एक कश्मीरी लड़की की सर में गोली मारकर ISIS स्टाइल हत्या और उस पर लूटियंस-मीडिया की आपराधिक चुप्पी !



कश्मीर घाटी में आतंकियों ने आतंक की सारी हदें पार कर दी है, यहाँ तक कि घाटी में अब मुस्लिम महिलाएं भी आतंकियों से सुरक्षित नहीं हैं। गुरूवार 31 जनवरी 2019 की रात जम्मू कश्मीर में एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें आतंकी फेरन पहने एक मासूम लड़की की हत्या करते दिखाई दे रहे हैं। 10 सेकंड के इस वीडियो में लड़की हाथ जोड़े घुटनों बल बैठी है, तभी अचानक आतंकी उसके सर में गोली मारते हैं | लड़की जमीन पर गिर जाती है | उसकी मौत सुनिश्चित करने के लिए आतंकी उसके चेहरे पर एक गोली और मारता है । इस्लामिक स्टेट स्टाइल आतंकियों की ये बर्बरता देख किसका खून नहीं खौलने लगेगा ? 

आतंकी कमांडर जीनत उल इस्लाम 
दूसरे दिन सुबह शोपियां जिले के ड्रगाड से सुरक्षाबलों ने उस लड़की की लाश बरामद की, जिसकी पहचान 25 साल की इशरत मुनीर के तौर पर हुई है। इशरत डेंजरपोरा पुलवामा की रहने वाली थी। और इसे 13 जनवरी को मारे गये अल-बद्र कमांडर जीनत-उल-इस्लाम की मौसेरी बहन बताया जा रहा है। खबरों के मुताबिक आतंकियों को शक था कि इशरत ने आतंकियों की सूचना सुरक्षाबलों को दी थी। इसी शक के आधार पर आतंकियों ने इशरत को अगवा किया और इस्लामिक स्टेट स्टाइल में उसकी हत्या कर दी। 

घाटी में इस घटना के बाद जबरदस्त रोष है  लगातार आतंकवाद से आजिज आ चुके लोग शांति और अमन चाहते हैं। यहीं वजह है कि जान खतरे में होने के बावजूद स्थानीय लोग ही आतंकियों की सूचना सुरक्षा एजेंसियों को मुहैया करा रहे हैं। इसी कड़ी में आज सुबह पुलवामा में सुरक्षाबलों ने 2 और आतंकियों को मार गिराया। दोनों जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े थे। 

इस घटना को 48 घंटों से ज्यादा वक्त बीत चुका है । इशरत को पाकिस्तानी आतंकियों ने शरिया कानून के तहत सज़ा देने का दावा किया है। हैरानी की बात ये नहीं है कि साउथ कश्मीर में पाकिस्तानी अपना शरिया निजाम स्थापित करने की कोशिश में लगे हैं, ज्यादा हैरान करने वाली बात ये है कि देशभर के तमाम लिबरल्स पत्रकारों, एक्टिविस्टों में एक मुर्दा शांति है। हर कोई चुप है, किसी ने एक मुस्लिम कश्मीरी लड़की की हत्या पर चूं तक नहीं की है। एक आतंकी की हत्या पर सैंकड़ों ट्वीट छापने वाले राजदीप सरदेसाई, बरखा दत्त, रवीश कुमार, निधि राजदान और शेहला रशीद जैसे एक ट्वीट तो दूर कश्मीर की बात तक नहीं की है। 

सवाल उठता है कि क्या वो आतंकियों की कथित मुखबिरी का सज़ा के रूप में की गई इस हत्या को जायज मानते हैं ? या वे यह मानते हैं कि आम कश्मीरी को कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे का सपना देखने का हक नहीं है, जिसने देखा उसका हश्र यहीं होना चाहिए। 

सचाई तो यही प्रतीत होती है कि यह खबर उनके एजेंडा-पॉलिटिक्स में फिट नहीं बैठती..लिहाजा इशरत की खबर को जानबूझकर नजरअदांज किया जा रहा है। 

चुप्पी की वजह चाहे जो भी हो लेकिन है खतरनाक । 

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