रफाल को लेकर विडियो के माध्यम से श्री नितिन गुप्ता का राहुल से सीधा संवाद !
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सर्वोच्च न्यायालय ने कहा राफेल में कोई आर्थिक अनियमितता नहीं है, कोई घपला नहीं है | उसके बाद भी राहुल जी आपने मीडिया के साथ मिलकर माहौल बनाया हुआ है | सुप्रीम कोर्ट ने जब टू जी के टेलीकोम लायसेंस केंसिल किये थे, उसके बाद भी मीडिया सोनिया मनमोहन को क्लीन बताती रही, जबकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह बताने के बाद भी कि राफेल में कोई घपला नहीं है, उसके बाद भी मोदी चोर है | तो आपकी मीडिया मेनेजमेंट जबरदस्त है |
और बड़े क्यूट क्यूट सवाल पूछे हैं आपने ! कि भैया केवल 36 प्लेन क्यों खरीदे, 126 क्यों नहीं खरीदे ? पहली बात तो यह कि 126 नहीं, भारतीय वायु सेना को ढाई सौ प्लेन की जरूरत थी | हुआ क्या राहुल जी कि 1963 से 2013 तक 1200 मिग खरीदे, उनमें से 840 क्रेश हुए, 170 पायलट मरे, तो जरूरत थी प्लेन्स की | 2014 में ए के एंटोनी बोलते हैं कि हम पर पैसा ही नहीं है राफेल खरीदने को | और कैसे होता ? 2010 में मम्मी के लिए अगस्ता वेस्टलैंड चोपर जो खरीद लिए गए थे 3600 करोड़ के | उसमें पांच राफेल आ जाते आपके | वो क्या है कि मम्मी को उड़ना ज्यादा जरूरी है, वायुसेना के पायलट मरें बला से | 62 पायलट मरे आपके समय में | अब याद आ रही है आपको नेशनल सीक्योरिटी | और ये क्या आर्गुमेंट है कि केवल 36 प्लेन क्यों खरीदे, 126 क्यों नहीं ? अगर कम प्लेन खरीदना गलत है तो आपने तो जीरो खरीदे | तो आपने तो बहुत ही बड़ी गलती की फिर |
राहुल जी कम प्लेन खरीदना स्केम नहीं होता, ज्यादा खरीदना स्केम होता है | आपको याद दिलाऊँ – नवम्बर 2003 में एयर इंडिया बोर्ड की मीटिंग में बोला गया कि हमें 28 प्लेन चाहिए, 2004 में आपकी सरकार आई, प्रफुल्ल पटेल ने कहा हम 28 नहीं 68 प्लेन खरीदवायेंगे | फालतू प्लेन खरीदवा दिए चालीस | चालीस हजार करोड़ का लोन लिया गया, इन्ट्रेस्ट पैंतीस सौ करोड़ रूपये हर साल | पांच रफाल आते हर साल | दस साल में अब तक तो पचास आ चुके होते | उन्हें उड़ाते वायु सेना के लोग, न वो मरते, न एयर इण्डिया गड्ढे में जाती | तो जनाब ज्यादा खरीदना स्केम होता है | दिल्ली मेट्रो 400 कि.मी. चाहिए, पर फिलहाल पेंसठ कि.मी. बनाई है, बाक़ी सौ - फेस टू में बनेगी | तो पहले 36 प्लेन, बाक़ी बाद में आ जायेंगे | आपने तो जीरो खरीदे |
अब आप कहते हो कि रफाल हेल से क्यों नहीं बनवाया | अरे 2012 में जो डील थी दसाल्ट के साथ, वो इसी बात पर तो टूटी आपकी | आपने कहा रफाल हेल बनाएगा, पर उसकी क्वालिटी की जिम्मेदारी दसाल्ट ले | दसाल्ट ने हाथ खड़े कर दिए | कि भैया जब प्लेन हेल बनाएगा तो हम जिम्मेदारी कैसे ले सकते हैं ? हेल का आप देखो कि 18 सुखोई एम 30 एमकेआई प्लेन में सेकिंड हैण्ड इंजिन लगा दिए | वो क्रेश हो रहे हैं | ऐसी रेपुटेशन के साथ दसाल्ट कैसे जिम्मेदारी ले, सरकारी काम चल रहे हैं आपके | और रफाल के आर्डर तो आप हेल को तब दो, जब वो प्रजेंट तो पूरे कर पा रहा हो | 20 तेजस के आर्डर हैं, दस दे पाए हैं | आपके खडगे जी ने ही बोला है, पार्लियामेंट में | 61 जेग्वार जेट जो हैं, उनका अपग्रेड छः साल डिले हो गया | 25 सुखोई पेंडिंग हैं | आगे के आर्डर तो तब लो, जब पहले वाले पूरे हो जाएँ आपके |
