2 अप्रैल को जारी कांग्रेस का घोषणापत्र, अर्थात वह दिन जब औरंगजेब ने हिन्दुओं पर लगाया था - जजिया कर !


कैसा विचित्र संयोग है कि -
आज ही कांग्रेस का घोषणापत्र जारी हुआ है.....
और आज ही के दिन 2 अप्रैल 1679 को औरंगजेब ने हिन्दुओं को दोयम दर्जे का इंसान घोषित कर, उन पर जजिया कर लगाया था |
कांग्रेस के घोषणापत्र और औरंगजेब के जजिया कर में क्या साम्य है, इस पर चर्चा के पहले जजिया क्या था, इसे समझें -

मुगलों ने अपने शासनकाल में हिन्दुओं पर क्रूरतम अत्याचार किए, हिंदुओं के लिए बेहद कठोर नियम बनाए, अपने शासन करने का तरीका इस्लामिक आधार पर लागू किया, हिंदुओं के धार्मिक स्थानों पर टैक्स लगा दिया, इतना ही नहीं तो हिंदू रीति-रिवाज से मनाए जाने वाले त्योहारों पर प्रतिबंध लगा दिया। दुर्भाग्य से मुगलों द्वारा हिन्दुओं के साथ जो कुछ किया गया उसे इतिहासकारों ने इतिहास में स्थान ही नहीं दिया | ये वो इतिहास है जो न सिर्फ हिन्दुओ के साथ हुई क्रूरता का गवाह है, बल्कि बेहद विपरीत हालात में हिन्दुओ के द्वारा किये गये संघर्ष का भी गवाह है | आज ही के दिन वो समय आया था जब हिन्दू समाज को फिर से औरंगजेब के आदेश पर मुगलों को जजिया टैक्स देना पड़ा था जिसको उन्होंने अपने संगठित शक्ति के द्वारा एकजुट होकर अकबर के समय में हटवा दिया था | 

जज़िया कर हिन्दुओं पर इसलिए लगाया गया था क्योंकि वे मुस्लमान नहीं थे एवं मुस्लमान उन्हें अपनी बराबरी का नहीं समझते थे | जजिया कर दरअसल हिन्दुओं को जीने देने के बदले बसूला जाने वाला टैक्स था | मुग़ल शासक अकबर सहित मुग़ल शासक जो बहुत क्रूर एवं कुटिल थे परन्तु उसको महिमामंडित करने के सभी प्रयास इतिहासकारों के द्वारा किये गए है एवं जब कहीं उनकी क्रूरता के किस्सों का जिक्र किया जाता तो कह दिया जाता कि मुगल शासकों के इतिहास को अंग्रेज शासन के दौरान गलत व्याख्या की गई। इसी कारण उसकी छवि खराब हुई। अकबर को तो महान बना कर महिमामंडित किया गया, उसे एक नेक दिल शासक बतलाया गया, यह भूलकर कि यदि उस समय हिन्दुओ ने महाराणा प्रताप के संघर्ष से शिक्षा न ली होती और संगठित होकर मुगल तानाशाहों को जजिया टैक्स देने से साफ मना न कर दिया होता तो यह लगातार हिन्दुओं से वसूला जाता रहता | हैरत की बात है कि अकबर के समय हिन्दू समाज को मिली जजिया कर से मुक्ति को हिन्दू समाज के संघर्ष और बलिदान से मिली विजय के बजाय अकबर की दया बताया जाता है |

