पुनर्विचार करो कमलनाथ जी - श्री लंका में माता जानकी के मदिर निर्माण में रोड़े न अटकाओ |



अप्रैल 2012 में श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे सांची में आयोजित हिन्दू बौद्ध संस्कृति की एकरूपता के उद्देश्य से निर्मित विश्वविद्यालय के उदघाटन समारोह में भाग लेने आये | उस समय के तत्कालीन मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने श्रीलंका की अशोकवाटिका में माता सीता जी का एक मंदिर निर्माण करवाने की इच्छा उनके सम्मुख रखी | 

राष्ट्रपति महोदय की मौखिक सहमति के बाद मध्यप्रदेश सरकार के एक शीर्ष स्तर के अधिकारी श्रीलंका गए और दिवुरमपोला नामक उस स्थान का अवलोकन किया, जहाँ के विषय में माना जाता है कि वहां माता सीता ने अग्निपरीक्षा दी थी | उसी दौरान स्थापत्य डिजाईन सहित अन्य मुद्दों को भी सुलझाया गया | 

सरकारी कामकाज जैसे चलते हैं, बैसे ही चले और इस दौरान श्रीलंका में राष्ट्रपति भी बदल गए, अतः सरकार की मंजूरी मिलने में पांच वर्ष से अधिक समय लग गया | 

लेकिन अब जब श्रीलंका सरकार की मंजूरी मिली, तब तक मध्यप्रदेश में भी सरकार बदल गई और शिवराज जी के स्थान पर कमलनाथ जी का राज आ गया | कमलनाथ जी को लगा कि अब अगर मंदिर बना तो उसका श्रेय पूरी तरह मुझे तो मिलने से रहा, वह तो शिवराज जी की कार्य योजना है, श्रेय भी उन्हें ही मिलेगा | तो बस लगा दिया अडंगा | 

वर्तमान कमलनाथ सरकार ने कहा है कि उनका एक अधिकारी श्रीलंका जाएगा और तथ्‍यों की जांच के बाद ही वहां पर मंदिर बनाने पर कोई फैसला लिया जाएगा। इतना ही नहीं तो जनसंपर्क मंत्री पी सी शर्मा ने तो और आगे बढकर कहा कि शिवराज सिंह चौहान ने लोगों की प्रशंसा बटोरने के लिए श्रीलंका का दौरा किया और वादा किया कि जिस जगह पर रावण ने माता सीता को बंधक बनाया था, वहां पर मंदिर बनाया जाएगा। उन्‍होंने कहा कि इस दिशा में अभी तक कुछ भी नहीं हुआ है। शर्मा ने कहा कि सरकार के एक अधिकारी को श्रीलंका भेजकर इसकी जांच कराई जाएगी कि वहां मंदिर बनाया जाना चाहिए या नहीं। 

स्वाभाविक ही सवाल उठना लाजिमी है | जब श्रीलंका सरकार ने मंजूरी दे दी है, तो अब जांच किस बात की | यह कोई दो व्यक्तियों के बीच का मामला नहीं है, दो सरकारों के बीच का एग्रीमेंट है | मध्यप्रदेश सरकार ने अनुमति मांगी और एक करोड़ रूपये की लागत से मंदिर बनाने की बात की | श्री लंका सरकार ने मंजूरी देदी | ध्यान दीजिये कि यह अनुमति एक व्यक्ति शिवराज ने नहीं मध्य प्रदेश सरकार ने मांगी थी और राजपक्षे व्यक्ति ने नहीं, श्रीलंका सरकार ने सहमति दी है | 

अब कमलनाथ सरकार का इससे मुकरना तो एक बार फिर कांग्रेस को हिन्दू विरोधी ही सिद्ध करेगा | शिवराज जी ने ट्वीट कर सही सवाल उठाया है कि – 

कमलनाथ सरकार के अफसर श्रीलंका जाकर 'सर्वे' कराकर वेरिफाई करेंगे कि माता सीता का अपहरण हुआ था या नहीं! मित्रों, इससे ज़्यादा हास्यास्पद कुछ हो सकता है क्या? पूरी दुनिया जिस सत्य को जानती है, उसकी जाँच कराने की बात करके कमलनाथ सरकार ने करोड़ों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँचाई है! 