और ये क्या आर्गुमेंट है कि अगर पब्लिक सेक्टर कंपनी है, तो प्राईवेट सेक्टर इन्वोल्व नहीं हो सकता | आप कह रहे हो कि अनिल अंबानी को कैसे दे दिये 850 करोड़ के ऑफ़सेट, तो आपने दिया था दिल्ली मेट्रो के एक्सप्रेस लाईन वे का पांच हजार करोड़ का काम रिलायंस को, तब याद नहीं आई आपको डीएमआरसी की ? साढ़े चार हजार करोड़ की अंधेरी से घाट कोपर की मुम्बई मेट्रो में 69 परसेंट रिलायंस का शेयर था, तब भूल गए थे आप डीएमआरडीए को ? ये दिल्ली से आगरा का सिक्स लेन एक्सप्रेस वे दिया आपने तब याद नहीं आई एनएचएआई की ? आप जब कॉन्ट्रैक्ट दो तब तो वो पीपीपी मॉडल है, पब्लिक प्राईवेट पार्टनर शिप, और मोदी ने ऑफसेट में 850 करोड़ का काम उसको दे दिया, तो वो घपला हो गया | और आपके लोजिक से अगर 850 करोड़ की ऑफ सेट डील अनिल अंबानी की जेब में डाल दिया, तो आपके राज में तो बीस तीस हजार करोड़ के काम अनिल अंबानी को मिले, तो क्या सोनिया जी ने पूरा पैसा उसी की जेब में डाल दिया क्या ?
ये तो फिर भी कॉन्ट्रैक्ट्स हैं, जो सारे लोन मिले अनिल अंबानी को, रिलायंस नेवल पर आपका नौ हजार करोड़ का लोन किसके समय पर मिला ? रिलायंस इन्फ्रा पर ग्यारह हजार करोड़ का लोन, रिलायंस कोम पर बारह हजार से ज्यादा का लोन, सब राष्ट्रीयकृत बैंकों ने दिए हैं आपकी सरकार में | ये क्या आर्गुमेंट है कि पब्लिक सेक्टर उपलब्ध है तो प्राईवेट काम नहीं कर सकती | मतलब सोनिया जी तो घूम आयें रिलायंस के प्राईवेट जेट्स में, अगस्ता के प्राईवेट चोपर्स में, और वायु सेना के जवान चलें हेल के बने एयर क्राफ्ट में | दिल्ली में है राजीव गांधी केंसर इंस्टीटयूट, तो क्यों जाते हो आप लोग अपना इलाज कराने को विदेश ? राजीव जी पढ़ें दून स्कूल में, और बाक़ी बच्चे पढ़ें सरकारी स्कूल में | आपको अपने लिए तो सब कुछ प्राईवेट चाहिए, दुनिया सरकारी पर चले |
मुझे याद है एक किस्सा चाचा नेहरू गए थे जेआरडी टाटा के पास, टाटा एयर लायंस थी उस समय, और बोले जेआरडी प्रॉफिट इज ए डर्टी वर्ड, और फिर राष्ट्रीयकृत कर दी टाटा एयर लाईन्स | एयर इण्डिया बना दिया उसको | आज गड्ढे में है एयर इण्डिया | यह सोच कम्यूनिस्ट है कि सारे बिजनेस मेन चोर हैं | आपका जीवन तो चंदे पर चल रहा है, तो आपको धंधे से दिक्कत है | जो धंधा करते हैं वे चोर हैं और आप सारे लोग संत हो |
आप जो कोस्ट आप निकाल रहे हो रफाल की, ये कहाँ से आ रही हैं ? कभी 700 करोड़, कभी 540 करोड़, कभी 520 करोड़, कभी महज 526 रूपये की हास्यास्पद कीमत अपने समय की आप भाषणों में बोलकर अपना मजाक खुद बनवा रहे हो | अगर 526 में मिल रहा है तो हजार तो मेरे आर्डर कर दो आप | और कहाँ से आ रहे हैं ये नंबर कि आज 1600 करोड़ में खरीदा जा रहा है ?
