आज की राजनीति को दर्शाता - बाईस वर्ष पूर्व दिया गया सुषमा जी का एक भाषण |


11 जून 1996 को देवेगौड़ा के प्रधानमंत्री बनने के बाद विश्वास मत के अवसर पर संसद में दिया गया सुषमा स्वराज जी का ऐतिहासिक भाषण, आज की परिस्थितियों की एकदम सटीक व्याख्या करता है – 

क्या यह जनादेश कांग्रेस के साथ जनादेश के लिए था ? आज के पहले सदन में एक दल की सरकार होती थी और बिखरा हुआ विपक्ष होता था | लेकिन आज बिखरी हुई सरकार है और एकजुट विपक्ष | क्या यह द्रश्य अपने आप में जनादेश की अवहेलना की खुली कहानी नहीं कह रहा है ? 

लेकिन अध्यक्ष जी इतिहास में ऐसा पहली बार नहीं हुआ, जब राज्य का सही अधिकारी अपने राज्याधिकार से वंचित कर दिया गया हो | त्रेता में यही घटना राम के साथ घटी थी, राजतिलक करते करते वनवास दे दिया गया था | द्वापर में यही घटना धर्मराज युधिष्ठिर के साथ घटी थी, जब धूर्त शकुनी की दुष्ट चालों ने राज्य के अधिकारी को राज्य से बाहर कर दिया था | अध्यक्ष जी जब एक मंथरा और एक शकुनी राम और युधिष्ठिर जैसे महापुरुषों को सत्ता से बाहर कर सकते हैं, तो हमारे खिलाफ तो कितनी मंथरा और कितने शकुनी इकट्ठे हो गए हैं | हम राज्य में बने कैसे रह सकते थे ? 

धर्म निरपेक्षता का बाना पहिनकर, हम पर साम्प्रदायिकता का आरोप लगाकर, ये तमाम लोग एक साथ हो गए हैं, एकजुट हो गए हैं | अध्यक्ष जी, हाँ हम साम्प्रदायिक हैं, क्योंकि हम वन्दे मातरम गाने की वकालत करते हैं | हम साम्प्रदायिक हैं, क्योंकि हम राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान के लिए लड़ते हैं | हम साम्प्रदायिक हैं, क्योंकि हम धारा 370 को समाप्त करने की मांग करते हैं | 

अध्यक्ष जी मैं इन सेक्यूलरों की वास्तविकता बताती हूँ | अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए निर्दोष कार सेवकों को गोलियों से भूलने वाले सपा वाले सेक्यूलर हैं | चकमा शरणार्थियों को भगाने वाले और घुसपैठियों को बसाने की वकालत करने वाले ये वामपंथी सेक्यूलर हैं | 

सचाई तो यह है अध्यक्ष जी कि चूंकि हम अपने हिन्दू होने पर शर्म नहीं महसूस करते, इसलिए इनकी नज़रों में हम साम्प्रदायिक हैं | और इस देश में जब तक आप अपने हिन्दू होने पर शर्मिंदगी महसूस नहीं करते, इन तथाकथित बुद्धिजीवियों से सेक्यूलर होने का सर्टीफिकेट नहीं मिल सकता | 

सचाई यह है कि ये किसी साम्प्रदायिकता के नाम पर इकठ्ठा नहीं हुए हैं, यह तो एक ओढा हुआ बाना है | ये इकट्ठा हुए हैं अपने गुनाहों के लिए | ये इकट्ठे हुए हैं, एक दूसरे को बख्श देने की सौदेबाजी के कारण | ये अपने अपराधों के बेपर्दा होने के भय से इकठ्ठा हुए हैं | 

साभार आधार - https://www.facebook.com/OnlyTrolls/videos/272262563699327/?t=13

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