मासूम बच्चियों के साथ घिनौने कृत्य – गुस्सा जरूरी है, पर किसपर ? - संजय तिवारी


मासूम बच्चियों के साथ हो रहे घिनौने कृत्यों पर गुस्सा आना ही चाहिए। देश को फिर गुस्सा आ गया है। बहुत अच्छी बात है। देश को सोचना भी पड़ेगा। केवल गुस्सा करने से कम नही चलने वाला। देश को सोचना पड़ेगा कि घिनौनी मानसिकता जन्म कैसे ले रही है। देश को सोचना पड़ेगा कि बड़े, छोटे, सगे, सम्बन्धी, सामाजिक संबंध, और सर्वे भवन्तु सुखिनः के उद्घोष वाली संस्कृति में इतनी विकृति कहाँ से आ रही है। आदमी चाहे किसी धर्म, मजहब, पंथ का हो, इतना हैवान कैसे हो रहा है। देश को इस प्रश्न का हल भी खोजना होगा कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते वाली संस्कृति में बार बार कभी दिल्ली, कभी बरेली, कभी इंदौर, कभी टप्पल क्यो हो रहे हैं। देश बताए कि क्या उसके पास वास्तव में अपनी संस्कृति वाले सभी रोलमॉडल खत्म हो गए है जो वह सिनेमा, टीवी और ऐसे माध्यमो से अपने लिए रोलमॉडल तलाश रहा है। वहां तो वही मिलेंगे जिन्हें जेतेन्द्र की बेटी दिख रही होगी। वैसे परिवारों की कहानियां जो परिवार भारत मे होते नही थे लेकिन अब होने लगे है। कोई प्रगतिशीलता की आड़ में और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के आधार पर किसी पोर्न पात्र को भारत मे रोलमॉडल बनाकर बिठा देगा। यह देश तो जैसे भारतीय मूल्यों के अलावा बाकी सभी कुप्रथाओ की शरणस्थली है।

एक उदाहरण देखिये कि एक 8 साल का लडका सिनेमाघर मे राजा हरिशचन्द्र फिल्म देखने गया और फिल्म से प्रेरित होकर उसने सत्य का मार्ग चुना और वो बडा होकर महान व्यक्तित्व से जाना गया । लेकिन 
आज 8 साल का लडका टीवी पर क्या देखता है ?
सिर्फ नंगापन और अश्लील वीडियो और फोटो ,मैग्जीन मेंअर्धनग्न फोटो ,पडोस मे रहने वाली भाभी के छोटे कपडे । आजकल कई मनोवैज्ञानिक लोग कहने लगे हैं कि बलात्कार का कारण बच्चों की मानसिकता है । पर यह मानसिकता आई कहा से ? उसके जिम्मेदार कहीं न कहीं हम खुद जिम्मेदार है । हम अकेले रहना पसंद करते हैं और अपना परिवार चलाने के लिये माता पिता को बच्चों को अकेला छोड़कर काम पर जाना है । बच्चे अपना अकेलापन दूर करने के लिये टीवी और इन्टरनेट का सहारा लेते हैं । वहां उनको देखने के लिए क्या मिलता है सिर्फ वही अश्लील वीडियो और फोटो तो वो क्या सीखेंगे यही सब कुछ ना ? अगर वही बच्चा अकेला न रहकर अपने दादा दादी के साथ रहे तो कुछ अच्छे संस्कार सीखेगा । कुछ हद तक ये भी जिम्मेदार है ।

