पत्रकार गिरफ्तार - अदालत बनाम जनता की अदालत !

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एक पत्रकार ने ट्वीट किया कि योगी आदित्यनाथ की एक प्रेमिका है और वह उनके साथ जीवन बिताना चाहती है |  तुरंत ही ब्रिगेड सक्रिय हो ग...



एक पत्रकार ने ट्वीट किया कि योगी आदित्यनाथ की एक प्रेमिका है और वह उनके साथ जीवन बिताना चाहती है | 

तुरंत ही ब्रिगेड सक्रिय हो गई, उस महिला को ढूँढा गया और फटाफट उसका चटखारेदार इंटरव्यू न्यूज़ चेनलों पर प्रसारित कर दिया गया | 

पुलिस ने मानहानि की शिकायत मिलने पर प्रकरण दर्ज कर उक्त तीन पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया | 

अब जो लोग आधी रात को कोर्ट खुलवाकर देशद्रोहियों की पैरवी कर सकते हैं, वे भला कैसे चुप रहते ? आनन फानन में सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया और तीनों पत्रकारों की जमानत भी हो गई | 

वायर जैसी वाममार्गी वेव साईटों पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लम्बे लम्बे आलेख प्रकाशित हुए और ऐसा वातावरण बना मानो उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री का चरित्र हनन नहीं बल्कि उक्त तीन पत्रकारों का मान मर्दन हुआ हो | बिना इस तथ्य की तह में गए कि उक्त महिला के आरोप में कितनी सचाई है, योगी को खलनायक और उक्त पत्रकारों को महानायक निरूपित किये जाने की मुहीम चालू हो गई | 

यह तो हुई एक घटना ! 

अब एक दूसरे मजेदार वाकये पर नजर डालिए – 

छत्तीसगढ़ के महासमुंद में एक पत्रकार दिलीप शर्मा ने अपने वेव पोर्टल “वेव मोर्चा डॉट कॉम” पर एक पोस्ट डाली, जिसमें आरोप लगाया गया था कि महासमुंद के पचास गाँवों में ब्लैक आउट जैसी स्थिति है | एक अन्य पत्रकार मांगेलाल अग्रवाल ने व्यंग किया कि ऐसा लगता है मानो सरकार की इनवर्टर कंपनियों से सांठगाँठ है | 

इसके बाद जानते हैं क्या हुआ ? 

उक्त दोनों पत्रकारों पर राजनांदगांव पुलिस ने राजद्रोह का मुक़दमा कायम कर लिया और आधी रात को उन्हें पकड़कर लोकअप में डाल दिया | 

हंगामा मचना स्वाभाविक था, क्योंकि आरोप एकदम झूठा भी नहीं था | महासमुंद जिले के बागबहरा क्षेत्र में छह जून से आठ जून के मध्य 48 घंटों के दौरान ब्लैकआउट सच में रहा था । 

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि बिजली कटौती को लेकर पूरा प्रदेश हाहाकार कर रहा है। राज्य सरकार बजाय इस अव्यवस्था को दूर करने के इस मुद्दे पर टिप्पणी करने और समाचार लिखने पर पाबंदी लगाने के लिए अलोकतांत्रिक कदम उठाने पर आमादा हो गई है। 

उन्होंने कहा कि मांगेलाल अग्रवाल और दिलीप शर्मा को राजद्रोह और सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार करने के आरोप में गिरफ्तार करके राज्य सरकार ने साबित कर दिया कि उन्हें सरकार चलाने और प्रशासन को साधने की समझ ही नहीं है तथा लोकसभा चुनाव की शर्मनाक पराजय की खीझ अब इस तरह उतारी जा रही है। 

सोशल मीडिया पर भी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ट्रोल किया जाने लगा | नमूने देखिये – 

1. इन्वर्टर जवाब दे रहा... 

2.मेरा इन्वर्टर बहुत बढ़िया है पिछले चार घंटे से tv, पंखा सब चल रहा है... 

3.पिछले तीन घंटे से बहोत गर्मी लग रही है.... 

4.पार्टी में जाना है अंधेरे में मेकअप नहीं हो पा रहा... 

5. कौन सी ड्रेस पहनूँ जो बिना AC पंखें के गर्मी में भी स्टाइलिश लगे.. 

6.oh no.... अंधेरे में दोनों मोजे अलग अलग पहन लिये... 

7.मेरा बच्चा पिछले तीन घंटे से भोत मेहनत से पढ़ रहा है- लैंप में... 

8.अंधेरे में मोबाइल की टॉर्च जलाने को मोबाइल कैसे ढूंढा जाए ? 

9.आज बहोत मजेदार गर्मी है.... प्रकृति को इतना समीप से अनुभव करवाने को मूढ़मंत्री का धन्यवाद है। 

10.पिछले दो/तीन/चार घंटे से पूरी छग सरकार फॉल्ट ढूंढ रही है.... मेहनती सरकार.…..और कितनी बार?? 

भूपेश बघेल हिल गए और पत्रकार जमानत पर छूट गए, तथा उन पर लगाई गई राजद्रोह की धारा भी हटा ली गई | 

अब सवाल उठता है कि क्या उक्त दोनों समाचार एक से हैं ? 

पहला समाचार झूठ पर आधारित है और एक राज्य के मुख्यमंत्री ही नहीं एक सन्यासी पर कीचड़ उछालने की दुर्भावना से गढ़ा गया है | 

जबकि दूसरे समाचार के पीछे विशुद्ध जन सरोकार हैं, जनता की समस्या की ओर शासन का ध्यानाकर्षित करने की सदइच्छा है | 

एक मामले में न्यायालय का दुरुपयोग किया गया है, तो दूसरे मामले में जनता की अदालत ने मदमत्त सत्ता को फैसला बदलने के लिए मजबूर किया है |

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क्रांतिदूत : पत्रकार गिरफ्तार - अदालत बनाम जनता की अदालत !
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