2016 में जो रफाल डील हुई है उसकी कीमत है 7.87 बिलियन यूरो |
उसमें दसाल्ट ने बोला कि हम हिन्दुस्तान के मुताबिक कस्टमाईज करेंगे तो उसकी कीमत 1.80 बिलियन यूरो |
उसमें दो मेंटीनेंस और ओवरहौल की कोस्ट 1.80 बिलियन यूरो |
(मेंटीनेंस और ओवरहौल की शर्त मिग में नहीं थी, जिसके कारण क्रेश बगैरह हुए |)
फिर अत्याधुनिक हथियार हैं आपके 710 मिलियन यूरो के |
परफोर्मेंस बेस्ड लोजिस्टिक्स था 280 मिलियन यूरो का |
तो इस प्रकार 36 अनलोडेड रफाल की कीमत हुई 3.28 बिलियन यूरो |
इस प्रकार एक अनलोडेड रफाल की कीमत आई 91.1 मिलियन यूरो जो 2016 के करेंसी कन्वर्जन के हिसाब से से पड़ती है 670 करोड़ |
आप बोल रहे हो कि 2014 में हमें ऑफर था 120 मिलियन डॉलर का प्रति रफाल | जो पड़ता है 746 करोड़ का |
तो अब आप ही बताओ कि 670 करोड़ में खरीदा गया रफाल सस्ता है, या आपके समय का 746 का जो ऑफर था वह सस्ता है ?
कितनी दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थति है कि नेहरू जी द्वारा बनवाये गए आईआईटी में पढ़कर लोग गूगल के सीईओ बन गए, माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ बन गए, और उनके खुद के परिवार के बच्चे उनको यह साधारण सा गणित पल्ले नहीं पड़ रहा |
और आप कुछ भी बोल दो, मीडिया तो सवाल पूछेगी नहीं, क्योंकि उनके मुंह में तो आपने हड्डी डाली हुई है, पद्म श्री की, बरखा को, राजदीप को. विनोद दुआ को 2008 में | शेखर गुप्ता के मुंह में तो आपने पद्म भूषण ही डाल दिया | तो मीडिया तो सवाल करेगा नहीं |
पर राहुल जी मैं मानता हूँ कि मोदी जी ने गलती तो की है | अब देखिये पहले बोफोर्स हुआ, उसमें मिडिल मेन था क्वात्रोची, लोग कहते हैं कि आप बचपन में उसकी गोद में खेले | अगस्ता वेस्टलैंड में क्रिश्चियन माइकल है,, उसमे 61 करोड़ खिलाये हुए हैं हिन्दुस्तान के जर्नलिस्ट को मेनेज करने के लिए | पर रफाल पहली डील हुई, जिसमें कोई मिडिल मेन ही नहीं है | तो आपकी कुंठा जायज है | मोदी ने गलती तो की है, भई जब रफाल खरीदा, तब आपकी माताजी के पास जाते, उनके चरणों में नारियल फोड़ते, सम्मान प्रदर्शित करते | हिन्दुस्तान में डिफेन्स डील की जो परंपरा थी, मोदी जी को वही फोलो करना चाहिए थी, नहीं किये | तो सही बात है, गलती है, स्केम है, घोटाला है | आपका मीडिया मेनेजमेंट इंतना अच्छा है कि जो चाहो वो विलीव करवा दो देश को |
अगर अब भी आपको लगता है कि 36 प्लेन क्यों, 126 क्यों नहीं, तो और प्लेन खरीदने का तरीका बताता हूँ आपको | आपकी पार्टी के एम पी रहे श्री लगडपत्ती राजागोपाल की कम्पनी थी LANCO, जिस पर चवालीस हजार करोड़ का बैंक का कर्जा है, जो एनपीए हो चुका है | आप उनसे वो निकलवा लो, तीस रफाल और आ जायेंगे, उतने में | करो शुरूआत |
साभार आधार - https://www.facebook.com/Patriothindu/videos/329011847722638/?t=1
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राजनीति
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