चिराग तले अँधेरा - न्यायालय के पीछे सजता है नशेडचीयों का दरबार ।



शिवपुरी जिला एवं सत्र न्यायालय के सार्वजनिक मूत्रालय की सफाई की बात करना बेमानी है, क्योंकि उसे नगरपालिका ने संभवतः कचरा घर ही मान लिया है और कचरा भी कौन सा? सांझ ढलते ही वहां इकठ्ठा होने वाले नशे के आदी लोगों द्वारा प्रयुक्त होने वाली कोरेक्स आदि की शीशियों का ये वे शीशियाँ हैं जिन्हें आधुनिक नशे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है

ध्यान देने योग्य तथ्य है कि न्यायालय के नजदीक ही जज साहब के बंगले भी हैं। नातो नगर पालिका को न्याय के मंदिर में सफाई की चिंता है और ना ही पुलिस को जज साहबों की सुरक्षा की कोई फ़िक्र है। रात के अँधेरे में आने वाले नशेडची क्या समाजसेवी होंगे ? उन असामाजिक तत्वों पर नजर रखना आखिर किसकी जिम्मेदारी है ?

अभिभाषक अजय गौतम द्वारा उपलब्ध कराए गए ये चित्र चीख चीख कर गवाही दे रहे हैं कि शिवपुरी नशे के ज्वालामुखी पर बैठा हुआ है। अभी तो इसका लावा निकलना ही शुरू हुआ है, निकट भविष्य में जब ज्वालामुखी फटेगा, तब की कल्पना ही दिल दहला देती है

शिवपुरी नगर पालिका अपने कर्तव्यों के प्रति कितनी ईमानदार है, इसका हाल किसी से छुपा नहीं है । जिस स्वच्छता अभियान के नाम पर लाखो नही करोड़ो रूपये आते है, उस स्वच्छता के हाल क्या है, ये न्यायालय के पीछे जाकर देखा जा सकता है, जहाँ सबसे जिम्मेदार और बुद्धिजीवी वर्ग प्रतिदिन बैठते है, वहाँ के ये हाल है। ऐसा नही है कि इसकी शिकायत नही की गई है, परन्तु नगर की जबाबदेह नपा स्वच्छता के प्रति किस कदर ईमानदार है, ये इन छायाचित्रों से ही समझ लेना चाहिए। 

शायद इसे ही चिराग तले अँधेरा कहा जाता है। शीशियों की संख्या चीख चीख कर बता रही है कि किस तरह से नशे के आदी लोग नए नए तरीकों से अपनी जिंदगी को बर्बाद करने पर तुले है।
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