स्मरणीय है कि श्रीलंका में रामायण काल के ऐतिहासिक अवशेष आज पूरी दुनिया में चर्चा के केंद्र में हैं। भारत सहित पूरे विश्व से पर्यटक यहां पहुंचते हैं और श्रीलंका पहुंचकर एक अलग ही अनुभूति का अहसास करते हैं। श्रीलंका के नुवराएलिया स्थिति अशोक वाटिका भी ऐसा ही एक स्थान है । श्रीलंका सरकार ने अशोक वाटिका को अब नया दर्शनीय स्वरूप दे दिया है।

बीते कुछ सालों में सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर पूरे क्षेत्र का आधुनिकीकरण कर दिया है। मंदिर से लेकर पूरे परिसर को संगमरमर से सुसज्जित कर दिया गया है। सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम हैं और वहां रोजाना हजारों विदेशी पर्यटक सीता माता के दर्शन करने पहुंचते हैं। वाटिका में प्रवेश निशुल्क है। श्रद्वालुओं से किसी भी तरह का कोई चार्ज नहीं वसूला जाता। 


सीता वाटिका में हनुमान जी का पद्चिन्ह आज भी मौजूद हैं। कहा जाता है कि जब हनुमान सीता को खोजते-खोजते पहली बार वाटिका में आए थे, तो उनका पहला कदम जिस जगह पर पड़ा था वहां बड़ा सा गड्ढा बना हुआ है। गड्ढे को आस्था से स्पर्श कर श्रद्धा से भर जाते हैं। 

एलिया पर्वतीय क्षेत्र की एक गुफा को 'सीता एलिया' नाम से जाना जाता है। यहां सीता माता के नाम पर एक मंदिर भी है।

वेरांगटोक, जो महियांगना से 10 किलोमीटर दूर है वहीं पर रावण ने सीता का हरण कर पुष्पक विमान को उतारा था। महियांगना मध्य श्रीलंका स्थित नुवारा एलिया का एक पर्वतीय क्षेत्र है। इसके बाद सीता माता को जहां ले जाया गया था उस स्थान का नाम गुरुलपोटा है जिसे अब 'सीतोकोटुवा' नाम से जाना जाता है। यह स्थान भी महियांगना के पास है।

एलिया पर्वतीय क्षेत्र की एक गुफा में सीता माता को रखा गया था जिसे 'सीता एलिया' नाम से जाना जाता है। यहां सीता माता के नाम पर एक मंदिर भी है। इसके अलावा और भी स्थान श्रीलंका में मौजूद हैं, जिनका ऐतिहासिक महत्व है। 

कमलनाथ जी आपकी पार्टी ने पहले सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि राम काल्पनिक है और अब आप भी क्या उसी प्रकार माता जानकी के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हो ? 

कदम कदम पर इस पौराणिक सत्य के प्रमाण आपको मिल जायेंगे | देखिये एक ऐसा ही वर्णन – 

भगवान श्रीराम जब सीता जी के साथ लंका से वापस आ रहे थे तब मार्ग में सीता जी को प्यास लगी । भगवान राम जी ने गंगा जी का आह्वान कर एक बाण समुद्र में मारा और उस स्थान पर मीठे पानी की धार फूट पड़ी ! श्री लंका में खारे समुद्र के बीच आज भी मीठे पानी का वह कुआं भू वैज्ञानिकों को मानो चुनौती देते हुए विद्यमान है ।। 


एक ओर तो डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी जैसे प्रखर बुद्धिजीवी हैं जो अपनी ही सरकार को विवश करते रहते हैं | जैसे कि 27 अक्टूबर 2018 को डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट किया, उसका भाव था कि - 

एक बार नमो राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत घोषित करने की मेरी लंबित मांग को मंजूरी दे दें, उसके बाद मेरी मुहिम होगी कि हिन्दू, धनुषकोटि से श्रीलंका में अशोक वटिका तक आसानी से जा सकें। एक बार रामेश्वरम और अयोध्या में हवाई अड्डे का निर्माण हो जाए, तो हम तीनों स्थानों को हवाई सेवा से जोड़ सकते हैं ! 

और दूसरी ओर आप हैं जो एक स्वीकृत योजना को खटाई में डालकर हिन्दू द्रोह का तमगा गले में डालने को वेचैन हो | पुनर्विचार करो कमलनाथ जी |
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