई से राजीव सक्सेना का प्रत्यर्पण नहीं हुआ, बल्कि उसे निर्वासित किया गया है | इसी प्रकार 3,600 करोड़ रुपये के इस चोपर डील घोटाले के सह-अभियुक्त और संयुक्त अरब अमीरात से कॉर्पोरेट लॉबिस्ट दीपक तलवार को भी दबोच लिया गया है । 

स्मरणीय है कि राजीव सक्सेना को अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले के बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल का नजदीकी माना जाता है और दीपक तलवार वह शख्स है, जिसे यूपीए शासनकाल के दौरान हुए इस संदिग्ध सौदे में कॉर्पोरेट विमानन लॉबी का प्रमुख कहा जाता है | इन दोनों के गिरफ्त में आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी की छवि एक ऐसे योद्धा के रूप में दिखाई पड़ने लगी है, जो भ्रष्टाचार के विरुद्ध धर्मयुद्ध लड़ रहा है और जो कहता है उसे पूरे प्राणपन से पूर्ण करने का प्रयत्न करता है । 

इतना ही नहीं तो एएनआई के साथ हाल ही में एक साक्षात्कार के दौरान, मोदी ने विश्वास व्यक्त किया है कि “जो लोग देश से पहले भाग गए हैं, वे वापस नहीं आए हैं। लेकिन जो लोग इस सरकार के दौरान भाग गए, उन्हें आज या कल वापस लाया जाएगा। इसके लिए राजनैतिक स्तर पर और कानूनी माध्यमों से उनकी संपत्तियों की जब्ती द्वारा यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि जिन्होंने भारत का पैसा चुराया है, उन्हें एक एक पैसे की भरपाई करनी होगी। 

बिचौलिया (मिशेल), उसके करीबी सहयोगी और एक पैरवीकार को शिकंजे में लाने से यह साफ़ संदेश मिलता है कि सरकार अपराधियों के प्रति कठोर है, भले ही वे कितने ही सुरक्षित ठिकानों में क्यूं न छिपे हों वे पकडे ही जायेंगे । 

पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईडी की जांच में पाया गया था कि सक्सेना, उनकी पत्नी और उनकी दुबई स्थित दो फर्मों ने "अपराध की कार्यवाही को आगे बढ़ाया और प्राप्त धन का उपयोग दूसरों के साथ अचल संपत्तियों / शेयरों को खरीदने में " किया। यूके स्थित अगस्ता वेस्टलैंड ने स्पष्ट रूप से दो ट्यूनीशिया-आधारित कंपनियों गॉर्डियन सर्विसेज सरल और आईडीएस सरल के माध्यम से € 58 मिलियन की घूस दी । इन कंपनियों ने मॉरीशस में इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड को धन हस्तांतरित किया। ये धनराशि फिर से सक्सेना की दुबई स्थित फर्मों में स्थानांतरित कर दी गई। 

यूपीए शासन के दौरान एविएशन सेक्टर में जाहिर तौर पर बहुत सारे लोगों पर दबदबा रखने वाले लॉबीस्ट तलवार, जांच एजेंसियों का शिकंजा कसने के बाद, पिछले साल भारत से भागने में सफल हो गए थे । टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, कई राजनेताओं और दिल्ली के कुलीन वर्ग के लोगों ने इसमें उनकी मदद की । रिपोर्ट के अनुसार मिशेल और सक्सेना के बयानों से अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले की परतें खुलने की उम्मीद है। 

सक्सेना और तलवार का गिरफ्त में आना भाजपा के लिए एक राहत की खबर है, क्योंकि भले ही राहुल अपने झूठ को सच न बना पा रहे हों, किन्तु बार बार मोदी पर राफेल तोप के गोले दाग रहे हैं, उसका माकूल जबाब अगस्ता के तथ्यपरक खुलासे हो सकते हैं । सक्सेना अगस्ता पहेली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और मिशेल के साथ उनका रिश्ता जगजाहिर है - जिसने ईडी से पूछताछ के दौरान श्रीमती गांधी का नाम लेकर सबूतों के साथ छेड़छाड़ की कोशिश कबूल की । यह राष्ट्रीय राजनीति की बिसात पर एक महत्वपूर्ण चाल है। 

यहाँ ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण बात है कि जिस तरह से सक्सेना को निष्कासित किया गया, उससे यह स्पष्ट होता है कि संयुक्त अरब अमीरात जो पहले भारतीय कानून से भगोड़े लोगों के लिए एक सुरक्षित आश्रय था, अब इस स्थिति में बदलाव आया है और यह भारतीय विदेश नीति की जबरदस्त सफलता है । 

इस घटना के बाद भारत के बढ़ते दबदबे के कारण आर्थिक अपराधियों का दुस्साहस घटेगा और भाजपा के शस्त्रागार में एक शक्तिशाली हथियार तो बढ़ ही चुका है । चुनाव प्रचार में मोदी के धारदार भाषणों का सामना कांग्रेस कैसे करेगी, यह देखना दिलचस्प होगा ।

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