औरंगजेब भारत के इतिहास के पन्नों में दर्ज वह नाम है, जिसकी क्रूरता के किस्सों से आज भी लोग सिहर उठते हैं | यह एक ऐसा जालिम राजा था, जिसने अपने पिता को जेल में डाला, अपने सगे भाइयों और भतीजों की क्रूरता से ह्त्या की | यहां तक कि अपनी प्रजा पर बर्बरता करते हुए इसने हिन्दुओं के सैकड़ों मंदिरों को भी तुड़वा दिया था | सन 1658 में औरंगजेब तख्त पर बैठा था | इतिहास गवाह है कि उसने बादशाहत का ताज अपने भाइयों और रिश्तेदारों का खून बहा कर हासिल किया था | उसने सत्ता हासिल करने के लिए जहां अपने भाइयों, दारा शिकोह और शाह शुजा का कत्ल करा दिया, वहीं अपने पिता शाहजहां को भी कैद दे दी | इतिहास में यह भी दर्ज है कि अपने जिस भाई मुराद बख्श के साथ मिलकर औरंगजेब ने शाहजहां के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका था, सत्ता हासिल करने के बाद उसने उस मुरादबख्श को भी मार दिया | 

औरंगजेब कितना क्रूर था, इस बात को इसी से समझा जा सकता है कि, उसने हिन्दुओं द्वारा दिवाली के अवसर पर आतिशबाजी चलाने पर भी रोक लगा दी थी | हिन्दुओं के धार्मिक मेलों पर प्रतिबन्ध लगाया, और हिन्दुओं को हाथी, घोड़े की सवारी करने से भी मना कर दिया गया | यही नहीं उसने सभी सरकारी नौकरियों से हिन्दू कर्मचारियों को निकाल कर उनके स्थान पर मुस्लिम कर्मचारियों की भर्ती का फरमान भी जारी किया था | औरंगज़ेब ने ब्रज संस्कृति को खत्म करने के लिए ब्रज के नाम तक बदल डाले थे | उसने मथुरा को इस्लामाबाद, वृन्दावन को मेमिनाबाद और गोवर्धन को मुहम्मदपुर बना दिया था | यह बात और है कि ये नाम प्रचलित नहीं हो सके | 

औरंगजेब ने पहले तो हिन्दू त्यौहारों पर प्रतिबन्ध लगाया और हिन्दू मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया | बनारस के ‘विश्वनाथ एवं मथुरा के ‘केशव राय मंदिर’ उसी के कहने पर तोड़े गये | बाद में उसने तोड़े गये मंदिरों की जगह पर मस्जिद और कसाईखाने कायम कर दिये | हिन्दुओं के दिल को दुखाने के लिए इस क्रूर शासक ने गो−वध करने तक की खुली छूट दे दी थी | और सेक्यूलर भारत में, हिन्दुओं पर सर्वाधिक अत्याचार करने वाले इस क्रूर शासक के नाम पर दिल्ली में बनी औरंगजेब रोड का नाम बदलने पर कुछ लोग सियासी ड्रामा करते है एवं भारत के सच्चे सपूत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम पर इस रोड के नाम का विरोध करते है |

एकजुट होकर अकबर के समय जजिया देने से इंकार को बाद में औरंगजेब ने फिर से अमल में लाया और उसने हिन्दुओ के ऊपर सबसे ज्यादा घोर अमानवीय जुल्म किये थे | यह वह समय था जब हिन्दुओं के बीच आपसी मनमुटाव अधिक था | हिन्दुओं की इसी आपसी फूट का फायदा उठा कर उसने हिन्दुओं पर पुनः एक बार जजिया कर लागु कर दिया | कोई हमें यह नहीं बताता कि 2 अप्रैल 1679 के दिन हर तरफ मुनादी से सन्देश दिया गया कि हिन्दुओं या तो इस्लाम कबूल करो या जिन्दा रहने के लिए जजिया कर देना प्रारम्भ करो | यह बैसा ही था, जैसा कि आजाद भारत में कश्मीर में हुआ | हिन्दुओं से कहा गया, या तो मुसलमान हो जाओ अन्यथा अपनी अस्मत. अपनी महिलाओं को यहाँ ही छोडकर घाटी से बाहर निकल जाओ | 

अब बात आज घोषित कांग्रेस के घोषणा पत्र की - 

एक बार फिर हिन्दुओं को दोयम दर्जे का नागरिक घोषित करने का परोक्ष प्रयत्न चालू हो गया है | 