पूरा देश रेप पर उबल रहा है, छोटी छोटी बच्चियो से जो दरिंदगी हो रही उस पर सबके मन मे गुस्सा है, कोई सरकार को कोस रहा, कोई समाज को तो कई feminist सारे लड़को को बलात्कारी घोषित कर चुकी है । आप सुबह से रात तक कई बार सन्नी लियोनी के कंडोम के विज्ञापन देखते है । फिर दूसरे विज्ञापन में रणवीर सिंह शैम्पू के ऐड में लड़की पटाने के तरीके बताता है । ऐसे ही क्लोजअप, लिम्का, थम्स अप भी दिखाता है लेकिन तब आपको गुस्सा नही आता है, है ना ? आप अपने छोटे बच्चों के साथ music चैनल पर सुनते हैं 
दारू बदनाम कर दी ,
कुंडी मत खड़काओ राजा,
मुन्नी बदनाम , 
चिकनी चमेली, 
झण्डू बाम ,
तेरे साथ करूँगा गन्दी बात, 
और न जाने ऐसी कितनी मूवीज गाने देखते सुनते है 
तब आपको गुस्सा नही आता ?
मम्मी बच्चों के साथ Star Plus, जी TV, सोनी TV देखती है जिसमें एक्टर और एक्ट्रेस सुहाग रात मनाते है । किस करते है । आँखो में आँखे डालते है। और तो और भाभीजी घर पर है, जीजाजी छत पर है, टप्पू के पापा और बबिता जिसमे एक व्यक्ति दूसरे की पत्नी के पीछे घूमता लार टपकता नज़र आएगा पूरे परिवार के साथ देखते है । इन सब कार्यक्रमो को देखकर आपको गुस्सा नही आता ? रोमांस से लेकर गंदी कॉमेडी आदि सब कुछ दिखाया जाता है । पर आप बड़े मजे लेकर देखते है । इन सब को देखकर आपको गुस्सा नही आता ? खुलेआम टीवी और फिल्म वाले आपके बच्चों को बलात्कारी बनाते है, उनके कोमल मन मे जहर घोलते है । तब आपको गुस्सा नही आता ? क्योकि आपको लगता है कि रेप रोकना सरकार की जिम्मेदारी है । पुलिस, प्रशासन, न्यायव्यवस्था की जिम्मेदारी है ।लेकिन क्या समाज, मीडिया की कोई जिम्मेदारी नही । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में कुछ भी परोस दोगे क्या ?

आप तो अखबार पढ़कर, खबर देखकर बस गुस्सा निकालेंगे, कोसेंगे सिस्टम को, सरकार को, पुलिस को, प्रशासन को , DP बदल लेंगे, सोशल मीडिया पे खूब हल्ला मचाएंगे, बहुत ज्यादा हुआ तो कैंडल मार्च या धरना कर लेंगे लेकिनTV, चैनल्स, वालीवुड, मीडिया को कुछ नही कहेंगे । क्योकि वो आपके मनोरंजन के लिए है । सच पूछिये तो मनोरंजन के नाम पर सभी चैनल केवल अश्लीलता परोस रहे है। पाखंड परोस रहे है । झूठे विज्ञापन परोस रहे है । झूठेऔर सत्य से परे ज्योतिषी पाखंड से भरी कहानियां एवं मंत्र , ताबीज आदि परोस रहै है ।
उनकी भी गलती नही है, कयोंकि आप खरीददार हो ।
बाबा बंगाली, तांत्रिक बाबा, स्त्री वशीकरण के जाल में खुद फंसते हो ।
अभी टीवी का खबरिया चैनल मंदसौर के गैंगरेप की घटना पर समाचार चला रहा है |जैसे ही ब्रेक आये : 
पहला विज्ञापन बोडी स्प्रे का जिसमे लड़की आसमान से गिरती है , दूसरा कंडोम का , तीसरा नेहा स्वाहा-स्नेहा स्वाहा वाला , और चौथा प्रेगनेंसी चेक करने वाले मशीन का । जब हर विज्ञापन, हर फिल्म में नारी को केवल भोग की वस्तु समझा जाएगा तो बलात्कार के ऐसे मामलों को बढ़ावा मिलना निश्चित है । हादसा एक दम नहीं होता,वक़्त करता है परवरिश बरसों । 
ऐसी निंदनीय घटनाओं के पीछे निश्चित तौर पर भी बाजारवाद ही ज़िम्मेदार है । 
आज सोशल मीडिया इंटरनेट और फिल्मों में @पोर्न परोसा जा रहा है । ध्यान रहे समाज और मीडिया को बदले बिना ये आपके कठोर सख्त कानून कितने ही बना लीजिए । ये घटनाएं नही रुकने वाली है । इंतज़ार कीजिये बहुत जल्द आपको फिर केंडल मार्च निकालने का अवसर हमारा स्वछंद समाज, बाजारू मीडिया और गंदगी से भरा मीडिया देने वाला है ।अगर अब भी आप बदलने की शुरुआत नही करते हैं तो समझिए कि फिर कोई भारत की बेटी निर्भया
गीता
दिव्या
संस्कृति
की तरह बर्बाद होने वाली है।
एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें