बालाकोट में जैश के कुख्यात आतंकी यूसुफ़ अजहर को मारकर आज भारतीय वायु सेना ने लिया कंधार काण्ड का भी बदला !


हाल के बालाकोट में हुए भारतीय वायु सेना के "गैर सैन्य सैन्य" हमले में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवाद प्रशिक्षण विंग (TTW) के प्रमुख 50 वर्षीय यूसुफ अजहर उर्फ ​​मोहम्मद सलीम के मारे जाने का समाचार है । 

युसुफ 1999 में इंडियन एयरलाइंस आईसी -814 के अपहर्ताओं में से एक था, जिसके बाद भारत सरकार को विवश होकर कंधार ले जाकर आतंकी सरगनाओं मौलाना मसूद अजहर, अहमद ज़रगर और शेख अहमद उमर सईद को छोड़ना पड़ा था | 

यूसुफ़ कितना खतरनाक था, इसका सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि उन दिनों वह तालिबान के साथ ही काम करता था, जिनकी अफगानिस्तान पर हुकूमत थी | बाद में जैस ए मोहम्मद और तालिबान के बीच निकटता भी यूसुफ के ही कारण रही, क्योंकि वह पूर्व में अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन से कई बार मुलाकात कर चुका था। 

2001 से पहले जैश के प्रशिक्षण शिविर अफगानिस्तान में ही थे और उन्होंने तालिबान के साथ मिलकर काम किया था। तालिबान के पतन के बाद ही उन्हें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा बालाकोट में स्थानांतरित कर दिया गया । 

जब वे अफगानिस्तान में थे, यूसुफ ने वहां कई प्रशिक्षण सत्र आयोजित किये और उसी दौरान वह ओसामा बिन लादेन के संपर्क में आया । इसी कार यूसुफ़ भारत के सबसे ज्यादा वांछित अपराधियों में से एक है । उसका नाम भारत सरकार द्वारा 2002 में इस्लामाबाद को दी गई 20 भगोड़ों की सूची में भी शामिल था।

यूसुफ जैश ए मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर का साला हैं। यूसुफ न केवल जैश की ट्रेनिंग विंग का मुखिया है बल्कि भर्ती का पर्यवेक्षण भी करता है। 

अर्थात वह सिर्फ युवाओं को प्रशिक्षित ही नहीं करता, बल्कि नए रंगरूटों की भर्ती की योजनाकारों में से भी एक है । उसी ने बालाकोट के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए आवश्यक धन का प्रबंधन किया था । 

हैरानी की बात है कि इंटरपोल द्वारा घोषित यह अपराधी पूरे पाकिस्तान में मदरसों की देखभाल भी करता है। यूसुफ को मंसरा में मदरसा तालीम-उल-कुरान, जब्बा का प्रभारी माना जाता है। अपनी भूमिका के भाग के रूप में, वह JeM के अन्य नेताओं के साथ वार्षिक "दौरा-ए-तफ़सीर " के दौरान पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न JeM- संचालित मदरसों का दौरा करता हैं। 

उसके द्वारा बालाकोट से ही अल रहमत ट्रस्ट की गतिविधियों का भी संचालन किया जाता रहा है । अल रहमत ट्रस्ट ही जैश ए मोहम्मद द्वारा संचालित आतंकी गतिविधियों और सैन्य प्रशिक्षण के लिए वित्तीय सहायता की व्यवस्था करता है। 

अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट की वेव साईट के अनुसार इसी ट्रस्ट ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों और दोनों देशों में काम कर रहे विदेशी लड़ाकों को वित्तीय और रसद सहायता प्रदान की है । 

2009 की शुरुआत में, अल रहमत ट्रस्ट के कई प्रमुख सदस्य अफगानिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों के लिए रंगरूटों की भर्ती कर रहे थे। 2009 से ही अल रहमत ट्रस्ट ने पाकिस्तान में गिरफ्तार हुए या मार दिए गए आतंकवादियों के परिवारों की मदद के लिए एक दान कार्यक्रम शुरू किया था । ट्रस्ट ने "तालिबान को भी वित्तीय सहायता प्रदान की है, जिसमें अफगानिस्तान में घायल तालिबान लड़ाकों को वित्तीय सहायता भी शामिल है । 

यूसुफ का इस ट्रस्ट में एक महत्वपूर्ण स्थान था और और वही जैश ए मोहम्मद के लिए आर्थिक व्यवस्था का मुख्य स्त्रोत था । 

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