कश्मीर में दुर्दांत आतंकियों से तो बातचीत की पेशकश की गई है, किन्तु गौ तस्करों या गौ हत्यारों के खिलाफ हिन्दू समाज की संगठित कार्यवाही को अक्षम्य अपराध घोषित करने की वकालत की गई है | अगर किसी गौ हत्यारे की पिटाई की जाती है, तो पिटने वाले गौ हत्यारे को अपराधी होते हुए भी पुरष्कृत करते हुए मुआवजा दिया जाएगा |

स्वतंत्र भारत में सभी नागरिकों के लिए समान क़ानून होना चाहिए, इसके स्थान पर मुस्लिम महिलाओं को नारकीय यंत्रणा देने वाले ट्रिपल तलाक को मान्यता देने की बात की गई है | 

मुस्लिम बांगलादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को संरक्षण किन्तु बांगलादेश व पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर आये हिन्दू शरणार्थियों को नागरिकता का विरोध, क्या दर्शाता है ? 

देशद्रोह के क़ानून को समाप्त कर देशद्रोही आतंकियों से सौहार्द्र पूर्ण बातचीत की पेशकश से ऐसा लगता है कि कांग्रेस पूरी तरह मुस्लिम पार्टी बन चुकी है | 

इसलिए ही शायद उसने अपने घोषणापत्र को जारी करने का दिन भी बहुत सोच विचार कर चुना है - अर्थात वह दिन - जिस दिन औरंगजेब ने हिन्दुओं को दोयम दर्जे का नागरिक घोषित कर, उनको जिन्दा रहने देने के बदले जजिया कर अनिवार्य किया था |

सोशल मिडिया पर श्री आदर्श सिंह जी की यह पोस्ट कांग्रेस घोषणापत्र का एकदम सटीक विश्लेषण करती है -

जिहादियों को कानूनी कवच-कुंडल
कांग्रेस ने आज हिंदुओं के भविष्य का खाका खींच दिया है। मैं इसमें सिर्फ दो चीजें देखता हूं। पहला देशद्रोह कानून खत्म होगा और घृणा अपराध यानी हेट क्राइम रोकने के लिए एक कानून बनेगा। अफस्पा वगैरह भी खत्म होंगे।

मतलब यह कि देशद्रोह और आतंक फैलाने की खुली छूट होगी लेकिन यदि आपके शहर में बम विस्फोट होता है तो आप इसे इस्लामी आतंकवाद या जिहाद भी नहीं कह सकते। आप पर घृणा फैलाने के आरोप में मुकदमा चल सकता है। कांग्रेस का यह घोषणापत्र ऐतिहासिक है। इसे इस बात के लिए याद रखा जाएगा कि पहली बार किसी राष्ट्रीय पार्टी ने जिहादी Lawfare के सिद्धांतों को अपने घोषणापत्र में समाहित किया है। 

महागठबंधन की सेक्यूलर सरकार आई तो आतंक का एक नया दौर शुरू होगा और इस बार आतंक को कानूनी कवच-कुंडल भी उपलब्ध करा दिया जाएगा। कानून के आगे क्या करेंगे आप? घृणा अपराध कानून का दायरा दिनोंदिन बढ़ता जाएगा और आपकी गर्दन फंसेगी जरूर।

बाकी परिवार ने अपनी सुरक्षा के उपाय भी किए हैं। मानहानि कानून खत्म करेंगे। यानी अब परिवार कितना भी किसी पर कीचड़ उछाले लेकिन उस पर मुकदमा नहीं कर सकते आप।

इस बार का चुनाव काशी और वायनाड के एजेंडे के बीच है। भविष्य तय होने वाला है। फिलहाल कांग्रेस के इन वादों को तो बस झांकी समझिए। पांच साल फिल्म चलेगी उसके बाद आप का The End होगा

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